डॉ. एस. अय्यपन
कृषि क्षेत्र में उभरती चुनौतियों और खतरों को ध्यातन में रखते हुए राष्ट्री य खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने खाद्य सुरक्षा में सुधार, समग्र विकास के अवसर बढ़ाने, भारतीय कृषि की प्रतिस्प र्धात्माकता बढ़ाने और पर्याप्त  गुणवत्ताकयुक्ता मानव संसाधनों के सृजन से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए एक सामरिक रूपरेखा तैयार की है। प्राकृतिक संसाधनों में कमी, जैविक और अजैविक दबावों में वृद्धि, आन्तपरिक उपयोग दक्षता में कमी, फसल कटाई के बाद होने वाले नुक्सारन, खेती में कम लाभ, कुशल मानव संसाधन और कृषि में विस्ता र जैसे मामलें कुछ प्रमुख चिंताओं में शामिल हैं। इन चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निबटने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद देश में बागवानी, मत्य्ी त पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि क्षेत्र में निर्देशन, प्रबंधन अनुसंधान, शिक्षा और विस्तानर के मामलों में आईसीएआर संयोजन की भूमि‍का नि‍भा रहा है।  97 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्था न, 54 राज्य् कृषि विश्व विद्यालय, 5 डीम्डा विश्व विद्यालय, एक केन्द्रीनय कृषि विश्वथविद्यालय और 592 कृषि विज्ञान केन्द्रों  (केवीके) के साथ देशभर में इसका एक व्या पक नेटवर्क है। इसके अंतर्गत चलने वाले अनुसंधान कार्यक्रमों में खाद्य, पोषण और सभी के लिए आजीविका सुरक्षा सुनिश्चिंत करने के लिए इन्हेंय  विज्ञान की कार्य शक्ति  के साथ जोड़ा गया है।
      परिषद द्वारा की गई व्यारपक पहलों ने प्रौद्योगिकी हस्ताक्षेपों के माध्यअम से किसानों के प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आंतरिक उपयोग दक्षता, जलवायु बदलाव, द्वितीयक कृषि और तकनीकी आविष्कारों के जरिए किसानों की आर्थिक दशी में परिवर्तन लाने में उल्लेाखनीय उपलब्धिआयां हासिल की हैं। वर्ष 2010-11 कृषि के मामलें में उपलब्धि्‍का वर्ष रहा है क्योंधकि हाल ही में जारी चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार (जुलाई-जून) कृषि मौसम में हमने 242 मिलियन टन का रिकॉर्ड खाद्यान उत्पा दन दर्ज किया। इन खाद्यानों में धान, मोटे अनाज और दालें शामिल हैं। गेहूँ के उत्पा्दन में पिछले वर्ष के 81 मिलियन टन की तुलना में 86 मिलियन टन की तीव्र वृद्धि के कारण इसे रिकॉर्ड उत्पायदन के तौर पर दर्ज किया गया। तिलहन का रिकॉर्ड 31 मिलियन टन उत्पाेदन भी प्रसन्न होने साथ-साथ्‍ एक और उल्ले।खनीय उपलब्धिग है। इसके बाद बागबानी में नीति और प्रोदयोगिकी सहायता के माध्य्म से 234.4 मिलियन टन के रिकॉर्ड उत्पाददन तक भी पहुँचा जा सका।
      हालांकि बीते वर्ष में, बहुत सी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। इनमें प्रत्याक्ष रूप से होने वाले जलवायु परिवर्तन, देश भर में सामान्यक वर्षा के बावजूद पूर्वी भारत में सूखा, भूमि और जल के स्त1र में गिरावट, गुणवत्ताायुक्तर उत्पाषदन की आवश्यवकता, कृषि श्रमिकों की उभरती हुई समस्याेएं और सभी खाद्य वस्तुनओं में फसल के बाद हानि जैसे मामलें शामिल हैं।  
      ऐसे वक्त  में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने ही सूखे और अतिवर्षा के लिए उपयुक्तश किस्मम की फसलों, पोषक तत्वोंर की कमी को दूर करने के लिए उर्वरकों की उन्नकत किस्मोंम, खेत और बागवानी दोनों फसलों में कृषि अभियांत्रिकी के प्रयोग और भविष्यत की रणनीति तय करने के लिए विभिन्नत फसलों और फसल के बाद हुई हानि के स्पषष्ट  अनुमान लगाने के मामलें में उचित निर्देशन और समाधान दोनों प्रदान किए। हमारे विचार-विमर्श और अनुसंधान प्रक्रिया कृषि को प्राथमिक से द्वितीयक स्त र तक ले जाने के लि‍ए अपनाए जाने वाले उपायों पर केन्द्रि त थी। आने वाले वर्षो में इसे और व्याेपक बनाने की राष्ट्री य कृषि नवप्रवर्तन परियोजना (एनएआईपी) के मूल्यव श्रृंखला घटकों की परियोजनाओं में प्रदर्शित भी किया गया था। एक समानांतर विकास के तौर कृषि संवर्द्धन के अलावा भारतीय कृषि में एक नई अवधारणा और बड़े स्तंर पर उद्यमिता विकास की उम्मीाद की जा रही है। संस्थाणगत अनुसंधान विस्ता्र को जारी रखने के हमारे प्रयासों के तहत, इस वर्ष के दौरान कृषि नवप्रवर्तकों की बैठक में इस श्रृंखला की दूसरी बैठक का आयोजन किया गया और इसने अभिनव कृषि तक पहुँच बनाने की हमारी दिशा को एक नया आयाम दिया गया।
      कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन प्रभाव के आकलन, लागत प्रभावी अनुकूलता, राहत रणनीतियों को सुलझाने के उद्देश्यक और कृषि पर एक राष्ट्री य पहल जैसी नई परि‍योजनाओं का शुभारंभ भी उल्लेकखनीय कदमों में से एक है। 11वीं योजना के लिए, परियोजना का बजट परिव्यउय 350 करोड़ रूपए है। इसके तहत, अनुसंधान बुनियादी ढांचे, क्षमता संवर्द्धन और  कृषि प्रदर्शन के लि‍ए उपलब्धं जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी हेतू 2010-11 के लिए 200 करोड़ रूपए और 2011-12 के लिए 150 करोड़ आबंटित किये गये हैं।  
      वर्ष 2010-11 के दौरान, देश के विभिन्नर कृषि-जलवायु क्षेत्रों में प्रमुख खाद्यान फसलों- धान, गेहूँ, मक्का , मोती बाजरा और दालों सहित फसलों की 60 किस्मेंो/हाईब्रीड जारी की गईं और उनकी खेती की भी सिफारिश की गई। वर्ष के दौरान, किसानों को समय से गुणवत्ताउ पूर्ण बीजों की आपूर्ति सुनिश्चिदत करने के लिए 629 टन गुठली बीज, 9,554 टन ब्रीडर बीज, 7,745 टन फाउंडेशन बीज, 3,471 टन प्रमाणित बीज और 10,443 टन खरे गुणवत्ताउ वाले बीजों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने के लिए उनका उत्पाजदन किया गया।
भारत के 21 राज्योंो के 500 जिलों से लि‍ए गये मिट्टी परीक्षण आंकड़ों का उपयोग करते हुए जीआईएस आधारित मिट्टी उवर्रकता नक्शों  के आधार पर मिट्टी और जल उत्पातदकता में आई कमी की समस्यााओं का समाधान कि‍या गया। आंकड़ों से यह पता चला कि अधिकांश जिलों की मिट्टी में न्यूान से मध्यधम स्त र तक नाइट्रोजन और फोस्फोारस तथा मध्यकम से उच्चूतम स्तमर तक पोटेशियम है। वर्षा जल संचयन में वृद्धि करते हुए (पूर्व में वर्षा के 1 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत) सिंचाई की वर्तमान प्रणाली में सुधार किया गया, जिसने उपज क्षेत्र को 30 प्रतिशत तक बढ़ा दिया। स्थाचन विशिष्टर पोषक प्रबंधन की सुविधा के लिए एक निर्णय सहायता प्रणाली को भी विकसित किया गया है।  
कृषि‍में लाभप्रदता और आजीविका की सुरक्षा को बढ़ाने के लि‍ए, एकीकृत कृषि को आवश्यैक प्रोदयोगिकी के साथ सभी पारिस्थि तिकी क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जा रहा है। भूमि और जल के लाभकारी तत्वों  से संबंधि‍त सुझावों का आशानुरूप लाभ लेने के लिए एक एकीकृत कृषि प्रणाली के घटक चयन प्रारूप को एकीकृत कृषि प्रणाली के घटकों के चयन में उपयोगी पाया गया।
पशुओं की जनसंख्याय, कृत्रि‍म गर्भाधान के स्त र और उत्पाकदकता को सुधारने के लि‍ए क्षेत्रीय परि‍स्थिक‍ति‍यों को मानकीकृत और अंगीकृत कि‍या जा रहा है। पहली बार संरक्षि‍त वीर्य के द्वारा कृत्रि‍म गर्भाधान के माध्योम से भारतीय ऊँटनी में सफल गर्भाधान कराया गया। बेहतर अनुवांशि‍की के लि‍ए बलि‍ष्ठन सांडों के संरक्षि‍त वीर्य का उपयोग करते हुए कृत्रि‍म गर्भाधान के माध्यिम से प्रथम मि‍थुन बछड़े का जन्मष कराया गया। दस्ताृनेयुक्त  हाथों की पद्धति‍और एआई तकनीक से एकत्रि‍त कि‍या गया यह वीर्य शूकरों के लि‍ए मानकीकृत था और एआई तकनीक के द्वारा एक फार्म में घुँघरू शूकरी से बड़े आकार के (15 शूकरी के बच्चों्) का जन्मक कराया गया। उद्यमशीलता और आजीवि‍का सुरक्षा के प्रति‍अपनी पहुँच को महत्व्पूर्ण रूप से मजबूत बनाने के लि‍ए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भारतीय ग्रामीण जनसंख्या् में महत्वूपूर्ण समाजि‍क-आर्थि‍क बदलाव लाने के प्रति‍अपनी मजबूत प्रतिबद्धता जतायी है। इन उद्देश्योंम को पूरा करने के लि‍ए अनुसंधान कार्यक्रम, शि‍क्षण पहलों और वि‍स्तायर गति‍वि‍धि‍यों को फि‍र से तैयार कि‍या गया है। ज्ञान के स्वरतंत्र प्रवाह और इस मार्ग में आने वाली सभी समस्याोओं को दूर करने के लि‍ए प्रयास कि‍ये जा रहे हैं। आईसीएआर ने वि‍शि‍ष्ट अनुसंधान पत्रि‍काओं और अन्यय महत्वपूर्ण्सा हि‍त्यज के लि‍ए मुक्तस पहुँच नीति‍को अपनाया है। इसकी वेबसाईट (www.icar.org.in) पर वि‍भि‍न्नु श्रेणि‍यों के हि‍तधारकों के लि‍ए कृषि‍से संबंधि‍त सूचनाओं और जानकारि‍यों को एक कोष के रूप में सहेजा गया है। एक औसत के मुताबि‍क, भारतीय कृषि‍की वैश्वि ‍क उपस्थिै‍ति‍को दर्शाते हुए करीब 166 देशों से प्रति‍माह 2 लाख से ज्याीदा लोग इस साईट को देखते हैं। कृषि‍ ई-संसाधनों से संबंधि‍त संकाय, राष्ट्री य कृषि‍अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) की 29 सौ से ज्याबदा पत्रि‍काओं और 124 पुस्तयकालयों की पहुँच के लि‍ए नि‍:शुल्क9 ऑनलाईन सुवि‍धा प्रदान कर रहा है। वर्ष 2010-11 के दौरान, 64 पेटेंट आवेदन दर्ज कि‍ये गये और 10 को स्वीाकृति‍दी गई, इसके साथ ही इनकी कुल संख्यान क्रमश: 481 और 58 तक पहुँच गई है।
पूर्वोत्तसर क्षेत्र की ओर वि‍शेष ध्याजन देते हुए, आईसीएआर द्वारा पूर्वोत्त‍र के लि‍ए कृषि‍में ज्ञान सूचना भंडार का शुभारंभ कि‍या जा चुका है। इसका उद्देश्यआ सही प्रौद्योगि‍की और अभि‍नव पद्धति‍का उपयोग करते हुए कृषि‍समाधान सहि‍त पूर्वोत्तार क्षेत्र की कृषि‍उत्पावदन व्यकवस्थाह को सशक्तु बनाना है। यह इस क्षेत्र में कार्य कर रहे सार्वजनि‍क, नि‍जी, राज्या और क्षेत्रीय संगठनों के साथ समन्य्ानाय बनाते हुए भागीदारों के बीच संपर्क के लि‍ए एक मंच के तौर पर कार्य करेगा।
दक्षि‍ण एशि‍या के प्रस्ताकवि‍त बोरलॉग संस्थामन के साथ राष्ट्री्य और अंतर्राष्ट्रीय स्त0र पर भागीदारी में वृद्धि‍हुर्इ और कृषि‍वि‍श्वसवि‍द्यालयों में भारत-अफ्रीका और भारत-अफगानि‍स्ताधन फैलोशि‍प को महत्वबपूर्ण रूप से बढ़ावा मि‍ला। भारतीय उद्योग परि‍संघ (सीआर्इआई) के सहयोग से नई दि‍ल्ली  में आईसीएआर और उद्योग जगत की एक बैठक का भी आयोजन कि‍या गया जि‍से नि‍जी क्षेत्र से बेहतर प्रति‍क्रि‍या मि‍ली। छात्रों के बीच उद्यमशीलता दक्षता को बढ़ाने के लि‍ए 49 वि‍श्वतवि‍द्यालयों में मौजूदा 220 इकाईयों में 25 नई और इकाईयों को जोड़ा गया। कृषि‍अनुसंधान और शि‍क्षा में वैश्विद‍क क्षमता हासि‍ल करने के लि‍ए 30 स्थसलों को दक्षता के उत्कृशष्टि क्षेत्र के तौर पर भी सहायता प्रदान की गई।
आईसीएआर पुरस्काोर योजना के अंतर्गत, आईसीएआर नोरमान बोरलॉग पुरस्काटर और आईसीएआर चुनौती पुरस्काोर नामक दो नए पुरस्कासरों का गठन कि‍या गया है। वि‍शेष श्रेणि‍यों में दि‍ए जाने वाले पुरस्कानरों की भी कुल संख्यात को 13 से बढ़ाकर 22 तक कर दि‍या गया है। इसी प्रकार से, अधि‍कांश श्रेणि‍यों में पुरस्का्र धनराशि‍को भी बढ़ाया गया है। देश में प्रौद्योगि‍की युक्तन क्रांति लाने के लि‍ए 12वीं पंचवर्षीय योजना के गठन में आईसीएआर ने अपनी मजबूत पहुँच को फि‍र से नि‍र्धारि‍त कि‍या है। वस्तुवओं और खासतौर पर उन क्षेत्रों पर, जहां नि‍जी क्षेत्र कार्य करने में अनि‍च्छास जताते हैं, ‍परि‍षद ज्याौदा ध्यांन देगी। कृषि‍अनुसंधान और वि‍कास के लाभों को बनाए रखने के लि‍ए द्वीति‍यक और वि‍शेष कृषि‍और मजबूत अंतर-वि‍भागीय मंचों को उपयोग में लाया जाएगा। परि‍वर्तन की इस प्रक्रि‍या को और तेजी से बढ़ाने और इसमें आगे भी मजबूती लाने के लि‍ए एक राष्री   य स्तकर की पहल के तौर पर राष्ट्री य कृषि‍शि‍क्षा परि‍योजना, राष्ट्री य कृषि‍उद्यमशीलता परि‍योजना, राष्ट्री य कृषि‍वि‍ज्ञान फाउंडेशन और राष्ट्रीरय कृषि‍अभि‍नव फाउंडेशन को भी इसमें शामि‍ल कि‍या जा चुका है। हालांकि‍इन सभी पहलों में यह परि‍षद कि‍सानों को सर्वप्रमुख मानने के दृष्टिु‍कोण के साथ आगे बढ़ रही है। भवि‍ष्यक की चुनौति‍यों खासतौर पर अंतर्राष्ट्रीेय जलवायु परि‍वर्तन के साथ प्राकृति‍क संसाधनों के घटते और गि‍रते स्त र जैसी समस्याीओं से नि‍बटने के लि‍ए वर्ष के दौरान होने वाले अनुसंधान और वि‍कास कार्यक्रमों को आईसीएआर के साथ जोड़ा गया है। हमारी परि‍कल्पएना है कि‍कृषि‍में नवीन प्रोद्योगि‍कि‍यों के शामि‍ल होने से इस क्षेत्र में मौजूदा मंदी को घरेलु और अंतर्राष्ट्री य बाजारों के अप्रयुक्ति अवसरों का उपयोग करते हुए एक जीवंत और प्रति‍स्परर्धी क्षेत्र में बदला जा सकेगा। परि‍षद का यह दृढ वि‍श्वाकस है कि‍कृषि‍अनुसंधान और वि‍कास से कि‍सानों की आय, रोजगार सृजन अवसरों, प्राकृति‍क संसाधनों के संरक्षण, आयातों में कटौती, नि‍र्यातों में प्रोत्साअहन के साथ-साथ मूल्य  संवर्द्धन और समग्र कृषि‍वि‍कास में वृद्धि‍होगी।
कृषि‍क्षेत्र में संतरंगी क्रांति‍के स्वहप्नप को साकार करने के लि‍ए अत्यारधुनि‍क वि‍ज्ञान और नवीन प्रोद्योगि‍कि‍यों की सहायता से प्रमुख वस्तु्ओं के उत्पानदन और उत्पायदकता में वृद्धि‍जारी है।
(लेखक सचि‍व, कृषि‍ अनुसंधान और शि‍क्षा वि‍भाग, और महानि‍देशक, भारतीय कृषि‍अनुसंधान परि‍षद हैं)  ‍

0 Comments

    Post a Comment








    मौसम

    Subscribe via email

    Enter your email address:

    Delivered by FeedBurner

    Search

    कैमरे की नज़र से...

    Loading...

    इरफ़ान का कार्टून कोना

    इरफ़ान का कार्टून कोना
    To visit more irfan's cartoons click on the cartoon

    .

    .

    ई-अख़बार

    ई-अख़बार

    .

    .

    राहुल गांधी को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं?

    Blog

    • Firdaus's Diary
      इक राह तो वो होगी, तुम तक जो पहुंचती है... - मेरे महबूब... मुझे हर उस शय से मुहब्बत है, जो तुम से वाबस्ता है... हमेशा से मुझे सफ़ेद रंग अच्छा लगता है... बाद में जाना कि ऐसा क्यों था...तुम्हें जब भी द...
    • मेरी डायरी
      राहुल को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं... - *हिन्दुस्तान का शहज़ादा* *फ़िरदौस ख़ान* कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए देशवासियों की पहली पसंद हैं. सीएनएन-आईबीएन और सीएनबीसी-टीवी ...