tag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post5151418328780414159..comments2012-01-21T12:53:12.090+05:30Comments on Star News Agency: विश्व को भारत की वैज्ञानिक देनStar News Agencynoreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-2482499091476581092010-07-02T11:38:27.721+05:302010-07-02T11:38:27.721+05:30हम क्या पढ़ रहे हैं? और हमे क्या पढ़ना चाहिए?
हमे...हम क्या पढ़ रहे हैं? और हमे क्या पढ़ना चाहिए?<br /><br />हमें कुछ भे पढ़ना पड़ा हो, सचेत अभिभावक के रूप में शिक्षा दे पाए तो आने वाला भारत जरूर स्वाभिमानी होगा.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-58804643506238185282010-06-14T14:26:17.598+05:302010-06-14T14:26:17.598+05:30सादर वन्दे
रत्नेश जी
वाह क्या बात है ,, थोडा कहा ...सादर वन्दे<br /><br />रत्नेश जी<br />वाह क्या बात है ,, थोडा कहा लेकिन सच कहा<br />आपके द्वारा लिखा गया लेख भारतीय युवाओ एवं राष्ट्र को जागृत करने के लिए अतुलनीय है. आगे भी आप से आशा है कि आप इस प्रकार के लेखो के द्वारा युवाओ एवं राष्ट्र को प्रोत्साहित करेंगे..<br /><br />जबरजस्त लेगे रहो <br /><br />मुकेश कुमार उपाध्याय<br />दिल्लीAbhaya Vishwahttps://www.blogger.com/profile/08390514292414537254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-320021837645954522010-06-14T10:23:20.729+05:302010-06-14T10:23:20.729+05:30परम आदरणीय
ऋषितुल्य वर्मा जी,
आपका आशीर्वाद मिला म...परम आदरणीय<br />ऋषितुल्य वर्मा जी,<br />आपका आशीर्वाद मिला मेरा लिखना सफल हुआ | आपकी चिन्ता ही समाधान है जिसके तरफ ध्यान ना देने का परिणाम हम सब भुगत रहे हैं |<br />@ सुरेश जी और दत्त जी आपके राष्ट्र जागरण अभियान के प्रयासों की ही मै एक कड़ी हूँ |<br />आप सभी का धन्यवाद | <br />रत्नेश त्रिपाठीaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-82681907364137693152010-06-13T23:13:47.576+05:302010-06-13T23:13:47.576+05:30बौद्दिक गुलाम व सेकुलर गद्दारों को जगाने में आपका ...बौद्दिक गुलाम व सेकुलर गद्दारों को जगाने में आपका लेख बहुत सहायक सिद्ध होगा ऐसी हमें आशा है आपने मेहनत कर ये जानकारी हम सब तक पहुंचाई इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।सुनील दत्तhttps://www.blogger.com/profile/02964602014678479457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-14971304080983296292010-06-13T15:23:55.808+05:302010-06-13T15:23:55.808+05:30Respected Ratneshji
I read your very illuminating ...Respected Ratneshji<br />I read your very illuminating article about the scientific achievements of Bharata. No doubt there is no comparasion of Bharatiya talent. But how long we will live on such claims that are more theoritical and rhetoric. We can claim Agasta Rishi having created electricity but how many from us have repeated that experement in their lab. I do not know a single scientist or scholar who has worked on a formula of any ancient texts. <br />However your article is very informative and I must congratulate you for bringing to the notice of people. Regards<br />T.P. VermaJambudwiphttps://www.blogger.com/profile/14248024578482477628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-42821185279220468772010-06-13T12:39:54.993+05:302010-06-13T12:39:54.993+05:30बहुत उम्दा लेख, भारत की प्रतिभा, शिक्षा, और वैज्ञा...बहुत उम्दा लेख, भारत की प्रतिभा, शिक्षा, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को एक योजनाबद्ध तरीके से खत्म किया गया है। मैकाले की संतानों ने दिमागों को कुन्द करके रख दिया है, आज भारत पश्चिम के "नौकर" तैयार करने की फ़ैक्ट्री बनकर रह गया है।Suresh Chiplunkarhttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-5545417082019331272010-06-13T12:32:26.546+05:302010-06-13T12:32:26.546+05:30सादर !
आनंद जी,
आपने बिलकुल सही कहा | जब तक हम अपन...सादर !<br />आनंद जी,<br />आपने बिलकुल सही कहा | जब तक हम अपने वैज्ञानिकों को उचित प्रोत्साहन नहीं देंगे तबतक हम दुनिया से आगे नहीं निकल सकते | मैंने अपने लेख में कुछ प्रमुख वैज्ञानिको के नाम लिखे हैं जो हैं तो भारत के लेकिन उनसे यूरोप समृद्ध हो रहा हैं| स्वाभाविक है भारत की अपेक्षा उनको सम्मान, पैसा, सुविधा और काम करने की छूट यूरोप दे रहा है |<br />पुनः आपकी इस आशीर्वाद के लिए धन्यवाद |<br />रत्नेशaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-13960261298440115312010-06-13T12:22:50.109+05:302010-06-13T12:22:50.109+05:30आदरणीय रत्नेश त्रिपाठी जी
ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन...आदरणीय रत्नेश त्रिपाठी जी<br />ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद |<br />प्रत्येक समस्या का एक मूलभूत कारण (Root-cause) होता है |<br />भारत की समस्त वर्त्तमान समस्याओं के भी मूलभूत कारण हैं |<br />आप भारत के जिस प्राचीन ज्ञान की चर्चा कर रहें हैं - उसे इस देश के अति चालाक शत्रुओं ने अपना शाशन स्थापित होने के साथ ही एकाग्रचित्त हो कर "Conspiracy of Systematic De-programming of Young and Immature Minds" का अनवरत प्रयोग कर के - पिछली एवं वर्तमान पीढ़ी का मानस परिवर्तन कर दिया है - एवं इस नीच कर्म में उन्हें अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई है |<br />अभी की नई पीढ़ी तो जैसे माता के गर्भ से ही अभिमन्यु सीख कर पैदा हुआ था - उस तरह पूर्णतया पश्चिमोन्मुख एवं पतानोंमुख है - एवं उन्ही के मिथ्याचार के रंग ढंग में जी रही है |<br />अपनी अक्षम्य भूलों के लिए शत्रु को दोष देना अपनी ही भूलों में वृद्धि करना है |<br />किसी को मधुमेह - दमा - राजयक्ष्मा - एड्स - कैंसर का रोग हो जाये तो वह रोगी पहले मूलभूत कारण का निवारण एवं चिकित्सक द्वारा निर्दिष्ट उपचार न कर के - मधुमेह के लिए शक्कर को - दमा के लिए बीडी चिलम सिगरेट को - राजयक्ष्मा के लिए दूषित वातावरण एवं आहार को - एड्स के लिए नगरवधुओं से संसर्ग को - कैंसर के लिए तम्बाकू के पत्तों को कोसता रहे - तो इस मूर्खतापूर्ण कार्य से वह रोगी तो कदापि स्वस्थ नहीं हो सकता है |<br />कोसते रहने से समस्या का समाधान कदापि नहीं हो सकता है |<br />भूतकाल में जो भूल हो चुकी हैं उनकी पुनार्वृत्ति न हो - यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है |<br />इसके साथ साथ हमें अपने देश में Talent Management की एवं Proper Documentation की सोच की स्थापना की तीव्र एवं त्वरित आवश्यकता है |<br />जिस बालक की जिस काम में रूचि हो - उसे उसी में अग्रसर एवं निष्णात होने देने में समस्त सहायता प्रदान करना - यह समाज एवं शाशन का कर्तव्य है | <br />हमारे देश में वैज्ञानिक प्रतिभा की कोई कमी नहीं है - परन्तु जब उन्हें प्रोत्साहन देने के स्थान पर अवहेलना - उपहास एवं तदुपरांत शाशन द्वारा नाना प्रकार से मार्ग अवरुद्ध किये जाने से मानसिक प्रताड़ना मिलती है तो वे देश से दुबारा यहाँ नहीं आने की प्रतिज्ञा के साथ पलायन करते हैं | हमारे देश भारत के सर्वथा विपरीत - पश्चिमी देशों की यह विशेषता है कि वे विद्वान् एवं प्रतिभाशालियों के आदर सत्कार एवं उन्हें मनचाही सुविधाएँ देने में बहुत उदार हैं | <br />हमें सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करना है कि क्या श्रेयस है एवं क्या प्रेयस |<br />हम लोगों ने प्रेयस का अन्धानुकरण कर के श्रेयस को भुला दिया है एवं हमारी दुर्दशा उसी की परिचायक है |<br />हमारे समाज को भांड - नगरवधुओं - रुपजिवाओं - धन लोलुप नेताओं चाटुकारों एवं खिलाड़ियों को सर्वथा त्याग कर - विद्वान् - अनुसंधानकर्ता एवं वैज्ञानिक को विशिष्ठ स्थान एवं समुचित सम्मान देने कि नीति अपनानी होगी - तभी देश का कल्याण हो सकता है अन्यथा कदापि नहीं |<br />पुनः - आपके इस श्रमसाध्य एवं देशप्रेम से ओतप्रोत अनुसंधानात्मक लेख के लिए साधुवाद | <br />_ आनन्द जी. शर्मा - मुंबईaanand g sharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-5557973329047228152010-06-13T12:21:05.375+05:302010-06-13T12:21:05.375+05:30पुरातन भारत में सब कुछ था पर शायद कोई तो वजह थी जो...पुरातन भारत में सब कुछ था पर शायद कोई तो वजह थी जो हम उसे संभाल नही सके ... फिर धीरे धीरे १००० से भी अधिक वर्षों की गुलामी ने हमें और भी भीरू बना दिया .... आज सबसे अधिक आवश्यकता अपने आप को पहचानने की है ... आपने चरित्र को उठाने की, कुछ नेतिक और सामाजिक नियमों को दुबारा स्थापित करने की ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-53007170437739870842010-06-13T12:17:22.535+05:302010-06-13T12:17:22.535+05:30manyvar ji apka lekh bahut hi ghyan vardhak & ...manyvar ji apka lekh bahut hi ghyan vardhak & atulaniy hai<br />anurudha deshbandhu<br /> <br />♫<br />anurudhadeshbandhu@gmail.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2673854500109758020.post-4211113256803447752010-06-13T12:11:01.553+05:302010-06-13T12:11:01.553+05:30आदरणीय रत्नेश त्रिपाठी जी
ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन...आदरणीय रत्नेश त्रिपाठी जी<br />ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद |<br />प्रत्येक समस्या का एक मूलभूत कारण (Root-cause) होता है |<br />भारत की समस्त वर्त्तमान समस्याओं के भी मूलभूत कारण हैं |<br />आप भारत के जिस प्राचीन ज्ञान की चर्चा कर रहें हैं - उसे इस देश के अति चालाक शत्रुओं ने अपना शाशन स्थापित होने के साथ ही एकाग्रचित्त हो कर "Conspiracy of Systematic De-programming of Young and Immature Minds" का अनवरत प्रयोग कर के - पिछली एवं वर्तमान पीढ़ी का मानस परिवर्तन कर दिया है - एवं इस नीच कर्म में उन्हें अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई है |<br />अभी की नई पीढ़ी तो जैसे माता के गर्भ से ही अभिमन्यु सीख कर पैदा हुआ था - उस तरह पूर्णतया पश्चिमोन्मुख एवं पतानोंमुख है - एवं उन्ही के मिथ्याचार के रंग ढंग में जी रही है |<br />अपनी अक्षम्य भूलों के लिए शत्रु को दोष देना अपनी ही भूलों में वृद्धि करना है |<br />किसी को मधुमेह - दमा - राजयक्ष्मा - एड्स - कैंसर का रोग हो जाये तो वह रोगी पहले मूलभूत कारण का निवारण एवं चिकित्सक द्वारा निर्दिष्ट उपचार न कर के - मधुमेह के लिए शक्कर को - दमा के लिए बीडी चिलम सिगरेट को - राजयक्ष्मा के लिए दूषित वातावरण एवं आहार को - एड्स के लिए नगरवधुओं से संसर्ग को - कैंसर के लिए तम्बाकू के पत्तों को कोसता रहे - तो इस मूर्खतापूर्ण कार्य से वह रोगी तो कदापि स्वस्थ नहीं हो सकता है |<br />कोसते रहने से समस्या का समाधान कदापि नहीं हो सकता है |<br />भूतकाल में जो भूल हो चुकी हैं उनकी पुनार्वृत्ति न हो - यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है |<br />इसके साथ साथ हमें अपने देश में Talent Management की एवं Proper Documentation की सोच की स्थापना की तीव्र एवं त्वरित आवश्यकता है |<br />जिस बालक की जिस काम में रूचि हो - उसे उसी में अग्रसर एवं निष्णात होने देने में समस्त सहायता प्रदान करना - यह समाज एवं शाशन का कर्तव्य है | <br />हमारे देश में वैज्ञानिक प्रतिभा की कोई कमी नहीं है - परन्तु जब उन्हें प्रोत्साहन देने के स्थान पर अवहेलना - उपहास एवं तदुपरांत शाशन द्वारा नाना प्रकार से मार्ग अवरुद्ध किये जाने से मानसिक प्रताड़ना मिलती है तो वे देश से दुबारा यहाँ नहीं आने की प्रतिज्ञा के साथ पलायन करते हैं | हमारे देश भारत के सर्वथा विपरीत - पश्चिमी देशों की यह विशेषता है कि वे विद्वान् एवं प्रतिभाशालियों के आदर सत्कार एवं उन्हें मनचाही सुविध्यें देने में बहुत उदार हैं | <br />हमें सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करना है कि क्या श्रेयस है एवं क्या प्रेयस |<br />हम लोगों ने प्रेयस का अन्धानुकरण कर के श्रेयस को भुला दिया है एवं हमारी दुर्दशा उसी की परिचायक है |<br />हमारे समाज को भांड - नगरवधुओं - रुपजिवाओं - धन लोलुप नेताओं चाटुकारों एवं खिलाड़ियों को सर्वथा त्याग कर - विद्वान् - अनुसंधानकर्ता एवं वैज्ञानिक को विशिष्ठ स्थान एवं समुचित सम्मान देने कि नीति अपनानी होगी - तभी देश का कल्याण हो सकता है अन्यथा कदापि नहीं |<br />पुनः - आपके इस श्रमसाध्य एवं देशप्रेम से ओतप्रोत अनुसंधानात्मक लेख के लिए साधुवाद | <br />_ आनन्द जी. शर्मा - मुंबईआनंद जी.शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02151778912507666869noreply@blogger.com