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नाम के पहले अक्षर का काफी अधिक महत्व बताया गया है. पुरानी मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में होता है, उसी राशि के अनुसार नाम का पहला अक्षर निर्धारित किया जाता है. चंद्र की स्थिति के अनुसार ही हमारी नाम राशि मानी जाती है. सभी 12 राशियों के लिए अलग-अलग अक्षर बताए गए हैं.नाम के पहले अक्षर से राशि मालूम होती है और उस राशि के अनुसार व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कई जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
यहां जानिए किस राशि के अंतर्गत कौन-कौन से नाम अक्षर आते हैं, किस राशि के व्यक्ति का स्वभाव कैसा है और किस राशि के लोगों की क्या विशेषता है… सभी 12 राशि के लोगों की 15-15 खास बातें…
मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
राशि स्वरूप: मेंढा जैसा, राशि स्वामी- मंगल.
1. राशि चक्र की सबसे प्रथम राशि मेष है. जिसके स्वामी मंगल है. धातु संज्ञक यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है. राशि का प्रतीक मेढ़ा संघर्ष का परिचायक है.
2. मेष राशि वाले आकर्षक होते हैं. इनका स्वभाव कुछ रुखा हो सकता है. दिखने में सुंदर होते है. यह लोग किसी के दबाव में कार्य करना पसंद नहीं करते. इनका चरित्र साफ -सुथरा एवं आदर्शवादी होता है.
3. बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी होते हैं. समाज में इनका वर्चस्व होता है एवं मान सम्मान की प्राप्ति होती है.
4. निर्णय लेने में जल्दबाजी करते है तथा जिस कार्य को हाथ में लिया है उसको पूरा किए बिना पीछे नहीं हटते.
5. स्वभाव कभी-कभी विरक्ति का भी रहता है. लालच करना इस राशि के लोगों के स्वभाव मे नहीं होता. दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है.
6. कल्पना शक्ति की प्रबलता रहती है. सोचते बहुत ज्यादा हैं.
7. जैसा खुद का स्वभाव है, वैसी ही अपेक्षा दूसरों से करते हैं. इस कारण कई बार धोखा भी खाते हैं.
8. अग्नितत्व होने के कारण क्रोध अतिशीघ्र आता है. किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की प्रवृत्ति होती है.
9. अपमान जल्दी भूलते नहीं, मन में दबा के रखते हैं. मौका पडने पर प्रतिशोध लेने  से नहीं चूकते.
10. अपनी जिद पर अड़े रहना, यह भी मेष राशि के स्वभाव में पाया जाता है. आपके भीतर एक कलाकार छिपा होता है.
11. आप हर कार्य को करने में सक्षम हो सकते हैं. स्वयं को सर्वोपरि समझते हैं.
12. अपनी मर्जी के अनुसार ही दूसरों को चलाना चाहते हैं. इससे आपके कई दुश्मन खड़े हो जाते हैं.
13. एक ही कार्य को बार-बार करना इस राशि के लोगों को पसंद नहीं होता.
14. एक ही जगह ज्यादा दिनों तक रहना भी अच्छा नहीं लगता. नेतृत्व छमता अधिक होती है.
15. कम बोलना, हठी, अभिमानी, क्रोधी, प्रेम संबंधों से दु:खी, बुरे कर्मों से बचने वाले, नौकरों एवं महिलाओं से त्रस्त, कर्मठ, प्रतिभाशाली, यांत्रिक कार्यों में सफल होते हैं.
वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
राशि स्वरूप- बैल जैसा, राशि स्वामी- शुक्र.
1. इस राशि का चिह्न बैल है. बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है.
2. बैल के समान स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है. वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है.
3. इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं.
4. इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है. सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है.
5. पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है. जातक अधिकतर तामसी भोजन में अपनी रुचि दिखाता है.
6. गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो स्वाभिमान की बात करता है.
7. सरकारी क्षेत्रों की शिक्षा और उनके काम जातक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
8. किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है. मंगल के प्रभाव से जातक के अंदर मानसिक गर्मी प्रदान करता है.
9. कल-कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का कार्य जातक कर सकता है, जातक की माता के जीवन में परेशानी ज्यादा होती है.
10. ये अधिक सौन्दर्य प्रेमी और कला प्रिय होते हैं. जातक कला के क्षेत्र में नाम करता है.
11. माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामंजस्यता लाता है, जातक अपने जीवनसाथी के अधीन रहना पसंद करता है.
12. चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है.
13. आपके जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाता है.
14.  हमेशा दिमाग में कोई योजना बनती रहती है. कई बार अपने किए गए षडयंत्रों में खुद ही फंस भी जाते हैं.
15.  रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्रमा हैं, जातक के अंदर हमेशा उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है.
मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
राशि स्वरूप- स्त्री-पुरुष आलिंगनबद्ध, राशि स्वामी- बुध.
1. यह राशि चक्र की तीसरी राशि है. राशि का प्रतीक युवा दम्पति है, यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है.
2. मृगसिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल-शुक्र हैं. मंगल शक्ति और शुक्र माया है.
3. जातक के अन्दर माया के प्रति भावना पाई जाती है, जातक जीवनसाथी के प्रति हमेशा शक्ति बन कर प्रस्तुत होता है. साथ ही, घरेलू कारणों के चलते कई बार आपस में तनाव रहता है.
4. मंगल और शुक्र की युति के कारण जातक में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है.
5. जातक वाहनों की अच्छी जानकारी रखता है. नए-नए वाहनों और सुख के साधनों के प्रति अत्यधिक आकर्षण होता है. इनका घरेलू साज-सज्जा के प्रति अधिक झुकाव होता है.
6. मंगल के कारण जातक वचनों का पक्का बन जाता है.
7. गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का शिष्य, दोनों मिलकर जातक में ईश्वरीय ताकतों को बढ़ाते हैं.
8. इस राशि के लोगों में ब्रह्माण्ड के बारे में पता करने की योग्यता जन्मजात होती है. वह वायुयान और सेटेलाइट के बारे में ज्ञान बढ़ाता है.
9. राहु-शनि के साथ मिलने से जातक के अन्दर शिक्षा और शक्ति उत्पादित होती है. जातक का कार्य शिक्षा स्थानों में या बिजली, पेट्रोल या वाहन वाले कामों की ओर होता है.
10. जातक एक दायरे में रह कर ही कार्य कर पाता है और पूरा जीवन कार्योपरान्त फलदायक रहता है. जातक के अंदर एक मर्यादा होती है जो उसे धर्म में लीन करती है और जातक सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अपने को रत रखता है.
11.  गुरु जो ज्ञान का मालिक है, उसे मंगल का साथ मिलने पर उच्च पदासीन करने के लिए और रक्षा आदि विभागों की ओर ले जाता है.
12. जातक अपने ही विचारों, अपने ही कारणों से उलझता है. मिथुन राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है, जो चन्द्रमा की निर्णय समय में जन्म लेते हैं, वे मिथुन राशि के कहे जाते हैं.
13. बुध की धातु पारा है और इसका स्वभाव जरा सी गर्मी-सर्दी में ऊपर नीचे होने वाला है. जातकों में दूसरे की मन की बातें पढऩे, दूरदृष्टि, बहुमुखी प्रतिभा, अधिक चतुराई से कार्य करने की क्षमता होती है.
14. जातक को बुद्धि वाले कामों में ही सफलता मिलती है. अपने आप पैदा होने वाली मति और वाणी की चतुरता से इस राशि के लोग कुशल कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी बन जाते हैं.
15. हर कार्य में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग अन्वेषण में भी सफलता लेते रहते हैं और पत्रकार, लेखक, मीडियाकर्मी, भाषाओं की जानकारी, योजनाकार भी बन सकते हैं.
कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
राशि स्वरूप- केकड़ा, राशि स्वामी- चंद्रमा.
1. राशि चक्र की चौथी राशि कर्क है. इस राशि का चिह्न केकड़ा है. यह चर राशि है.
2. राशि स्वामी चन्द्रमा है. इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अन्तिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेषा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं.
3. कर्क राशि के लोग कल्पनाशील होते हैं. शनि-सूर्य जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं और जातक में अहम की भावना बढ़ाते हैं.
4. जिस स्थान पर भी वह कार्य करने की इच्छा करता है, वहां परेशानी ही मिलती है.
5. शनि-बुध दोनों मिलकर जातक को होशियार बना देते हैं. शनि-शुक्र जातक को धन और जायदाद देते हैं.
6. शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है और शनि अधिक आकर्षण देता है.
7. जातक उपदेशक बन सकता है. बुध गणित की समझ और शनि लिखने का प्रभाव देते हैं. कम्प्यूटर आदि का प्रोग्रामर बनने में जातक को सफलता मिलती है.
8. जातक श्रेष्ठ बुद्धि वाला, जल मार्ग से यात्रा पसंद करने वाला, कामुक, कृतज्ञ, ज्योतिषी, सुगंधित पदार्थों का सेवी और भोगी होता है. वह मातृभक्त होता है.
9. कर्क, केकड़ा जब किसी वस्तु या जीव को अपने पंजों को जकड़ लेता है तो उसे आसानी से नहीं छोड़ता है. उसी तरह जातकों में अपने लोगों तथा विचारों से चिपके रहने की प्रबल भावना होती है.
10. यह भावना उन्हें ग्रहणशील, एकाग्रता और धैर्य के गुण प्रदान करती है.
11. उनका मूड बदलते देर नहीं लगती है. कल्पनाशक्ति और स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती है.
12. उनके लिए अतीत का महत्व होता है. मैत्री को वे जीवन भर निभाना जानते हैं, अपनी इच्छा के स्वामी होते हैं.
13. ये सपना देखने वाले होते हैं, परिश्रमी और उद्यमी होते हैं.
14. जातक बचपन में प्राय: दुर्बल होते हैं, किन्तु आयु के साथ साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है.
15. चूंकि कर्क कालपुरुष की वक्षस्थल और पेट का प्रतिधिनित्व करती है, अत: जातकों को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
राशि स्वरूप- शेर जैसा, राशि स्वामी- सूर्य.
1. सिंह राशि पूर्व दिशा की द्योतक है. इसका चिह्न शेर है. राशि का स्वामी सूर्य है और इस राशि का तत्व अग्नि है.
2. इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण, पूर्वा फाल्गुनी के चारों चरण और उत्तराफाल्गुनी का पहला चरण आता है.
3. केतु-मंगल जातक में दिमागी रूप से आवेश पैदा करता है. केतु-शुक्र, जो जातक में सजावट और सुन्दरता के प्रति आकर्षण को बढ़ाता है.
4. केतु-बुध, कल्पना करने और हवाई किले बनाने के लिए सोच पैदा करता है. चंद्र-केतु जातक में कल्पना शक्ति का विकास करता है. शुक्र-सूर्य जातक को स्वाभाविक प्रवृत्तियों की तरफ बढ़ाता है.
5. जातक का सुन्दरता के प्रति मोह होता है और वे कामुकता की ओर भागता है. जातक में अपने प्रति स्वतंत्रता की भावना रहती है और किसी की बात नहीं मानता.
6. जातक, पित्त और वायु विकार से परेशान रहने वाले लोग, रसीली वस्तुओं को पसंद करने वाले होते हैं. कम भोजन करना और खूब घूमना, इनकी आदत होती है.
7. छाती बड़ी होने के कारण इनमें हिम्मत बहुत अधिक होती है और मौका आने पर यह लोग जान पर खेलने से भी नहीं चूकते.
8. जातक जीवन के पहले दौर में सुखी, दूसरे में दुखी और अंतिम अवस्था में पूर्ण सुखी होता है.
9. सिंह राशि वाले जातक हर कार्य शाही ढंग से करते हैं, जैसे सोचना शाही, करना शाही, खाना शाही और रहना शाही.
10. इस राशि वाले लोग जुबान के पक्के होते हैं. जातक जो खाता है वही खाएगा, अन्यथा भूखा रहना पसंद करेगा, वह आदेश देना जानता है, किसी का आदेश उसे सहन नहीं होता है, जिससे प्रेम करेगा, उस मरते दम तक निभाएगा, जीवनसाथी के प्रति अपने को पूर्ण रूप से समर्पित रखेगा, अपने व्यक्तिगत जीवन में किसी का आना इस राशि वाले को कतई पसंद नहीं है.
11. जातक कठोर मेहनत करने वाले, धन के मामलों में बहुत ही भाग्यशाली होते हैं. स्वर्ण, पीतल और हीरे-जवाहरात का व्यवसाय इनको बहुत फायदा देने वाले होते हैं.
12. सरकार और नगर पालिका वाले पद इनको खूब भाते हैं. जातकों की वाणी और चाल में शालीनता पाई जाती है.
13. इस राशि वाले जातक सुगठित शरीर के मालिक होते हैं. नृत्य करना भी इनकी एक विशेषता होती है, अधिकतर इस राशि वाले या तो बिलकुल स्वस्थ रहते है या फिर आजीवन बीमार रहते हैं.
14. जिस वारावरण में इनको रहना चाहिए, अगर वह न मिले, इनके अभिमान को कोई ठेस पहुंचाए या इनके प्रेम में कोई बाधा आए, तो यह बीमार रहने लगते है.
15. रीढ़ की हड्डी की बीमारी या चोटों से अपने जीवन को खतरे में डाल लेते हैं. इस राशि के लोगों के लिये हृदय रोग, धड़कन का तेज होना, लू लगना और आदि बीमारी होने की संभावना होती है.
कन्या- ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
राशि स्वरूप- कन्या, राशि स्वामी- बुध.
1. राशि चक्र की छठी कन्या राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है. इस राशि का चिह्न हाथ में फूल लिए कन्या है. राशि का स्वामी बुध है. इसके अन्तर्गत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण, चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते हैं.
2. कन्या राशि के लोग बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी होते हैं. भावुक भी होते हैं और वह दिमाग की अपेक्षा दिल से ज्यादा काम लेते हैं.
3. इस राशि के लोग संकोची, शर्मीले और झिझकने वाले होते हैं.
4. मकान, जमीन और सेवाओं वाले क्षेत्र में इस राशि के जातक कार्य करते हैं.
5. स्वास्थ्य की दृष्टि से फेफड़ों में शीत, पाचनतंत्र एवं आंतों से संबंधी बीमारियां जातकों मे मिलती हैं. इन्हें पेट की बीमारी से प्राय: कष्ट होता है. पैर के रोगों से भी सचेत रहें.
6. बचपन से युवावस्था की अपेक्षा जातकों की वृद्धावस्था अधिक सुखी और ज्यादा स्थिर होता है.
7. इस राशि वाल पुरुषों का शरीर भी स्त्रियों की भांति कोमल होता है. ये नाजुक और ललित कलाओं से प्रेम करने वाले लोग होते हैं.
8. ये अपनी योग्यता के बल पर ही उच्च पद पर पहुंचते हैं. विपरीत परिस्थितियां भी इन्हें डिगा नहीं सकतीं और ये अपनी सूझबूझ, धैर्य, चातुर्य के कारण आगे बढ़ते रहते है.
9. बुध का प्रभाव इनके जीवन मे स्पष्ट झलकता है. अच्छे गुण, विचारपूर्ण जीवन, बुद्धिमत्ता, इस राशि वाले में अवश्य देखने को मिलती है.
10. शिक्षा और जीवन में सफलता के कारण लज्जा और संकोच तो कम हो जाते हैं, परंतु नम्रता तो इनका स्वाभाविक गुण है.
11. इनको अकारण क्रोध नहीं आता, किंतु जब क्रोध आता है तो जल्दी समाप्त नहीं होता. जिसके कारण क्रोध आता है, उसके प्रति घृणा की भावना इनके मन में घर कर जाती है.
12.  इनमें भाषण व बातचीत करने की अच्छी कला होती है. संबंधियों से इन्हें विशेष लाभ नहीं होता है, इनका वैवाहिक जीवन भी सुखी नहीं होता. यह जरूरी नहीं कि इनका किसी और के साथ संबंध होने के कारण ही ऐसा होगा.
13. इनके प्रेम सम्बन्ध प्राय: बहुत सफल नहीं होते हैं. इसी कारण निकटस्थ लोगों के साथ इनके झगड़े चलते रहते हैं.
14. ऐसे व्यक्ति धार्मिक विचारों में आस्था तो रखते हैं, परंतु किसी विशेष मत के नहीं होते हैं. इन्हें बहुत यात्राएं भी करनी पड़ती है तथा विदेश गमन की भी संभावना रहती है. जिस काम में हाथ डालते हैं लगन के साथ पूरा करके ही छोड़ते हैं.
15. इस राशि वाले लोग अपरिचित लोगों मे अधिक लोकप्रिय होते हैं, इसलिए इन्हें अपना संपर्क विदेश में बढ़ाना चाहिए. वैसे इन व्यक्ति की मैत्री किसी भी प्रकार के व्यक्ति के साथ हो सकती है.
तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
राशि स्वरूप- तराजू जैसा, राशि स्वामी- शुक्र.
1. तुला राशि का चिह्न तराजू है और यह राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है, यह वायुतत्व की राशि है. शुक्र राशि का स्वामी है. इस राशि वालों को कफ की समस्या होती है.
2. इस राशि के पुरुष सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं. आंखों में चमक व चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है. इनका स्वभाव सम होता है.
3. किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहन देना, सहारा देना इनका स्वभाव होता है. ये व्यक्ति कलाकार, सौंदर्योपासक व स्नेहिल होते हैं.
4. ये लोग व्यावहारिक भी होते हैं व इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं.
5. तुला राशि की स्त्रियां मोहक व आकर्षक होती हैं. स्वभाव खुशमिजाज व हंसी खनखनाहट वाली होती हैं. बुद्धि वाले काम करने में अधिक रुचि होती है.
6. घर की साजसज्जा व स्वयं को सुंदर दिखाने का शौक रहता है. कला, गायन आदि गृह कार्य में दक्ष होती हैं. बच्चों से बेहद जुड़ाव रहता है.
7. तुला राशि के बच्चे सीधे, संस्कारी और आज्ञाकारी होते हैं. घर में रहना अधिक पसंद करते हैं. खेलकूद व कला के क्षेत्र में रुचि रखते हैं.
8. तुला राशि के जातक दुबले-पतले, लम्बे व आकर्षक व्यक्तिव वाले होते हैं. जीवन में आदर्शवाद व व्यवहारिकता में पर्याप्त संतुलन रखते हैं.
9. इनकी आवाज विशेष रूप से सौम्य होती हैं. चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान छाई रहती है.
10. इन्हें ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करना बहुत भाता है. ये एक अच्छे साथी हैं, चाहें वह वैवाहिक जीवन हो या व्यावसायिक जीवन.
11. आप अपने व्यवहार में बहुत न्यायवादी व उदार होते हैं. कला व साहित्य से जुड़े रहते हैं. गीत, संगीत, यात्रा आदि का शौक रखने वाले व्यक्ति अधिक अच्छे लगते हैं.
12. लड़कियां आत्म विश्वास से परिपूर्ण होती हैं. आपके मनपसंद रंग गहरा नीला व सफेद होते हैं. आपको वैवाहिक जीवन में स्थायित्व पसंद आता है.
13. आप अधिक वाद-विवाद में समय व्यर्थ नहीं करती हैं. आप सामाजिक पार्टियों, उत्सवों में रुचिपूर्वक भाग लेती हैं.
14. आपके बच्चे अपनी पढ़ाई या नौकरी आदि के कारण जल्दी ही आपसे दूर जा सकते हैं.
15. एक कुशल मां साबित होती हैं जो कि अपने बच्चों को उचित शिक्षा व आत्म विश्वास प्रदान करती हैं.
वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
राशि स्वरूप- बिच्छू जैसा, राशि स्वामी- मंगल.
1. वृश्चिक राशि का चिह्न बिच्छू है और यह राशि उत्तर दिशा की द्योतक है. वृश्चिक राशि जलतत्व की राशि है. इसका स्वामी मंगल है. यह स्थिर राशि है, यह स्त्री राशि है.
2. इस राशि के व्यक्ति उठावदार कद-काठी के होते हैं. यह राशि गुप्त अंगों, उत्सर्जन, तंत्र व स्नायु तंत्र का प्रतिनिधित्व करती है. अत: मंगल की कमजोर स्थिति में इन अंगों के रोग जल्दी होते हैं. ये लोग एलर्जी से भी अक्सर पीडि़त रहते हैं. विशेषकर जब चंद्रमा कमजोर हो.
3. वृश्चिक राशि वालों में दूसरों को आकर्षित करने की अच्छी क्षमता होती है. इस राशि के लोग बहादुर, भावुक होने के साथ-साथ कामुक होते हैं.
4. शरीरिक गठन भी अच्छा होता है. ऐसे व्यक्तियों की शारीरिक संरचना अच्छी तरह से विकसित होती है. इनके कंधे चौड़े होते हैं. इनमें शारीरिक व मानसिक शक्ति प्रचूर मात्रा में होती है.
5. इन्हें बेवकूफ बनाना आसान नहीं होता है, इसलिए कोई इन्हें धोखा नहीं दे सकता. ये हमेशा साफ-सुथरी और सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं. कभी-कभी साफगोई विरोध का कारण भी बन सकती है.
6. ये जातक दूसरों के विचारों का विरोध ज्यादा करते हैं, अपने विचारों के पक्ष में कम बोलते हैं और आसानी से सबके साथ घुलते-मिलते नहीं हैं.
7. यह जातक अक्सर विविधता की तलाश में रहते हैं. वृश्चिक राशि से प्रभावित लड़के बहुत कम बोलते होते हैं. ये आसानी से किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं. इन्हें दुबली-पतली लड़कियां आकर्षित करती हैं.
8. वृश्चिक वाले एक जिम्मेदार गृहस्थ की भूमिका निभाते हैं. अति महत्वाकांक्षी और जिद्दी होते हैं. अपने रास्ते चलते हैं मगर किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते.
9. लोगों की गलतियों और बुरी बातों को खूब याद रखते हैं और समय आने पर उनका उत्तर भी देते हैं. इनकी वाणी कटु और गुस्सा तेज होता है मगर मन साफ होता है. दूसरों में दोष ढूंढने की आदत होती है. जोड़-तोड़ की राजनीति में चतुर होते हैं.
10. इस राशि की लड़कियां तीखे नयन-नक्ष वाली होती हैं. यह ज्यादा सुन्दर न हों तो भी इनमें एक अलग आकर्षण रहता है. इनका बातचीत करने का अपना विशेष अंदाज होता है.
11. ये बुद्धिमान और भावुक होती हैं. इनकी इच्छा शक्ति बहुत दृढ़ होती है. स्त्रियां जिद्दी और अति महत्वाकांक्षी होती हैं. थोड़ी स्वार्थी प्रवृत्ति भी होती हैं.
12. स्वतंत्र निर्णय लेना इनकी आदत में होते है. मायके परिवार से अधिक स्नेह रहता है. नौकरीपेशा होने पर अपना वर्चस्व बनाए रखती हैं.
13. इन लोगों काम करने की क्षमता काफी अधिक होती है. वाणी की कटुता इनमें भी होती है, सुख-साधनों की लालसा सदैव बनी ही रहती है.
14. ये सभी जातक जिद्दी होते हैं, काम के प्रति लगन रखते हैं, महत्वाकांक्षी व दूसरों को प्रभावित करने की योग्यता रखते हैं. ये व्यक्ति उदार व आत्मविश्वासी भी होते है.
15. वृश्चिक राशि के बच्चे परिवार से अधिक स्नेह रखते हैं. कम्प्यूटर-टीवी का बेहद शौक होता है. दिमागी शक्ति तीव्र होती है, खेलों में इनकी रुचि होती है.
धनु- ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
राशि स्वरूप- धनुष उठाए हुए, राशि स्वामी- बृहस्पति.
1. धनु द्वि-स्वभाव वाली राशि है. इस राशि का चिह्न धनुषधारी है. यह राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है.
2. धनु राशि वाले काफी खुले विचारों के होते हैं. जीवन के अर्थ को अच्छी तरह समझते हैं.
3. दूसरों के बारे में जानने की कोशिश में हमेशा करते रहते हैं.
4. धनु राशि वालों को रोमांच काफी पसंद होता है. ये निडर व आत्म विश्वासी होते हैं. ये अत्यधिक महत्वाकांक्षी और स्पष्टवादी होते हैं.
5. स्पष्टवादिता के कारण दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते हैं.
6. इनके अनुसार जो इनके द्वारा परखा हुआ है, वही सत्य है. अत: इनके मित्र कम होते हैं. ये धार्मिक विचारधारा से दूर होते हैं.
7. धनु राशि के लड़के मध्यम कद काठी के होते हैं. इनके बाल भूरे व आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं. इनमें धैर्य की कमी होती है.
8. इन्हें मेकअप करने वाली लड़कियां पसंद हैं. इन्हें भूरा और पीला रंग प्रिय होता है.
9. अपनी पढ़ाई और करियर के कारण अपने जीवन साथी और विवाहित जीवन की उपेक्षा कर देते हैं. पत्नी को शिकायत का मौका नहीं देते और घरेलू जीवन का महत्व समझते हैं.
10. धनु राशि की लड़कियां लंबे कदमों से चलने वाली होती हैं. ये आसानी से किसी के साथ दोस्ती नहीं करती हैं.
11.  ये एक अच्छी श्रोता होती हैं और इन्हें खुले और ईमानदारी पूर्ण व्यवहार के व्यक्ति पसंद आते हैं. इस राशि की स्त्रियां गृहणी बनने की अपेक्षा सफल करियर बनाना चाहती है.
12.  इनके जीवन में भौतिक सुखों की महत्ता रहती है. सामान्यत: सुखी और संपन्न जीवन व्यतीत करती हैं.
13. इस राशि के जातक ज्यादातर अपनी सोच का विस्तार नहीं करते एवं कई बार कन्फयूज रहते हैं. एक निर्णय पर पंहुचने पर इनको समय लगता है एवं यह देरी कई बार नुकसान दायक भी हो जाती है.
14. ज्यादातर यह लोग दूसरों के मामलों में दखल नहीं देते एवं अपने काम से काम रखते हैं.
15. इनका पूरा जीवन लगभग मेहनत करके कमाने में जाता है या यह अपने पुश्तैनी कार्य को ही आगे बढाते हैं.
मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
राशि स्वरूप- मगर जैसा, राशि स्वामी- शनि.
1. मकर राशि का चिह्न मगरमच्छ है. मकर राशि के व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होते हैं. यह सम्मान और सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य कर सकते हैं.
2. इनका शाही स्वभाव व गंभीर व्यक्तित्व होता है. आपको अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है.
3. इन्हें यात्रा करना पसंद है. गंभीर स्वभाव के कारण आसानी से किसी को मित्र नहीं बनाते हैं. इनके मित्र अधिकतर कार्यालय या व्यवसाय से ही संबंधित होते हैं.
4. सामान्यत: इनका मनपसंद रंग भूरा और नीला होता है. कम बोलने वाले, गंभीर और उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को ज्यादा पसंद करते हैं.
5. ईश्वर व भाग्य में विश्वास करते हैं. दृढ़ पसंद-नापसंद के चलते इनका वैवाहिक जीवन लचीला नहीं होता और जीवनसाथी को आपसे परेशानी महसूस हो सकती है.
6. मकर राशि के लड़के कम बोलने वाले होते हैं. इनके हाथ की पकड़ काफी मजबूत होती है. देखने में सुस्त, लेकिन मानसिक रूप से बहुत चुस्त होते हैं.
7. प्रत्येक कार्य को बहुत योजनाबद्ध ढंग से करते हैं. गहरा नीला या श्वेत रंग प्रधान वस्त्र पहने हुए लड़कियां इन्हें बहुत पसंद आती हैं.
8. आपकी खामोशी आपके साथी को प्रिय होती है. अगर आपका जीवनसाथी आपके व्यवहार को अच्छी तरह समझ लेता है तो आपका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है.
9. आप जीवन साथी या मित्रों के सहयोग से उन्नति प्राप्त कर सकते हैं.
10. मकर राशि की लड़कियां लम्बी व दुबली-पतली होती हैं. यह व्यायाम आदि करना पसंद करती हैं. लम्बे कद के बाबजूद आप ऊंची हिल की सैंडिल पहनना पसंद करती हैं.
11. पारंपरिक मूल्यों पर विश्वास करने वाली होती हैं. छोटे-छोटे वाक्यों में अपने विचारों को व्यक्त करती हैं.
12. दूसरों के विचारों को अच्छी तरह से समझ सकती हैं. इनके मित्र बहुत होते हैं और नृत्य की शौकिन होती हैं.
13. इनको मजबूत कद कठी के व्यक्ति बहुत आकर्षित करते हैं. अविश्वसनीय संबंधों में विश्वास नहीं करती हैं.
14. अगर आप करियर वुमन हैं तो आप कार्य क्षेत्र में अपना अधिकतर समय व्यतीत करती हैं.
15. आप अपने घर या घरेलू कार्यों के विषय में अधिक चिंता नहीं करती हैं.
कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
राशि स्वरूप- घड़े जैसा, राशि स्वामी- शनि.
1. राशि चक्र की यह ग्यारहवीं राशि है. कुंभ राशि का चिह्न घड़ा लिए खड़ा हुआ व्यक्ति है. इस राशि का स्वामी भी शनि है. शनि मंद ग्रह है तथा इसका रंग नीला है. इसलिए इस राशि के लोग गंभीरता को पसंद करने वाले होते हैं एवं गंभीरता से ही कार्य करते हैं.
2. कुंभ राशि वाले लोग बुद्धिमान होने के साथ-साथ व्यवहारकुशल होते हैं. जीवन में स्वतंत्रता के पक्षधर होते हैं. प्रकृति से भी असीम प्रेम करते हैं.
3. शीघ्र ही किसी से भी मित्रता स्थपित कर सकते हैं. आप सामाजिक क्रियाकलापों में रुचि रखने वाले होते हैं. इसमें भी साहित्य, कला, संगीत व दान आपको बेहद पसंद होता हैं.
4. इस राशि के लोगों में साहित्य प्रेम भी उच्च कोटि का होता है.
5. आप केवल बुद्धिमान व्यक्तियों के साथ बातचीत पसंद करते हैं. कभी भी आप अपने मित्रों से असमानता का व्यवहार नहीं करते हैं.
6. आपका व्यवहार सभी को आपकी ओर आकर्षित कर लेता है.
7. कुंभ राशि के लड़के दुबले होते हैं. आपका व्यवहार स्नेहपूर्ण होता है. इनकी मुस्कान इन्हें आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करती है.
8. इनकी रुचि स्तरीय खान-पान व पहनावे की ओर रहती है. ये बोलने की अपेक्षा सुनना ज्यादा पसंद करते हैं. इन्हें लोगों से मिलना जुलना अच्छा लगता है.
9. अपने व्यवहार में बहुत ईमानदार रहते हैं, इसलिये अनेक लड़कियां आपकी प्रशंसक होती हैं. आपको कलात्मक अभिरुचि व सौम्य व्यक्तित्व वाली लड़कियां आकर्षित करती हैं.
10. अपनी इच्छाओं को दूसरों पर लादना पसंद नहीं करते हैं और अपने घर परिवार से स्नेह रखते हैं.
11. कुंभ राशि की लड़कियां बड़ी-बड़ी आंखों वाली व भूरे बालों वाली होती हैं. यह कम बोलती हैं, इनकी मुस्कान आकर्षक होती है.
12. इनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है, किन्तु आसानी से किसी को अपना नहीं बनाती हैं. ये अति सुंदर और आकर्षक होती हैं.
13. आप किसी कलात्मक रुचि, पेंटिग, काव्य, संगीत, नृत्य या लेखन आदि में अपना समय व्यतीत करती हैं.
14. ये सामान्यत: गंभीर व कम बोलने वाले व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होती हैं.
15. इनका जीवन सुखपूर्वक व्यतित होता है, क्योंकि ये ज्यादा इच्छाएं नहीं करती हैं. अपने घर को भी कलात्मक रूप से सजाती हैं.
मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची
राशि स्वरूप- मछली जैसा, राशि स्वामी- बृहस्पति.
1. मीन राशि का चिह्न मछली होता है. मीन राशि वाले मित्रपूर्ण व्यवहार के कारण अपने कार्यालय व आस पड़ोस में अच्छी तरह से जाने जाते हैं.
2. आप कभी अति मैत्रीपूर्ण व्यवहार नहीं करते हैं. बल्कि आपका व्यवहार बहुत नियंत्रित रहता है. ये आसानी से किसी के विचारों को पढ़ सकते हैं.
3. अपनी ओर से उदारतापूर्ण व संवेदनाशील होते हैं और व्यर्थ का दिखावा व चालाकी को बिल्कुल नापसंद करते हैं.
4. एक बार किसी पर भी भरोसा कर लें तो यह हमेशा के लिए होता है, इसीलिये आप आपने मित्रों से अच्छा भावानात्मक संबंध बना लेते हैं.
5. ये सौंदर्य और रोमांस की दुनिया में रहते हैं. कल्पनाशीलता बहुत प्रखर होती है. अधिकतर व्यक्ति लेखन और पाठन के शौकीन होते हैं. आपको नीला, सफेद और लाल रंग-रूप से आकर्षित करते हैं.
6. आपकी स्तरीय रुचि का प्रभाव आपके घर में देखने को मिलता है. आपका घर आपकी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
7. अपने धन को बहुत देखभाल कर खर्च करते हैं. आपके अभिन्न मित्र मुश्किल से एक या दो ही होते हैं. जिनसे ये अपने दिल की सभी बातें कह सकते हैं. ये विश्वासघात के अलावा कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं.
8. मीन राशि के लड़के भावुक हृदय व पनीली आंखों वाले होते हैं. अपनी बात कहने से पहले दो बार सोचते हैं. आप जिंदगी के प्रति काफी लचीला दृटिकोण रखते हैं.
9. अपने कार्य क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिये परिश्रम करते हैं. आपको बुद्धिमान और हंसमुख लोग पसंद हैं.
10. आप बहुत संकोचपूर्वक ही किसी से अपनी बात कह पाते हैं. एक कोमल व भावुक स्वभाव के व्यक्ति हैं. आप पत्नी के रूप में गृहणी को ही पसंद करते हैं.
11. ये खुद घरेलू कार्यों में दखलंदाजी नहीं करते हैं, न ही आप अपनी व्यावसायिक कार्य में उसका दखल पसंद करते हैं. आपका वैवाहिक जीवन अन्य राशियों की अपेक्षा सर्वाधिक सुखमय रहता है.
12. मीन राशि की लड़कियां भावुक व चमकदार आंखों वाली होती हैं. ये आसानी से किसी से मित्रता नहीं करती हैं, लेकिन एक बार उसकी बातों पर विश्वास हो जाए तो आप अपने दिल की बात भी उससे कह देती हैं.
13. ये स्वभाव से कला प्रेमी होती हैं. एक बुद्धिमान व सभ्य व्यक्ति आपको आकर्षित करता है. आप शांतिपूर्वक उसकी बात सुन सकती हैं और आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करती हैं.
14. अपनी मित्रता और वैवाहिक जीवन में सुरक्षा व दृढ़ता रखना पसंद करती हैं. ये अपने पति के प्रति विश्वसनीय होती है और वैसा ही व्यवहार अपने पति से चाहती हैं.
15. आपको ज्योतिष आदि में रुचि हो सकती है. आपको नई-नई चीजें सीखने का शौक होता है.
साभार ajabgjab

गुरु का कन्या में गोचर का राशियों पर प्रभाव. गुरु / बृहस्पति गोचर में कन्या राशि में  11 अगस्त 2016 को प्रवेश करने वाले हैं और इसी राशि में वे 12 सितम्बर 2017 तक भ्रमण करते रहेंगे. गुरु /बृहस्पति  का कन्या में गोचर का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग रूप में पड़ेगा. आइये जानते है कि बृहस्पति/ गुरु का सिंह से कन्या राशि में परिवर्तन से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा धन, भाई-बंधू, माता-पिता, परिवार, शिक्षा, व्यवसाय, वैवाहिक जीवन इत्यादि का कितना प्रभाव पड़ेगा.  इस राशि में गुरु सबसे पहले सूर्य के उतरा फाल्गुनी नक्षत्र में भ्रमण करेंगे उसके बाद  चन्द्र तथा मंगल के नक्षत्र में परिभ्रमण करेंगे. वही नवांश में  मकर राशि से लेकर कन्या राशि तक क्रमशः परिभ्रमण करेंगे. गुरु का अपने मित्र राशि में आने से मांगलिक कार्य होने के संकेत मिलता है.
यहां लग्न तथा चंद्र राशि को आधार मानकर, गुरु का द्वादश राशियों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है कि विस्तृत विवेचना की जा रही है. जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस राशि में होता है उसे ही राशि या चन्द्र राशि कहते है. आइये जानते है ! गुरु का गोचर में कन्या राशि में आने से सभी राशियों पर क्या-क्या असर पड़ेगा है.
गुरु का कन्या में गोचर और उसका सभी राशियों पर प्रभाव | Jupiter transit in Virgo and its Effects 
गुरु का कन्या में गोचर का मेष राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Aries Sign
मेष राशि तथा मेष लग्न वालो के कुंडली में वृहस्पति का गोचर छठे / षष्ठ भाव में हो रहा है. गुरु यहाँ बैठकर कर्म, व्यय तथा धन स्थान को देख रहा है अतः स्पष्ट है की कठिन मेहनत से ही सफलता मिलेगी. कार्यक्षेत्र के लिए अनुकूल समय है यदि नौकरी की तलाश कर रहे है तो  निश्चित ही नौकरी मिलेगी. यदि नौकरी में परिवर्तन चाह रहे है तो अनुकूल समय है आपको इस समय का लाभ उठाना चाहिए.आर्थिक व पारिवारिक मामलों के लिए भी समय अनुकूल रहेगा.व्यवसाय के लिए लोन लेने पड़ सकते है. लड़ाई-झगड़ा एवं विवाद का योग बन रहा है इसलिए यथा सम्भव इससे बचने का प्रयास करे. विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिता में सफलता पाने का सुवसर है  प्रतियोगी बने सफलता कदम चूमेगी. स्वास्थ खराब हो सकता है अतः तुरंत ध्यान दे आलस्य न करे. शत्रुओ से बचे उसे हावी न होने दें. भाग्येश गुरु कर्म तथा विदेश भाव को देख रहा  अतः कार्य को लेकर विदेश यात्रा या लम्बी यात्रा करनी पड़ सकती है.
गुरु का कन्या में गोचर का वृष राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Taurus Sign
वृष राशि तथा वृष लग्न वालो के कुंडली में वृहस्पति का गोचर पंचम भाव में होगा. पंचम भाव लक्ष्मी, संतान, बुद्धि, प्यार, शेयर मार्किट इत्यादि का भाव है अतः जातक को इससे सम्बंधित विषय विशेष का शुभ – अशुभ दोनों समाचार मिलेगा. शेयर मार्केट में पैसा सोच-समझकर ही लगाए अचानक लाभ तथा हानि दोनों के लिए तैयार रहे. यदि  आप विद्यार्थी है तो उसे शिक्षा के क्षेत्रों  में सफलता विलम्ब के साथ मिलेगी यदि कही किसी कोर्स में एडमिशन लेना चाहते है तो एडमिशन तो मिलेगा परन्तु परेशानी के साथ. कोई नया प्रोजेक्ट पर भी काम करना पर सकता है. आप अपने बुद्धि कौशल से भाग्य का निर्माण करेंगे इस बात का अवश्य ही ध्यान रखे. नौकरी करने वाले जातक को नए दायित्व का निर्वहन करने के लिए तैयार रहना चाहिए. यदि प्रोन्नति(promotion) के लिए सोच रहे है तो इसका लाभ मिल सकता है. आपके घर परिवार में किसी न किसी प्रकार का शुभ कार्य का आयोजन निश्चित ही होगा. संतान पक्ष से कुछ कष्ट हो सकता है. व्यापार तथा व्यवसाय में लाभ ही लाभ होगा परन्तु जल्दबाजी न करे. आपको अपने मित्रों  का सहयोग मिलेगा तथा नए मित्र भी बनेंगे. स्वास्थ के दृष्टिकोण से वृहस्पति का गोचर ठीक ही रहेगा परन्तु पेट से सम्बन्धित बिमारी परेशान कर सकता है. आपका सामाजिक दायरा बढे़गा तथा धर्म स्थलों पर जाने तथा धार्मिक कार्यो से जुड़ने का अवसर मिल सकता है.
गुरु का कन्या में गोचर का मिथुन राशि (Gemini Sign)पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on
मिथुन राशि वालो के लिए इस समय गुरु का गोचर चतुर्थ भाव में होगा अतः जातक को चतुर्थ भाव से सम्बंधित फल की प्राप्ति होगी. अगर आप नए घर  की तलाश में है तो इस अवधि में मकान लेकर नव-निर्मित घर में प्रवेश कर सकते हैं. नई गाड़ी का भी योग है. घर-परिवार में सौहार्द पूर्ण वातावरण बना रहेगा. आपके सामाजिक तथा पारिवारिक मान-सम्मान में वृद्धि होगी. बड़े अधिकारियों का सहयोग मिलेगा. यदि आप नौकरी की तलाश में है तो निश्चय ही नौकरी मिलेगी. यदि नौकरी में परिवर्तन चाहते है तो इसके लिए भी अनुकूल समय है. इस समय आपके द्वारा सोचे गए सभी कार्य पूरे होने की प्रबल सम्भावना है. आपको साझेदारी में कोई व्यवसाय करने का अवसर मिलेगा. कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी तथा मेहनत का पूर्ण फल मिलेगा.  धार्मिक कार्यो में रूचि बढ़ेगी. प्रोपर्टी में पैसा लगा सकते है. स्वास्थ्य ठीक ही रहेगा परन्तु ध्यान देने की आवश्यकता है.
गुरु का कन्या में गोचर का कर्क राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Cancer Sign
बृहस्पति का गोचर आपके तृतीय भाव में हो रहा है फलस्वरूप आप मेहनत से भाग्य का निर्माण करने में सफल होंगे. पैतृक सम्पति को लेकर अथवा अन्य कारण से भी भाइयो में विवाद हो सकता है. अगर ऐसी स्थिति आती है तो धैर्य तथा विवेक का परिचय दे सब ठीक हो जाएगा. गुरु का यहाँ होने से   आपके अंदर नए कार्यो के प्रति रूचि बढ़ेगी. प्रचुर मात्रा में मान सम्मान में वृद्धि होगी. छोटी यात्रा का बार-बार संयोग बनेगा तथा यात्राओं के माध्यम आपका काम भी पूर्ण होगा. यात्रा के समय विवाद से बचें यात्रा में चोट भी लग सकता है अतः गाडी संभलकर चलाने में ही बुद्धिमानी होगी. आप अपने स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान रखे. तृतीये भाव से वृहस्पति अपने पंचम दृस्टि से सप्तम भाव को देख रहा है अतः विवाह की इच्छा रखने वालो की इच्छा पूरी होगी. पार्टनरशिप में कोई कार्य होने की सम्भावना बनेगी तथा उससे लाभ भी मिलेगा. मामा के यहाँ कोई शुभ कार्य होगा और आपको जाने का मौका मिलेगा.
गुरु का कन्या में गोचर का सिंह राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Leo Sign
गोचर में वृहस्पति /गुरु आपके धन भाव में रहेगा तथा वहाँ से सप्तम दृष्टि से अष्टम भाव को  देख रहा है अतः रुका हुआ धन सम्पति का लाभ मिल सकता है. इन्सुरेंस की परिपक्वता राशि मिल सकती है. अचानक नौकरी भी मिल सकती है. वृहस्पति भाग्येश होकर गोचर में द्वितीय भाव में है घर परिवार में कोई नए मेहमान आ सकते है परिवार में वृद्धि हो सकती है. शुभ कार्यो में व्यय होगा. कई बार कार्यो में रुकावट भी आएगी परन्तु अंततः सफलता मिलेगी. बीमारी से बचे. ऋण लेने का योग है अतः आपको ऋण लेना पड़ सकता है. संतान  चाहने वाले व्यक्ति को संतान सुख मिलेगा तथा प्यार करने वाले को प्यार का सुख मिलेगा  संतान के ऊपर खर्च करने का अवसर मिलेगा. प्रेम का नया दौर शुरू हो सकता है. पिताजी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है इससे उनके कार्यक्षेत्र पर भी असर पर सकता है.
गुरु का कन्या में गोचर का कन्या राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Virgo Sign
कन्या राशि वालो के लिए बृहस्पति चतुर्थेश तथा सप्तमेश होकर लग्न में स्थित है यह स्थिति आपके लिए अनुकूल है  बंधू बांधव का सुख मिलेगा. यदि आप विवाह के इच्छुक है तो विवाह के बंधन में बंध सकते हैं. प्रेम और विवाह दोनों संभव है.  घर परिवार में सुख शांति का माहौल रहेगा परिवार में कोई शुभ कार्य होने के प्रबल योग बन  रहा है. आय में वृद्धि होगी परन्तु कभी-कभी रूकावट भी आएगी उससे घबराये नहीं. कार्य स्थल पर उच्च अधिकारियों का सहयोग मिलेगा. नौकरी में प्रोन्नति भी मिलने की सम्भावना है. अपने स्वभाव में सकारात्मक एवं तार्किक सोच विकसित करें.
गुरु का कन्या में गोचर का तुला राशि  पर प्रभाव  | Jupiter Transit Effects on Libra Sign
तुला राशि के लिए बृहस्पति बारहवें भाव में गोचर कर रहा है यह स्थिति जातक के लिए बहुत अच्छी नहीं है आपके परिश्रम का ह्रास होगा आलस्य बढ़ेगा नकारात्मक सोच बढ़ेगा फलस्वरूप आप मानसिक रूप से परेशान होंगे. आत्मविश्वास की कमी होगी. भाइयो तथा घर-परिवार का व्यय बढ़ेगा. शत्रु आपके ऊपर हावी हो सकते है इस कारण आप बेवजह परेशान होंगे. किसी शुभ कार्यो में व्यय होगा. फिर भी अधिक खर्च से बचने में बुद्धिमानी होगी. पत्नी से अकारण विवाद हो सकता है.  व्यर्थ तथा धर्म-स्थल की यात्राएं हो सकती है. ईश्वर आराधना करे आपका कल्याण होगा. यदि पार्टनरशिप में यदि कोई कार्य कर रहे है तो धैर्य बनाये रखे तथा सम्बन्धो में छोटी-छोटी बात को लेकर करवाहट न लाये अन्यथा इसके परिणाम भयंकर हो सकते है.
गुरु का कन्या में गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Libra Sign
वृहस्पति/गुरु  दूसरे तथा पांचवे भाव का स्वामी होकर गोचर में आपके लाभ स्थान में स्थित है अतः आपको आपको धन तथा परिवार का लाभ मिलेगा.  प्रबल धन योग बन रहा है. अतः धन उपार्जन के नए-नए रास्ते मिल सकते हैं. संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है. नए कार्य की शरुआत हो सकती है. यदि विद्यार्थी है तो आपका कोई न कोई पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल सकता है. आपके बड़े भाई का सहयोग मिलेगा. आपमें प्यार (Love) का परवान भी चढ़ सकता है अतः अपनी मर्यादा का ध्यान रखते हुए ही कदम आगे बढ़ाये. झूठ-सच बोलकर लाभ लेने से बचें. आप वैवाहिक बंधन में बंध सकते है.
गुरु का कन्या में गोचर का धनु राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Sagitarius Sign
लग्न का स्वामी गुरु का गोचर आपके कर्म भाव में हो रहा है अतः आपके  कार्यो का विस्तार बढ़ेगा. आपके व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि होगी. व्यवसाय और नौकरी को लेकर की गई यात्राएँ सुखद रहेगा. आपको अधिकारियो का सहयोग मिलेगा. सामजिक तथा पारिवारिक मान-सम्मान में वृद्धि होगी.  नए नौकरी मिलेगी तथा नौकरी(Job)  में परिवर्तन का यह अनुकूल समय है. नौकरी में प्रोन्नति भी मिलेगी. नया मकान ले सकते है या पुराने मकान का सौंदर्यीकरण करा सकते है. व्यापार में धन का निवेश कर सकते है. स्वास्थ उत्तम बना रहेगा. परिवार का माहौल सौहार्दपूर्ण रहेगा.
गुरु का कन्या में गोचर का मकर राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Capricorn Sign
बृहस्पति का गोचर आपके भाग्यस्थान पर हो रहा है इस कारण गुरु गोचर 2016 आपके भाग्योदय में निश्चित ही सहायक होगा. गुरु आपके कुंडली में बारहवे और तीसरे भाव का स्वामी होकर भाग्य भाव स्थित होकर आपके अंदर प्रचुर उत्साह और विश्वास का संचार बनाये रखेगा. आप अपने व्यवसाय को नए मुकाम पर लेकर जा सकते है आपको इसके लिए उचित अवसर तथा लोगो का साथ भी मिलेगा.  लघु तथा लम्बी यात्रा करनी पड़ सकती है और इससे लाभ भी मिलेगा. आप भविष्य के लिए नई व्यवस्था बनाने में सफल होंगे. कर्म पर जोड़ दे ज्यादा भाग्यवादी न बने. मान-सम्मान में बढोत्तरी हो सकता है. योगाभ्यास (yoga practice) करे मन बुद्धि शांत रहेगा. विदेश (Abroad) जाने के लिए सोच रहे है तो यह अनुकूल समय है प्रयास करे सफलता मिलेगी. घर परिवार का  माहौल आपके अनुकूल रहेगा. आप धर्म से जुड़ सकते है.
गुरु का कन्या में गोचर का कुम्भ राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on Aquarius Sign
यदि आप कुम्भ राशि के है तो अगस्त 2016 से गुरु/ बृहस्पति का गोचर आपके अष्टम भाव में हो रहा है अत: आपके कार्यो में अवश्य ही रूकावट आएगी. परिणाम स्वरूप आपका मन अशांत रहेगा संयम बरतें अपने आप समस्या का समाधान निकल जाएगा. आपको अपने स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होगा. गुरु धन भाव तथा लाभेश होकर अष्टम स्थान में विचरण कर रहा है अष्टम स्थान से धन भाव पर गुरु की दृष्टि होने से धन लाभ होने की सम्भावना है इंट्रेस्ट अथवा फिक्स्ड डिपाजिट से लाभ मिल सकता है. अकस्मात धन लाभ हो सकता है, साथ ही खर्च भी बढ़ेगा.  प्रॉपर्टी के ऊपर व्यय होगा. इस समय धन का निवेश करना ठीक नहीं होगा. आर्थिक मामलों में बड़ी ही सावधानी रखने की जरूरत है. तंत्र-मंत्र के जाल में  फंस  फस सकते है  इससे बचना ही बेहतर विकल्प है. इस समय आप आध्यात्म की ओर प्रवृत्त हो सकते है. अपने ऊपर श्रद्धा तथा विश्वास बनाये रखें.
गुरु का कन्या में गोचर का मीन राशि पर प्रभाव | Jupiter Transit Effects on  Pisces Sign
बृहस्पति/गुरु गोचर में सप्तम भाव में  रहेगा और यहाँ से लग्न को देख रहा है आपकी  इच्छाएं पूर्ण होगी. यदि पार्टनरशिप में कोई कार्य करना चाहते है तो आप कर सकते है. यदि किसी नए काम अथवा नौकरी की तलाश में है तो अवश्य ही सफलता मिलेगी. यात्रा का योग बन रहा है. मान-सम्मान में वृद्धि होगी. विवाह (Marriage) का योग बन रहा है. यदि आप विवाह के उम्र में प्रवेश कर गए/गई है तो गुरु का गोचर आपकी इच्छा की पूर्ति करेंगे. यदि कोई वैवाहिक समस्या है तो शीघ्र ही दूर होगी परन्तु ऐसे नहीं आपके सकारात्मक और निष्पक्ष बुद्धि-विवेक से. प्यार का दौर शुरू हो सकता है. धन का निवेश कर सकते है परन्तु सोच समझकर करे.नौकरी (Service) में प्रोन्नति मिल सकता है. पत्नी से लाभ मिलने का योग बन रहा है पत्नी का सहयोग मिलेगा आप भी उनकी ख़ुशी का ख्याल रखे तथा अपना  विश्वास बनाये रखे.  मित्रो तथा अधिकारियो का पूर्ण सहयोग मिलेगा परन्तु तुरंत नहीं धैर्य रखें.
साभार astroyantra


मेष राशि (21 मार्च से 19 अप्रैल)
मेष राशि वाले आकर्षक और प्रभावशाली स्वभाव वाले होते हैं. इनका व्यक्तित्व रुआबदार और मर्दाना होता है जिससे हर तरह की लड़की इन पर तुरंत ही आकर्षित हो जाती हैं. मेष राशि वाले व्यक्ति जल्दबाज़ी में प्रेम करते हैं और इनका प्रेम ज़्यादा दिन नहीं टिक पाता. कामुक स्वभाव के कारण ये लोग शारीरिक संबंध बनाने में ज़्यादा विश्वास रखते हैं. ये लोग रोमांटिक व्यक्तित्व के धनी होते हैं. मेष राशि वाले जितनी जल्दबाज़ी में किसी से प्रेम करते हैं उतनी ही जल्दी अधिकांशतः: इनका प्रेम संबंध टूट जाता है और ये उस प्रेम के जाल से तुरंत ही बाहर भी आ जाते हैं.

वृष राशि 20 अप्रैल से 20 मई)
वृष राशि वाले उत्तम श्रेणी के प्रेमी होते हैं. वृष राशि वालों को प्रेम संबंध बनाने में महारत हासिल होती है. ये लोग बहुत जल्द किसी से भी प्रेम संबंध बनाने में सक्षम होते हैं. इस राशि के लोग प्रेम में काफ़ी भावुक हो जाते हैं. अपने प्रेमी या जीवन साथी के प्रति इनके प्यार की कोई सीमा नहीं होती. इनके रिलेशन काफ़ी मज़बूत होते हैं और ये जीवनभर रिश्ता निभाते हैं. इनका वैवाहिक जीवन काफ़ी ख़ुशियों भरा होता है और इनका साथी भी इनके साथ बहुत सुखी और ख़ुश रहता है. इस राशि के लोग अपने जीवन साथी या प्रेमी को हर परिस्थिति में सहारा देते हैं और उनकी परेशानियों को दूर करने का पूरा प्रयास करते हैं.

मिथुन राशि (21 मई से 20 जून)
इस राशि के लोगों के जीवन में सामान्यत: कई प्रेम संबंध होते हैं. इसी वजह से कई लोगों की एक से अधिक शादियां भी हो जाती हैं. इनका स्वभाव विपरीत लिंग के प्रति बहुत जल्दी आकर्षित हो जाता है. यदि ऐसा कहा जाए कि मिथुन राशि वाले दिलों से खेलना बख़ूबी जानते हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. ये प्रेम संबंध बनाने में माहिर होते हैं. इस राशि के अधिकांश लोग विवाह को ज़्यादा महत्व नहीं देते और अन्य प्रेम संबंधों में खोये रहते हैं. ये लोग किसी जगह बंधकर नहीं रह सकते, इनका मन इधर-उधर भटकते रहता है.

कर्क राशि (21 जून से 22 जुलाई)
कर्क राशि वाले व्यक्ति प्रेम के मामले में काफ़ी मूडी होते हैं. ये अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार होते हैं और उसे ज़िम्मेदारी के साथ निभाते हैं. कई बार इनके वैवाहिक जीवन में माता-पिता के हस्तक्षेप की वजह से कई परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं. ये अपने जीवन साथी या प्रेमी की भावनाओं की क़द्र करते हैं.
सामान्यतः इनके जीवन में विवाह के बाद काफ़ी परिवर्तन आ जाते हैं या ऐसा कहें कि अधिकांश कर्क राशि वालों का भाग्योदय ही शादी के बाद होता है. प्रेम संबंधों को लेकर इन लोगों में निर्णय लेने की क्षमता इतनी अच्छी नहीं होती, इनका दिमाग़ स्थिर नहीं रहता है.

सिंह राशि  (23 जुलाई से 22 अगस्त)
सिंह राशि के लोग ऐसी आवाज़ के धनी होते हैं, जिसे सुनते ही लड़कियां उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकतीं. इन लोगों का व्यक्तित्व सिंह के समान होता है. ये लोग खुले विचारों वाले होते हैं और आकर्षक व्यक्ति के धनी होते हैं. ये अच्छे प्रेमी होते हैं और इनके प्रेम संबंध काफ़ी हद तक सफ़ल रहते हैं. प्रेम संबंधों को लेकर इन्हें विशेष महारत हासिल होती है. सिंह राशि वालों को आदर्श प्रेमी कहा जा सकता है. ये काफ़ी भावुक और सुंदर शरीर वाले हैं. साथ ही ये अपने जीवन साथी या प्रेमी के प्रति काफ़ी वफ़ादार रहते हैं. मनमौजी स्वभाव के सिंह राशि वाले वैवाहिक जीवन को अंत तक निभाना चाहते हैं.

कन्या राशि (23 अगस्त  से 22 सितंबर)
कन्या राशि के लोगों की गिनती महान प्रेमियों में नहीं की जा सकती. इस राशि के लोग आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं. किसी को भी प्रभावित करने में इन्हें महारत हासिल होती है. वैसे इन्हें अच्छे प्रेमियों के श्रेणी में रखा जा सकता है. ये काफी अच्छे और वफ़ादार जीवन साथी सिद्ध होते हैं. इनका वैवाहिक जीवन काफ़ी मज़बूत रिश्ते वाला होता है. अपने परिवार के प्रति इनका गहरा झुकाव होता है, परिवार के लिए ये कुछ भी त्याग कर सकते हैं. इनकी सोच केवल शारीरिक सुख प्राप्त करने की नहीं होती, अपितु इनके लिए दिल से दिल का मिलन अधिक मायने रखता है.

तुला राशि (23 सितंबर से 22 अक्टूबर)
तुला राशि के लोगों की गिनती महानतम प्रेमियों में की जा सकती है, क्योंकि इस राशि के लोग प्रेम की गहराई को काफ़ी अच्छे से जानते हैं. ये कभी अकेले रहना पसंद नहीं करते, दुख की परिस्थिति में इन्हें किसी मित्र या प्रेमी के साथ और मदद की ज़रूरत रहती है. इनका व्यक्तित्व काफ़ी आकर्षक होता है जो कि अन्य लोगों को इनकी ओर आकर्षित करता है. इनसे मिलकर कोई भी तुरंत ही मोहित हो जाता है. इस राशि के प्रेमी किसी भी व्यक्ति से मिलकर उसके स्वभाव के बारे में सही-सही अंदाज़ा लगा लेते हैं. इनके लिए प्रेम एक पवित्र बंधन के समान होता है.

वृश्चिक राशि  (23 अक्टूबर से 21 नवंबर)
वृश्चिक राशि के लोग विवाह पूर्व उच्च आदर्श प्रेमी होते हैं. अपने प्रेम के लिए कुछ भी कर सकते हैं और सहर्ष ही सब कुछ त्याग भी सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वृश्चिक राशि के प्रेमी अपने साथी के प्रति पूरी तरह ईमानदार रहने का प्रयास करते हैं. इस राशि वालों में ईर्ष्या की भावना भी काफ़ी अधिक होती है. ये अपने प्रेमी या जीवनसाथी की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. इन्हें परिवार और मित्रों से पूरा सहयोग प्राप्त होता है. इन्हें रोमांटिक प्रेमियों की श्रेणी रखा जाता है. इनका शारीरिक सौंदर्य देखते ही बनता है जिससे विपरीत लिंग इनके प्रति बहुत जल्द आकर्षित हो जाता है.

धनु राशि (22 नवंबर के 21 दिसंबर)
इस राशि के प्रेमी काफ़ी संवेदनशील और ख़ुशमज़ाज होते हैं. यह हर पल को ख़ुशी के साथ गुज़ारना चाहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनु राशि के व्यक्ति अच्छे प्रेमी होते हैं परंतु लंबे समय तक इनका प्रेम संबंध नहीं टिकता है. इस वजह से इनके कई प्रेमी होते हैं. इन्हें हमेशा नये चेहरे आकर्षित करते हैं. एक प्रेमी के साथ हमेशा बंधकर रहना इनके स्वभाव में नहीं होता जिससे कई बार इनका जीवन साथी या अपने प्रेमी से विवाद होता रहता है. अधिकांशत: इस राशि के लोग प्रेम में धोखा मिलने से दुखी अवश्य होते हैं परंतु जल्द ही ये अपना नया साथी भी तलाश कर लेते हैं.

मकर राशि (22 दिसंबर से 19 जनवरी)
मकर राशि के लोग थोड़े ज़िद्दी स्वभाव के होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसी स्वभाव के कारण इन्हें प्रेम संबंध में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह लोग अपने जीवनसाथी को बहुत प्रेम करते हैं और उनकी सुरक्षा भी करते हैं परंतु अपनी आदतों के कारण कई बार इनका झगड़ा भी हो जाता है. मकर राशि वाले के प्रेमियों को अच्छे प्रेमियों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इनका बदलता स्वभाव इनकी लव लाइफ़ को पूरी तरह से प्रभावित करता है. परंतु इस राशि के लोग एक बार जिसे अपना मान लेते हैं उसके प्रति पूरी ईमानदारी रखते हैं, ये इनका सबसे ख़ास गुण होता है.

कुंभ राशि (20 जनवरी से 18 फ़रवरी)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस राशि के प्रेमी काफ़ी भावुक और हर कार्य को दिल से करने वाले होते हैं. इस राशि के लोग थोड़े मूडी भी होते हैं. इनका प्रेम चिर स्थायी होता है. प्रेम में ये अति भावुक हो जाते हैं. यह लोग किसी अजनबी से भी नि:स्वार्थ प्रेम कर लेते हैं. मन से चंचल होने कारण इन्हें हमेशा नया-नया करने की आदत होती है. इस राशि के लोग अपना जीवन स्वतंत्रता से जीना चाहते हैं. अपने जीवनसाथी पर पूरा विश्वास रखते हैं. ग़ुस्सा इन्हें कम आता हैं परंतु जब आता है तब ये ख़ुद पर से नियंत्रण खो बैठते हैं. ऐसे कई बार बड़ी गड़बड़ी हो जाती है. इसके परिणामस्वरूप इन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मीन राशि (19 फ़रवरी से 20 मार्च)
मीन राशि के प्रेमियों का स्वभाव मछली के जैसा होता है. अत: इस राशि के लोगों में वैसे ही गुण रहते हैं. इस राशि के लोग अति भावुक होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भावुकता के कारण यह लोग बहुत जल्द विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और उनके प्रेम में पड़ जाते हैं. इन्हें कोई भी आसानी से प्रभावित कर सकता है.
यह लोग प्रेम में अटूट संबंध बनाए रखना चाहते हैं परंतु इनका दिल कई बार टूटता है. वैसे तो इनकी लव लाइफ़ सामान्य ही रहती है. इनकी सोच होती है कि इनका लव पार्टनर इनके प्रति पूर्ण सहानुभूति रखे और समझदार हो.
साभार MAA Kamakhya Tantra Jyotish


पेशकश : सरफ़राज़ ख़ान
मेष : इस राशि व्यक्ति भीड़ में भी अलग नंजर आते हैं. इनमें दिखावे की आदत अधिक होती है. लोगों के बीच अपनी उपस्थिति का अहसास कराना ये बख़ूबी जानते हैं. यदि इनकेसाथ विचारों का तालमेल आसान काम नहीं है. यदि इनकेसाथ अपनी ताल मिलानी है तो आपको भी रहना होगा एक्टिव और उर्जावान.

वृषभ : यदि आप वफ़ादार जीवनसाथी चाहती हैं तो इन पर आंख बंद करकेभरोसा कर सकती हैं। थोड़े जिद्दी जरूर होते हैं, लेकिन इनके रोमांटिक होने मे कोई शक नहीं है. इन्हें रिझाने केलिए आपको नारी के सारे गुण अपनाने होंगे.

मिथुन : इस राशि के पुरुष बुद्विजीवी होते हैं. हो सकता है आप पहली बार में इन्हें बोर समझें, लेकिन इनका व्यवहार कुछ ऐसा होता है कि लोग जल्दी इनके प्रति आकर्षित नहीं होते, लेकिन इन सबसे परे इनका एक संवेदनात्मक कोना भी है.

कर्क : ये सबसे ज़्यादा संवेदनशील व्यक्ति होते हैं. यदि आप बहुत विनम्र और दयालु पति चाहती हैं तो ये आपके लिए सही साबित होते हैं. साथ ही इनमें अंडरस्टैंडिंग बहुत होती है. साथ ही इन पर असानी से भरोसा किया जा सकता है. ईमानदारी में ये हमेशा खरे उतरते हैं. इसलिए ये अच्छे पति साबित होते हैं.

सिंह : इस राशि के व्यक्ति बहुत बड़े समहू से घिरा होने दिखाई देने तो समझ लिजिए किवह सिंह राशि के है. ये स्पष्टवादी है. किसी उदेश्य को लेकर ये इरादा भी ऊंचाइयों को पाने का है तो आपका सिंह राशि के व्यक्ति हैं.

कन्या :  इसे राशि व्यक्ति हक़ीक़त से जुड़े होते है, ये अपने व्यक्तित्व से बख़ूबी परिचित होते हैं और ये आलोचक होते हैं. हर बात का बारीकी से विश्लेषण करते हैं. ये जानते हैं कि आपके लिए क्या ठीक है क्या नहीं इसलिए ऐसे लोगों से सोच समझ कर ही इन्हें चुनिएगा.

तुला : सभी राशियों में तुला राशि ही ऐसी है जिसके व्यक्ति बेहद रोमांटिक होते हैं. ख़ूबसूरती इन्हें पसंद होती है. ये शांत स्वभाव के होते हैं. इसलिए ख़ुद को उस तरह प्रस्तुत नहीं कर पाते जैसे ये हक़ीक़त में होते हैं. इन्हें बच्चों की तरह प्यार से समझाकर रखें. ये हमेशा के लिए आपके होकर रह जाते हैं. इसलिए ये आपके साथ वफ़ादार साबित होते हैं.

वृश्चिक : जैसे कि इनकी राशि से पता चलता है, ज़्यादा छेड़छाड़ इन्हें पसंद नहीं वरना डंक मारने में पीछे नहीं रहेंगे. दिखने में आपको थोड़े रिज़र्व लग सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं, सही जीवनसाथी मिलने पर यह उनसे खुल जाते हैं. यह मन के गहरे होते हैं. जीवनसाथी बनाने के लिए आपको इन्हें गंभीरता से लेना पड़ेगा.

धनु : ये घुमक्कड़ प्रवृति के होते हैं. प्रकृति से इन्हें ज़्यादा लगाव होता है. इन्हें घर के अंदर रखना मुश्किल होता है. एडवेंचर से जुड़ी चीज़ें जैसे ट्रेंकिंग, स्विमिंग आदि इनके शौक़ होते हैं. यदि आप खेल प्रेमी हैं तो इनका साथ आपको लुभाएगा.

मकर : मकर राशि के लोगों को पढ़ने में काफी रूचि होती है. फ़ुर्सत के क्षणों में ये आपको बुक-स्टोर या किताबों के बीच मिलेंगे. ये जीवन में अपना लक्ष्य निर्धारित करके चलते हैं. यदि आप सुरक्षित भविष्य चाहते हैं तो इस राशि के पुरुष आपके लिए बेहतर साबित होंगे.

कुंभ : यदि आपको भी सपनों की दुनिया में रहना पसंद है तो कुंभ पुरुष के साथ आपकी अच्छी जमेगी. ये भविष्य के सुनहरे सपने तो बुनते रहते हैं, अपनी अलग-अलग दुनिया भी बसा लेते हैं. समाज की भी इन्हें परवाह नहीं होती. इनके सपने आपका भी भविष्य संवार सकते हैं.

मीन : चूंकि इन्हें कई क्षेत्रों में रूचि होती है. इनसे आपका तालमेल होना आसान है, क्योंकि कहीं न कहीं आप दोनों की पसंद मिल ही जाएगी. आप इनसे किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं. ये हर बात समान दिलचस्पी से सुनेंगे.


पेशकश : सरफ़राज़ ख़ान
अक्षर बहुत कुछ कहते हैं...आइये जानें कि किस अक्षर से शुरू होने वाले नाम के लोगों का स्वभाव कैसा होता है...

A - जिनके नाम की शुरुआत अंग्रेजी वर्णमाला के पहले अक्षर A से होती है वे ख़्यालों में रहने के बजाय काम करने मे यक़ीन रखते हैं. ऐसे लोगों की अपने साथी से पटरी बैठना काफ़ी मुश्किल होता है. हालांकि इस शारीरिक सुंदरता अधिक आकर्षित करती है.

B - जिनके नाम की शुरुआत B से होती है, उन्हें उपहार काफ़ी पंसद होते हैं. सिर्फ़ उपहार लेना ही नहीं, बल्कि देना भी इनका शौक़ होता है. ये लोग अपने साथी से काफ़ी लाड-प्यार करते हैं और इन्हें सामने वाले से भी वैसे ही व्यवाहार की आशा होती है.

C - इस लेटर की शुरुआत के नाम वालों में अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करने की ग़ज़ब की शक्ति होती है. आपके लिए किसी रिश्ते का होना ही बहुत महत्वपूर्ण होता है. हालांकि इनकी ख़्वाहिश होती है कि इनका साथी इन्हें ही अपना सर्वस्व माने. ऐसे लोग गुड लुकिंग होने के साथ ही समाज में अपनी अच्छी ख़ासी जगह रखते हैं.

D - अंग्रेज़ी वर्णमाला के चौथे अक्षर D से जिनका नाम शुरू होता है, वो अपने इरादों के पक्के होते हैं. यदि एक बार ये ठान लें कि इन्हें किसी को पाना है, तो उसके लिए जी जान से जुट जाते हैं. यदि काई मुसीबत में है, तो उसके लिए परेशान हो जाते हैं.

E - E लेटर से जिनका नाम शुरू होता है, वो बोलते बहुत ज़्यादा हैं. ऐसे लोगों को कम बोलने की आदत डालना चाहिए. वैसे तो ये लोग ज़्यादातर फ़्लर्ट ही करते हैं, लेकिन एक बार किसी के लिए सीरियस हो जाएं, तो फिर उसके प्रति ईमानदार रहते हैं.

F - इस अक्षर के नाम वाले लोग आर्दश होने के साथ ही रोमांटिक होते हैं. ये अपने लिए आर्दश साथी की तलाश करते हैं. फ़्लर्ट इनकी आदत में होता है, लेकिन एक बार कमिटेड हो जाने पर ये ईमानदार साबित होते हैं. इन लोगों के बारे में कहां जाता है कि ये जन्मजात लवर होते हैं.

G - इस अक्षर के नाम वालों को हर बात में परफ़ेक्शन की जैसे आदत ही पड़ जाती है. अपने साथ ही होने वाले जीवनसाथी में भी ये हर चीज़ परफ़ेक्ट ही तलाशते हैं. इन्हें वही लोग पसंद आते हैं, जो बुध्दिमता में इनके बराबर या फिर आगे हों. इन लोगों को दूसरों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने भी काफ़ी तकलीफ़ होती है.

H - इन लोगों को ऐसे साथी की तलाश होती है, जो इनकी जिंदगी की कमी को पूरा करने क साथ ही उसका सार इन्हें समझा सकें. यदि ये अपने पार्टनर को गिफ़्ट देते हैं, तो वह भी एक तरह का इनवेस्मेंट ही है. हर क़दम यह बहुत ही सोच समझकर उठाते हैं. यदि लोग मुसीबत में होते हैं, तो आपको सबसे पहले याद करते हैं.

I - इन लोगों को ज़्यादा समय तक एक ही चीज़ या एक ही साथी का साथ पंसद नहीं होता. यही वजय है कि इन्हें प्यार के मामले में पूरी तरह ईमानदार नहीं माना जा सकता है. इन्हें आरामतलबी बहुत पसंद है.

G - इस लेटर के नाम वाले लोगों को भगवान ने भरपूर एनर्जी दी है. एनर्जेटिक होने के साथ ही ये बड़े रोमांटिक होते हैं. साथ ही भावनात्मक रूप से मज़बूत होना इनका प्लस प्वाइंट भी है. ये लोग लांग डिसटेंस रिलेशनशिप को बहुत ही अच्छी तरह से निभा पाते हैं.

K - बहुत ही रहस्यमयी होते हैं इस लेटर के नाम वाले लोग. कुछ शर्मीले, अपने आप में ही ख़ुश रहने वाले ही ज़मीन से जुड़े हुए. अपने लिए सही पार्टनर की तलाश में आपको इंतज़ार करना भी गवारा होता है. इनमें स्वार्थ नहीं होता है और ये बहुत अच्छे दोस्त भी साबित होते हैं.

L - वैसे तो लव का लेटर भी L ही है, लेकिन इनके लिए सही पार्टनर तलाश करना आसान नहीं होता है. इन्हें अपनी ही सोच और समझ मे थोड़ा भी अंतर आए तो रिश्ता निभाने में थोड़ी दिक़्क़त आ सकती है.

M - स्वभाव से बहुत शर्मीले और भोले होते हैं एम लेटर वाले. अपने साथी के प्रति इनका रवैया भी बड़ा ही क्रिटिकल होता है. ये अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते और यही इनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी हैं. जीतना और हर हाल में जीतना इनकी आदत होती है.

N - N लेटर वाले बहुत ही भावुक होते हैं. जब किसी रिश्ते को बनाते हैं, तो पूरी तरह उसमें डूब जाते हैं और उसे निभाने के लिए अपनी तरफ़ से हरसंभव कोशिश करते हैं. इन्हें लाड-दुलार बहुत अच्छा लगता है. कई बार तो अपने साथी को ये बच्चे की तरह दुलारते हैं.

O - बहुत ही फ़नी और इंटरेस्टेड होते हैं इस लेटर वाले लोग. हालांकि अपनी इच्छाओं को ज़ाहिर करने में इन्हें भी थोड़ी सी शर्म आती है. इनके लिए प्यार किसी सीरियल बिजनेस से कम नहीं है, इसलिए ये हर क़दम सोच समझकर ही उठाते हैं.

- इस लेटर के नाम वाले लोग बहुत ही कांशियस और समाजिक मूल्यों में बंधे हुए होते हैं. इस बात को लेकर ये बहुत ही सावधान रहते हैं कि कहीं कोई बात इनकी इमेज ख़राब न कर दे. अपने लिए इन्हें समझदार और बुध्दिमान साथी की ज़रूरत होती है.

Q - इन्हें प्यार का बार-बार इज़हार बड़ा ही पसंद होता है. फूल हों या गिफ़्ट इनको आसानी से ख़ुश किया जा सकता है. ऐसी गतिविधियां इन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करती हैं.

R - इनके लिए ऐसे साथी की ज़रूरत होती है, जो उनकी भावनाओं को समझ सके. इन्हें शारीरिक सुंदरता के बजाय बुदिध्दता से प्रभावित किया जा सकता है.

S - इस अक्षर के लोग आदर्श रोमांटिक होते हैं. इनका अपनी भावनाओं पर काफ़ी अच्छा नियंत्रण होता है. सही साथी की तलाश मे इन्हें लंबा इंतज़ार भी करना पड़े, तो इन्हें कोई दिक़्क़त नहीं होती. इसके साथ ही ये अच्छे दोस्त भी साबित होते हैं.

T - इस लेटर वाले लोग बेहद संवेदनशील होते हैं. अपनी भावनाओ को सबसे बताना भी इन्हें पसंद नहीं. हालाकिं बड़ी ही आसानी से ये किसी के भी प्यार में पड़ जाते हैं. फलर्टिंग में मास्टर होने के कारण इन्हें कई बार समस्याओं से भी दों चार होना पड़ता है.

U - प्यार इनके लिए एक ख़ूबसूरत अहसास है, जो इन्हें ख़ुश बनाए रखता है. प्यार में न होने पर भी ये सोच - सोचकर ही ख़ुश हो लेते हैं. इन्हें एडवेंचर के साथ ही आज़ादी बड़ी प्यारी होती है.

V - इन्हें भी अपनी आज़ादी बड़ी प्यारी होती है. अपने साथी से थोड़ी-सी समझदारी और स्पेस इनकी ख़्वाहिश होती है. किसी से भी जुड़ने के पहले आप खद को पूरी तरह तैयार कर लेते हैं और सामने वाले की आदतों को भी जान लेते हैं.

W - ऐसे लोगों को अपने आप पर कुछ ज़्यादा ही गर्व होता है. रोमांटिक होने के बावजूद ये अपनी ही भावनाओं को अहतियत देते हैं. साथी की चाहत इनके लिए सेकेंडरी हो जाती है.

X - प्यार के मामले में कोई भी फ़ैसला लेने से पहले बहुत सोच-विचार करते हैं. एक ही समय पर एक से अधिक रिश्ते निभाने में ये माहिर होते हैं.

Y - ये बहुत ही स्वतंत्र होते है. यदि इन्हें अपना रास्ता नहीं मिलता, तो ये सभी कुछ भूल जाते हैं. रोमांटिक और ओपन माइंडेट होने के साथ ही रिश्ते निभाने के लिए हरसंभव कोशिश करते हैं.

Z -  इस लेटर के लोग किसी पर भरोसा नहीं कर पाते. इसलिए इन पर भी कोई भरोसा नहीं कर पाता. इसलिए रिश्तों के मामले में इन्हें अच्छा नहीं कहा जा सकता.


रामेन्द्र सिंह भदौरिया 
श्री यंत्र 
यह सर्वाधिक लोकप्रिय प्राचीन यन्त्र है,इसकी अधिष्टात्री देवी स्वयं श्रीविद्या अर्थात त्रिपुर सुन्दरी हैं,और उनके ही रूप में इस यन्त्र की मान्यता है. यह बेहद शक्तिशाली ललितादेवी का पूजा चक्र है,इसको त्रैलोक्य मोहन अर्थात तीनों लोकों का मोहन यन्त्र भी कहते है. यह सर्व रक्षाकर सर्वव्याधिनिवारक सर्वकष्टनाशक होने के कारण यह सर्वसिद्धिप्रद सर्वार्थ साधक सर्वसौभाग्यदायक माना जाता है. इसे गंगाजल और दूध से स्वच्छ करने के बाद पूजा स्थान या व्यापारिक स्थान तथा अन्य शुद्ध स्थान पर रखा जाता है. इसकी पूजा पूरब की तरफ़ मुंह करके की जाती है,श्रीयंत्र का सीधा मतलब है,लक्ष्मी यंत्र जो धनागम के लिये जरूरी है. इसके मध्य भाग में बिन्दु व छोटे बडे मुख्य नौ त्रिकोण से बने ४३ त्रिकोण दो कमल दल भूपुर एक चतुरस ४३ कोणों से निर्मित उन्नत श्रंग के सद्रश्य मेरु प्रुष्ठीय श्रीयंत्र अलौकिक शक्ति व चमत्कारों से परिपूर्ण गुप्त शक्तियों का प्रजनन केन्द्र बिद्नु कहा गया है. जिस प्रकार से सब कवचों से चन्डी कवच सर्वश्रेष्ठ कहा गया है,उसी प्रकार से सभी देवी देवताओं के यंत्रों में श्रीदेवी का यंत्र सर्वश्रेष्ठ कहा गया है. इसी कारण से इसे यंत्रराज की उपाधि दी गयी है. इसे यन्त्रशिरोमणि भी कहा जाता है. दीपावली धनतेरस बसन्त पंचमी अथवा पौष मास की संक्रान्ति के दिन यदि रविवार हो तो इस यंत्र का निर्माण व पूजन विशेष फ़लदायी माना गया है,ऐसा मेरा विश्वास है.
श्री महालक्ष्मी यंत्र
श्री महालक्षमी यंत्र की अधिष्ठात्री देवी कमला हैं,अर्थात इस यंत्र का पूजन करते समय श्वेत हाथियों के द्वारा स्वर्ण कलश से स्नान करती हुयी कमलासन पर बैठी लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिये,विद्वानों के अनुसार इस यंत्र के नित्य दर्शन व पूजन से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. इस यंत्र की पूजा वेदोक्त न होकर पुराणोक्त है इसमे बिन्दु षटकोण वृत अष्टदल एवं भूपुर की संरचना की गयी है,धनतेरस दीवावली बसन्त पंचमी रविपुष्य एवं इसी प्रकार के शुभ योगों में इसकी उपासना का महत्व है,स्वर्ण रजत ताम्र से निर्मित इस यन्त्र की उपासना से घर व स्थान विशेष में लक्ष्मी का स्थाई निवास माना जाता है.
बगलामुखी यंत्र
बगला दस महाविद्याओं में एक है इसकी उपासना से शत्रु का नाश होता है,शत्रु की जिव्हा वाणी व वचनों का स्तम्भन करने हेतु इससे बढकर कोई यंत्र नही है. इस यंत्र के मध्य बिंदु पर बगलामुखी देवी का आव्हान व ध्यान करना पडता है,इसे पीताम्बरी विद्या भी कहते हैं,क्योंकि इसकी उपासना में पीले वस्त्र पीले पुष्प पीली हल्दी की माला एवं केशर की खीर का भोग लगता है. इस यंत्र में बिन्दु त्रिकोण षटकोण वृत्त अष्टदल वृत्त षोडशदल एवं भूपुर की रचना की गयी है,नुकसान पहुंचाने वाले दुष्ट शत्रु की जिव्हा हाथ से खींचती हुयी बगलादेवी का ध्यान करते हुये शत्रु के सर्वनाश की कल्पना की जाती है. इस यंत्र के विशेष प्रयोग से प्रेतबाधा व यक्षिणीबाधा का भी नाश होता है.
श्रीमहाकाली यंत्र
शमशान साधना में काली उपासना का बडा भारी महत्व है,इसी सन्दर्भ में महाकाली यन्त्र का प्रयोग शत्रु नाश मोहन मारण उच्चाटन आदि कार्यों में किया जाता है. मध्य बिन्दु में पांच उल्टे त्रिकोण तीन वृत अष्टदल वृत एव भूपुर से आवृत महाकाली का यंत्र तैयार होता है. इस यंत्र का पूजन करते समय शव पर आरूढ मुण्डमाला धारण की हुयी कडग त्रिशूल खप्पर व एक हाथ में नर मुण्ड धारण की हुयी रक्त जिव्हा लपलपाती हुयी भयंकर स्वरूप वाली महाकाली का ध्यान किया जाता है. जब अन्य विद्यायें असफ़ल होजातीं है,तब इस यंत्र का सहारा लिया जाता है. महाकाली की उपासना अमोघ मानी गयी है. इस यंत्र के नित्य पूजन से अरिष्ट बाधाओं का स्वत: ही नाश हो जाता है,और शत्रुओं का पराभव होता है,शक्ति के उपासकों के लिये यह यंत्र विशेष फ़लदायी है. चैत्र आषाढ अश्विन एवं माघ की अष्टमी इस यंत्र के स्थापन और महाकाली की साधना के लिये अतिउपयुक्त है.
महामृत्युंजय यंत्र 
इस यंत्र के माध्यम से मृत्यु को जीतने वाले भगवान शंकर की स्तुति की गयी है,भगवान शिव की साधना अमोघ व शीघ्र फ़लदायी मानी गयी है. आरक दशाओं के लगने के पूर्व इसके प्रयोग से व्यक्ति भावी दुर्घटनाओं से बच जाता है,शूल की पीडा सुई की पीडा में बदल कर निकल जाती है. प्राणघातक दुर्घटना व सीरियस एक्सीडेंट में भी जातक सुरक्षित व बेदाग होकर बच जाता है. प्राणघातक मार्केश टल जाते हैं,ज्योतिषी लोग अरिष्ट ग्रह निवारणार्थ आयु बढाने हेतु अपघात और अकाल मृत्यु से बचने के लिये महामृत्युयंत्र का प्रयोग करना बताते हैं. शिवार्चन स्तुति के अनुसार पंचकोण षटकोण अष्टदल व भूपुर से युक्त मूल मन्त्र के बीच सुशोभित महामृत्युंजय यंत्र होता है. आसन्न रोगों की निवृत्ति के लिये एवं दीर्घायु की कामना के लिये यह यंत्र प्रयोग में लाया जाता है. इस यंत्र का पूजन करने के बाद इसका चरणामृत पीने से व्यक्ति निरोग रहता है,इसका अभिषिक्त किया हुआ जल घर में छिडकने से परिवार में सभी स्वस्थ रहते हैं,घर पर रोग व ऊपरी हवाओं का आक्रमण नहीं होता है.
कनकधारा यंत्र
लक्ष्मी प्राप्ति के लिये यह अत्यन्त दुर्लभ और रामबाण प्रयोग है,इस यंत्र के पूजन से दरिद्रता का नाश होता है,पूर्व में आद्य शंकराचार्य ने इसी यंत्र के प्रभाव से स्वर्ण के आंवलों की वर्षा करवायी थी. यह यंत्र रंक को राजा बनाने की सामर्थय रखता है. यह यंत्र अष्ट सिद्धि व नव निधियों को देने वाला है,इसमें बिन्दु त्रिकोण एवं दो वृहद कोण वृत्त अष्टदल वृत्त षोडस दल एव तीन भूपुर होते हैं,इस यंत्र के साथ कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना अनिवार्य होता है.
श्रीदुर्गा यंत्र
यह श्री दुर्गेमाता अम्बेमाता का यंत्र है,इसके मूल में नवार्ण मंत्र की प्रधानता है,श्री अम्बे जी का ध्यान करते हुये नवार्ण मंत्र माला जपते रहने से इच्छित फ़ल की प्राप्ति होती है. विशेषकर संकट के समय इस यंत्र की प्रतिष्ठा करके पूजन किया जाता है. नवरात्र में स्थापना के दिन अथवा अष्टमी के दिन इस यंत्र निर्माण करना व पूजन करना विशेष फ़लदायी माना जाता है,इस यन्त्र पर दुर्गा सप्तशती के अध्याय चार के श्लोक १७ का जाप करने पर दुख व दरिद्रता का नाश होता है. व्यक्ति को ऋण से दूर करने बीमारी से मुक्ति में यह यंत्र विशेष फ़लदायी है.
सिद्धि श्री बीसा यंत्र 
कहावत प्रसिद्ध है कि जिसके पास हो बीसा उसका क्या करे जगदीशा अर्थात साधकों ने इस यंत्र के माध्यम से दुनिया की हर मुश्किल आसान होती है,और लोग मुशीबत में भी मुशीबत से ही रास्ता निकाल लेते हैं. इसलिये ही इसे लोग बीसा यंत्र की उपाधि देते हैं. नवार्ण मंत्र से सम्पुटित करते हुये इसमे देवी जगदम्बा का ध्यान किया जाता है. यंत्र में चतुष्कोण में आठ कोष्ठक एक लम्बे त्रिकोण की सहायता से बनाये जाते हैं,त्रिकोण को मन्दिर के शिखर का आकार दिया जाता है,अंक विद्या के चमत्कार के कारण इस यंत्र के प्रत्येक चार कोष्ठक की गणना से बीस की संख्या की सिद्धि होती है. इस यंत्र को पास रखने से ज्योतिषी आदि लोगों को वचन सिद्धि की भी प्राप्ति होती है. भूत प्रेत और ऊपरी हवाओं को वश में करने की ताकत मिलती है,जिन घरों में भूत वास हो जाता है उन घरों में इसकी स्थापना करने से उनसे मुक्ति मिलती है.
 श्री कुबेर यंत्र 
यह धन अधिपति धनेश कुबेर का यंत्र है,इस यंत्र के प्रभाव से यक्षराज कुबेर प्रसन्न होकर अतुल सम्पत्ति की रक्षा करते हैं. यह यंत्र स्वर्ण और रजत पत्रों से भी निर्मित होता है,जहां लक्ष्मी प्राप्ति की अन्य साधनायें असफ़ल हो जाती हैं,वहां इस यंत्र की उपासना से शीघ्र लाभ होता है. कुबेर यंत्र विजय दसमीं धनतेरस दीपावली तथा रविपुष्य नक्षत्र और गुरुवार या रविवार को बनाया जाता है. कुबेर यंत्र की स्थापना गल्ले तिजोरियों सेफ़ व बन्द अलमारियों में की जाती है. लक्ष्मी प्राप्ति की साधनाओं में कुबेर यंत्र अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

श्री गणेश यंत्रगणेश यंत्र 
सर्व सिद्धि दायक व नाना प्रकार की उपलब्धियों व सिद्धियों के देने वाला है,इसमें देवताओं के प्रधान गणाध्यक्ष गणपति का ध्यान किया जाता है. एक हाथ में पास एक अंकुश एक में मोदक एवं वरद मुद्रा में सुशोभित एक दन्त त्रिनेत्र कनक सिंहासन पर विराजमान गणपति की स्तुति की जाती है. इस यंत्र के प्रभाव से और भक्त की आराधना से व्यक्ति विशेष पर रिद्धि सिद्धि की वर्षा करते हैं,साधक को इष्ट कृपा की अनुभूति होने लगती है. उसके कार्यों के अन्दर आने वाली बाधायें स्वत: ही समाप्त हो जातीं हैं,व्यक्ति को अतुल धन यश कीर्ति की प्राप्ति होती है,रवि पुष्य गुरु पुष्य अथवा गणेश चतुर्थी को इस यंत्र का निर्माण किया जाता है,इन्ही समयों में इस यंत्र की पूजा अर्चना करने पर सभी कामनायें सिद्धि होती हैं.
गायत्री यंत्र
गायत्री की महिमा शब्दातीत है,इस यंत्र को बनाते समय कमल दल पर विराजमान पद्मासन में स्थिति पंचमुखी व अष्टभुजा युक्त गायत्री का ध्यान किया जाता है,बिन्दु त्रिकोण षटकोण व अष्टदल व भूपुर से युक्त इस यंत्र को गायत्री मंत्र से प्रतिष्ठित किया जाता है. इस यंत्र की उपासना से व्यक्ति लौकिक उपलब्धियों को लांघ कर आध्यात्मिक उन्नति को स्पर्श करने लग जाता है. व्यक्ति का तेज मेधा व धारणा शक्ति बढ जाती है. इस यंत्र के प्रभाव से पूर्व में किये गये पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है. गायत्री माता की प्रसन्नता से व्यक्ति में श्राप व आशीर्वाद देने की शक्ति आ जाती है. व्यक्ति की वाणी और चेहरे पर तेज बढने लगता है. गायत्री का ध्यान करने के लिये सुबह को माता गायत्री श्वेत कमल पर वीणा लेकर विराजमान होती है,दोपहर को गरूण पर सवार लाल वस्त्रों में होतीं है, और शाम को सफ़ेद बैल पर सवार वृद्धा के रूप में पीले वस्त्रों में ध्यान में आतीं हैं.
 दाम्पत्य सुख कारक मंगल यंत्र
विवाह योग्य पुत्र या पुत्री के विवाह में बाधा आना,विवाह के लिये पुत्र या पुत्री का सीमाओं को लांघ कर सामाजिक मर्यादा को तोडना विवाह के बाद पति पत्नी में तकरार होना,विवाहित दम्पत्ति के लिये किसी न किसी कारण से सन्तान सुख का नहीं होना,गर्भपात होकर सन्तान का नष्ट हो जाना, मनुष्य का ध्यान कर्ज की तरफ़ जाना और लिये हुये कर्जे को चुकाने के लिये दर दर की ठोकरें खाना,किसी को दिये गये कर्जे का वसूल नहीं होना,आदि कारणों के लिये ज्योतिष शास्त्र में मंगल व्रत का विधान है,मंगल के व्रत में मंगल यंत्र का पूजन आवश्यक है. यह यंत्र जमीन जायदाद के विवाद में जाने और घर के अन्दर हमेशा क्लेश रहने पर भी प्रयोग किया जाता है,इसके अलावा इसे वाहन में प्रतिष्ठित कर लगाने से दुर्घटना की संभावना न के बराबर हो जाती है.
 श्री पंचदसी यंत्र
पंचदसी यंत्र को पन्द्रहिया यन्त्र भी कहा जाता है,इसके अन्दर एक से लेकर नौ तक की संख्याओं को इस प्रकार से लिखा जाता है दायें बायें ऊपर नीचे किधर भी जोडा जाये तो कुल योग पन्द्रह ही होता है,इस यन्त्र का निर्माण राशि के अनुसार होता है,एक ही यन्त्र को सभी राशियों वाले लोग प्रयोग नहीं कर सकते है,पूर्ण रूप से ग्रहों की प्रकृति के अनुसार इस यंत्र में पांचों तत्वों का समावेश किया जाता है,जैसे जल तत्व वाली राशियां कर्क वृश्चिक और मीन होती है,इन राशियों के लिये चन्द्रमा का सानिध्य प्रारम्भ में और मंगल तथा गुरु का सानिध्य मध्य में तथा गुरु का सानिध्य अन्त में किया जाता है. संख्यात्मक प्रभाव का असर साक्षात देखने के लिये नौ में चार को जोडा जाता है,फ़िर दो को जोड कर योग पन्द्रह का लिया जाता है,इसके अन्दर मंगल को दोनों रूपों में प्रयोग में लाया जाता है,नेक मंगल या सकारात्मक मंगल नौ के रूप में होता है और नकारात्मक मंगल चार के रूप में होता है,तथा चन्द्रमा का रूप दो से प्रयोग में लिया जाता है. यह यंत्र भगवान शंकर का रूप है,ग्यारह रुद्र और चार पुरुषार्थ मिलकर ही पन्द्रह का रूप धारण करते है. इस यंत्र को सोमवार या पूर्णिमा के दिन बनाया जाता है,और उसे रुद्र गायत्री से एक बैठक में पन्द्रह हजार मंत्रों से प्रतिष्टित किया जाता है.
सम्पुटित गायत्री यंत्र
वेदमाता गायत्री विघ्न हरण गणपति महाराज समृद्धिदाता श्री दत्तात्रेय के सम्पुटित मंत्रों द्वारा इस गायत्री यंत्र का निर्माण किया जाता है. यह यंत्र व्यापारियों गृहस्थ लोगों के लिये ही बनाया जाता है इसका मुख्य उद्देश्य धन,धन से प्रयोग में लाये जाने वाले साधन और धन को प्रयोग में ली जाने वाली विद्या का विकास इसी यंत्र के द्वारा होता है,जिस प्रकार से एक गाडी साधन रूप में है,गाडी को चलाने की कला विद्या के रूप में है,और गाडी को चलाने के लिये प्रयोग में ली जाने वाली पेट्रोल आदि धन के रूप में है,अगर तीनों में से एक की कमी हो जाती है तो गाडी रुक जाती है,उसी प्रकार से व्यापारियों के लिये दुकान साधन के रूप में है,दुकान में भरा हुआ सामान धन के रूप में है,और उस सामान को बेचने की कला विद्या के रूप में है,गृहस्थ के लिये भी परिवार का सदस्य साधन के रूप में है,सदस्य की शिक्षा विद्या के रूप में है,और सदस्य द्वारा अपने को और अपनी विद्या को प्रयोग में लाने के बाद पैदा किया जाने फ़ल धन के रूप में मिलता है,इस यंत्र की स्थापना करने के बाद उपरोक्त तीनों कारकों का ज्ञान आसानी से साधक को हो जाता है,और वह किसी भी कारक के कम होने से पहले ही उसे पूरा कर लेता है.
श्री नित्य दर्शन बीसा यंत्र
इस यंत्र का निर्माण अपने पास हमेशा रखने के लिये किया जाता है,इसके अन्दर पंचागुली महाविद्या का रोपण किया जाता है,अष्टलक्ष्मी से युक्त इस यंत्र का निर्माण करने के बाद इसे चांदी के ताबीज में रखा जाता है,जब कोई परेशानी आती है तो इसे माथे से लगाकर कार्य का आरम्भ किया जाता है,कार्य के अन्दर आने वाली बाधा का निराकरण बाधा आने के पहले ही दिमाग में आने लगता है,इसे शराबी कबाबी लोग अपने प्रयोग में नही ला सकते हैं.
(लेखक ज्योतिषी हैं)  


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