राधा मोहन सिंह
भारत की आत्मा गांवों में बसती है, जिसमें जान भरने और अपनी मेहनत से सींचने का काम हमारे किसान भाई करते रहे हैं. देश में कृषि के विकास पर नजर डालें तो आजादी के समय या उसके बाद के दशकों में कृषि की दशा के साथ-साथ खाद्य उत्पादन भी दयनीय अवस्था में था. बढ़ती आबादी, कुदरत की मार, वैज्ञानिक साधनों एवं कृषि अनुसंधानों के अभाव में अनाज उत्पादन इतना कम था कि हम विदेश से अनाज आयात करने को मजबूर थे. आगे चलकर 1960 के दशक में देश में गेहूं और धान जैसे फसलों को केंद्र में रखते हुए वैज्ञानिक उपायों और कृषि अनुसंधानों के जरिए हरित क्रांति का सूत्रपात हुआ, लेकिन इसका दायरा पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहले से ही उन्नत जिलों और दक्षिण-पूर्व के तटीय क्षेत्रों तक ही सीमित रहा. बीच के दशकों में तात्काजलीन सरकारों द्वारा खेती के विकास और किसानों के कल्याण की बातें तो बहुत हुईं, यहां तक कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात भी हुई, लेकिन उस रफ्तार से काम नहीं किया गया, जिससे कृषि का तीव्र विकास हो, हमारे किसान खुशहाल हों, उनकी आमदनी बढ़े और देश खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में समर्थ हो.
माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में केंद्रीय कृषि एवं किसान मंत्रालय अपने किसान भाइयों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए कई स्तरों पर प्रयास कर रहा है. जब तक किसानों की आमदनी नहीं बढ़ेगी, उन्हें उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य नहीं मिलेगा, तब तक उनका जीवन खुशहाल नहीं हो सकता. माननीय प्रधानमंत्री जी ने लक्ष्य रखा है कि मार्च 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना है. इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं. इसके लिए कृषि, सहकारिता एवं किसान विभाग के अपर सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालय समिति का गठन किया गया है. इस समिति ने खरीफ 2016 से अपना काम शुरू कर दिया है. वर्ष 2021-22 तक किसानों/कृषि मजदूरों की आमदनी कैसे दोगुनी हो सकती है और इसके लिए कितनी विकास दर आवश्यक होगी, लक्ष्य पूर्ति के लिए क्या रणनीति हो एवं इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर समिति राय देगी. हमारे किसान भाइयों की आमदनी का प्रमुख जरिया खेती-बाड़ी ही है. बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए फसल का उत्पादन बढ़ाना जरूरी है. इसके लिए केंद्र सरकार ने पूर्वोत्त र राज्यों में दूसरी हरित क्रांति का आगाज किया है. देश के सात राज्यों- असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दूसरी हरित क्रांति चलाई जा रही है. दूसरी हरित क्रांति सिर्फ अनाज, दलहन व तिलहन तक सीमित नहीं रहेगी. श्वेत क्रांति, नीली क्रांति में भी पूर्वी राज्यों में विकास और उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. सरकार ने दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूवनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है, ताकि दलहन की आपूर्ति और खपत के बीच के अंतर को पाटा जा सके. कृषि पर दबाव कम हो और किसान भाइयों की आमदनी बढ़े, इसके लिए गौ पालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन आदि को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.
केवल फसल उत्पादन बढ़े, इतना ही पर्याप्त नहीं है. हमारे किसान भाइयों को फायदा तभी होगा जब उत्पादन बढ़ने के साथ ही उत्पादन लागत कम रहे, उसे उसकी फसल का बेहतर मूल्य मिले, बाजार की सुविधा हो, किसान को सही समय पर खाद व बीज मिले, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राहत का प्रबंध हो और उन्हें फसल बीमा मिले. केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, कृषि वानिकी और नीम लेपित यूरिया, राष्ट्रीय कृषि बाजार, किसानों के लिए मोबाइल एप की शुरूआत, कृषि विज्ञान केंद्रों को मजबूत करना, केवीके पोर्टल की शुरूआत, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देना, मेरा गांव, मेरा गौरव योजना की शुरूआत, सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए दीन दयाल अंत्योबदय मिशन, किसान की जरूरतों के अनुरूप स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम शुरू करना आदि कदम उठाए गए हैं. इसके अलावा पशुपालन, डेयरी और चिकित्सा शिक्षा में बदलाव भी किए गये हैं. कृषि के अलावा बागवानी कृषि पर सरकार का पूरा जोर है. बागवानी कृषि हमारे किसान भाइयों की आमदनी बढ़ाने में काफी सहायक है.
हालांकि, हमारी अधिकांश कृषि प्रकृति पर निर्भर है. कभी बाढ़, कभी सूखा, कभी ओला वृष्टि, तो कभी अन्य आपदा. अपने अन्नदाताओं की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ शुरू की है, ताकि वे खुशहाल हों. सरकार अगले 2-3 वर्षों में 50 फीसदी किसानों को फसल बीमा के दायरे में लाना चाहती है. अभी मात्र 20 फीसदी किसानों को ही फसल बीमा के दायरे में लाया जा सका है. इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हमारे किसान भाई बीमा की कम प्रीमियम राशि चुकाकर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. शेष भार सरकार खुद वहन करेगी. यहां तक कि 90 फीसदी से ज्यादा शेष भार होने पर भी सरकार द्वारा ही वहन किया जाएगा. किसानों को रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी और खरीफ के लिए 2 फीसदी की दर से प्रीमियम देना होगा. इतना ही नहीं, बीमा पर भुगतान की सीमा हटा दी गयी है. खेत से लेकर खलिहान तक किसानों को बीमा सुरक्षा दिए जाने का प्रावधान किया गया है.
प्रधानमंत्री जी ने लक्ष्य रखा है कि हमें प्रति बूंद ज्यादा फसल उगानी है. यह तभी संभव होगा जब प्रत्येक खेत को पानी मिले और सिंचाई की व्यवस्था हो. इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गयी है, जिसे मिशन मोड में चलाया जा रहा है, ताकि सूखे की समस्या का स्थायी समाधान ढूंढा जा सके. इसके लिए देश के सभी जिलों में जिला सिंचाई योजना तैयार करने के लिए राशि दी गई है.
किसान खेती करता था, लेकिन उसे यह पता नहीं होता था कि उसके खेत में कितनी दवा या उर्वरक देना है. इसके लिए सरकार ने देश में पहली बार सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम की शुरूआत की है. इस स्कीेम के तहत फसल उत्पादन के लिए उपयुक्त संस्कृति, पोषक तत्वों की मात्रा का प्रयोग करने और मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार के लिए देश के सभी 14 करोड़ किसानों को दो वर्ष में सॉयल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा.
देश में अभी तक यूरिया को लेकर मारामारी रहती थी, लेकिन यह पहला वर्ष है जब यूरिया की कोई कमी नहीं है. हमने अपने किसान भाइयों के लिए नीम लेपित यूरिया की व्यवस्था की. इससे किसानों को 100 किलोग्राम की जगह 90 किलोग्राम यूरिया का ही इस्तेमाल करना होगा, जिससे लागत मूल्य में कमी आने के साथ ही अब यूरिया का गलत उपयोग भी नहीं हो पाएगा. साथ ही सरकार ने पोटाश व डीएपी के दाम भी कम किए हैं. इसके साथ ही मोदी सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना शुरू की है. 2016-17 के बजट में योजना के माध्यम से 3 साल में 5 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. सिक्किम पूरी तरह से जैविक खेती करने वाला राज्य बन गया है.
किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिले, इसके लिए सरकार ने किसानों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार शुरू किया है. अब कोई भी व्यक्ति अपने घर के नजदीक स्थित राष्ट्रीय कृषि बाजार केन्द्र में जाकर कम्प्यूटर पर देश भर की मंडियों पर नजर डाल सकता है. 14 अप्रैल, 2016 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का पायलट प्रोजेक्ट लांच कर दिया गया है. आजादी का सपना तब पूरा होगा, जब किसान होंगे खुशहाल और इस समय आठ राज्यों की 23 मंडियों में 11 जिंसों की खरीद-बिक्री शुरू हो रही है. अप्रैल 2016 से सितंबर 2016 के मध्य तक 200 मंडियों को ई-ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से जोड़ दिया जाएगा. फिर अक्तूबर, 2016 से 31 मार्च 2017 के मध्य तक 200 मंडियों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा. मार्च 2018 तक देश की 585 मंडियों को एक-दूसरे से जोड़ दिया जाएगा.
किसानों को सही समय पर सूचना देने के कृषि एवं किसान कल्यामण मंत्रालय के कई पोर्टल हैं, जिनके जरिए हमारे किसान भाई सूचना प्राप्त कर सकते हैं. भारत सरकार का किसान पोर्टल- http://farmer.gov.in , भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की वेबसाइट http://www.icar.org.in, केवीके की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी प्रदान करने एवं उसकी उच्च स्तर पर निगरानी एवं प्रबंधन हेतु बनाए गए पोर्टलhttp://kvk.icar.gov.in/ पर किसानों के लिए योजनाओं की जानकारी उपलब्ध है. विभिन्न तरह के मोबाइल एप मसलन किसान सुविधा एप, पूसा कृषि एप, भुवन ओलावृष्टि एप, फसल बीमा एप, एग्री मार्केट एप, पशु पोषण एप हैं. ये सभी एप्स www.mkisan.gov.in के अलावा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किए जा सकते हैं.
माननीय प्रधानमंत्री जी की स्टूमडेंट रेडी (Rural Entrepreneurship Awareness Development Yojana) वर्ष 2015 में शुरू हुई थी जो वर्ष 2016-17 से लागू होगी. कृषि स्नातकों में व्यावहारिक अनुभव तथा उद्यमिता कौशल प्राप्त करने के लिए अवसर प्रदान करने हेतु यह एक नया कार्यक्रम है. हमने कृषि विज्ञान के पाठ्यक्रम और विषय-वस्तु में सुधार के लिए गठित पांचवीं डीन कमेटी की सिफारिश को मंजूरी दी है. कृषि-विज्ञान के स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में भारी बदलाव किए गये हैं और इन्हें अब व्यावहारिक अनुभव के साथ व्यावसायिक और रोजगारोन्मुख बना दिया गया है. दो नये केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी है. कृषि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. देश के संघीय ढांचे में राज्यों की अहम भूमिका है. कृषि राज्य का विषय है. कृषि व किसान कल्याण का लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है, जब राज्यों का पूरा सहयोग मिले और यह मिलता भी रहा है. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत के सभी राज्यों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. राज्य सरकार के प्रयासों में और तेजी लाने के उद्देश्य से केन्द्र द्वारा पोषित कई योजनाएं भी समय-समय पर लागू की गईं जिससे कि देश के कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हो सके और किसान खुशहाल हो.
सरकार के उपरोक्त सभी कार्यक्रमों व प्रयासों का एकमात्र लक्ष्य है किसान भाइयों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करना और इसके लिए जो भी कदम उठाना है, सरकार उसके लिए कृतसंकल्प है. इसी रास्ते पर आगे बढ़ते हुए आजाद भारत में खुशहाल किसान का लक्ष्य पाया जा सकता है.
(लेखक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री हैं)
भारत की आत्मा गांवों में बसती है, जिसमें जान भरने और अपनी मेहनत से सींचने का काम हमारे किसान भाई करते रहे हैं. देश में कृषि के विकास पर नजर डालें तो आजादी के समय या उसके बाद के दशकों में कृषि की दशा के साथ-साथ खाद्य उत्पादन भी दयनीय अवस्था में था. बढ़ती आबादी, कुदरत की मार, वैज्ञानिक साधनों एवं कृषि अनुसंधानों के अभाव में अनाज उत्पादन इतना कम था कि हम विदेश से अनाज आयात करने को मजबूर थे. आगे चलकर 1960 के दशक में देश में गेहूं और धान जैसे फसलों को केंद्र में रखते हुए वैज्ञानिक उपायों और कृषि अनुसंधानों के जरिए हरित क्रांति का सूत्रपात हुआ, लेकिन इसका दायरा पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहले से ही उन्नत जिलों और दक्षिण-पूर्व के तटीय क्षेत्रों तक ही सीमित रहा. बीच के दशकों में तात्काजलीन सरकारों द्वारा खेती के विकास और किसानों के कल्याण की बातें तो बहुत हुईं, यहां तक कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात भी हुई, लेकिन उस रफ्तार से काम नहीं किया गया, जिससे कृषि का तीव्र विकास हो, हमारे किसान खुशहाल हों, उनकी आमदनी बढ़े और देश खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में समर्थ हो.
माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में केंद्रीय कृषि एवं किसान मंत्रालय अपने किसान भाइयों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए कई स्तरों पर प्रयास कर रहा है. जब तक किसानों की आमदनी नहीं बढ़ेगी, उन्हें उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य नहीं मिलेगा, तब तक उनका जीवन खुशहाल नहीं हो सकता. माननीय प्रधानमंत्री जी ने लक्ष्य रखा है कि मार्च 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना है. इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं. इसके लिए कृषि, सहकारिता एवं किसान विभाग के अपर सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालय समिति का गठन किया गया है. इस समिति ने खरीफ 2016 से अपना काम शुरू कर दिया है. वर्ष 2021-22 तक किसानों/कृषि मजदूरों की आमदनी कैसे दोगुनी हो सकती है और इसके लिए कितनी विकास दर आवश्यक होगी, लक्ष्य पूर्ति के लिए क्या रणनीति हो एवं इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर समिति राय देगी. हमारे किसान भाइयों की आमदनी का प्रमुख जरिया खेती-बाड़ी ही है. बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए फसल का उत्पादन बढ़ाना जरूरी है. इसके लिए केंद्र सरकार ने पूर्वोत्त र राज्यों में दूसरी हरित क्रांति का आगाज किया है. देश के सात राज्यों- असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दूसरी हरित क्रांति चलाई जा रही है. दूसरी हरित क्रांति सिर्फ अनाज, दलहन व तिलहन तक सीमित नहीं रहेगी. श्वेत क्रांति, नीली क्रांति में भी पूर्वी राज्यों में विकास और उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. सरकार ने दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूवनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है, ताकि दलहन की आपूर्ति और खपत के बीच के अंतर को पाटा जा सके. कृषि पर दबाव कम हो और किसान भाइयों की आमदनी बढ़े, इसके लिए गौ पालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन आदि को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.
केवल फसल उत्पादन बढ़े, इतना ही पर्याप्त नहीं है. हमारे किसान भाइयों को फायदा तभी होगा जब उत्पादन बढ़ने के साथ ही उत्पादन लागत कम रहे, उसे उसकी फसल का बेहतर मूल्य मिले, बाजार की सुविधा हो, किसान को सही समय पर खाद व बीज मिले, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राहत का प्रबंध हो और उन्हें फसल बीमा मिले. केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, कृषि वानिकी और नीम लेपित यूरिया, राष्ट्रीय कृषि बाजार, किसानों के लिए मोबाइल एप की शुरूआत, कृषि विज्ञान केंद्रों को मजबूत करना, केवीके पोर्टल की शुरूआत, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देना, मेरा गांव, मेरा गौरव योजना की शुरूआत, सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए दीन दयाल अंत्योबदय मिशन, किसान की जरूरतों के अनुरूप स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम शुरू करना आदि कदम उठाए गए हैं. इसके अलावा पशुपालन, डेयरी और चिकित्सा शिक्षा में बदलाव भी किए गये हैं. कृषि के अलावा बागवानी कृषि पर सरकार का पूरा जोर है. बागवानी कृषि हमारे किसान भाइयों की आमदनी बढ़ाने में काफी सहायक है.
हालांकि, हमारी अधिकांश कृषि प्रकृति पर निर्भर है. कभी बाढ़, कभी सूखा, कभी ओला वृष्टि, तो कभी अन्य आपदा. अपने अन्नदाताओं की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ शुरू की है, ताकि वे खुशहाल हों. सरकार अगले 2-3 वर्षों में 50 फीसदी किसानों को फसल बीमा के दायरे में लाना चाहती है. अभी मात्र 20 फीसदी किसानों को ही फसल बीमा के दायरे में लाया जा सका है. इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हमारे किसान भाई बीमा की कम प्रीमियम राशि चुकाकर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. शेष भार सरकार खुद वहन करेगी. यहां तक कि 90 फीसदी से ज्यादा शेष भार होने पर भी सरकार द्वारा ही वहन किया जाएगा. किसानों को रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी और खरीफ के लिए 2 फीसदी की दर से प्रीमियम देना होगा. इतना ही नहीं, बीमा पर भुगतान की सीमा हटा दी गयी है. खेत से लेकर खलिहान तक किसानों को बीमा सुरक्षा दिए जाने का प्रावधान किया गया है.
प्रधानमंत्री जी ने लक्ष्य रखा है कि हमें प्रति बूंद ज्यादा फसल उगानी है. यह तभी संभव होगा जब प्रत्येक खेत को पानी मिले और सिंचाई की व्यवस्था हो. इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गयी है, जिसे मिशन मोड में चलाया जा रहा है, ताकि सूखे की समस्या का स्थायी समाधान ढूंढा जा सके. इसके लिए देश के सभी जिलों में जिला सिंचाई योजना तैयार करने के लिए राशि दी गई है.
किसान खेती करता था, लेकिन उसे यह पता नहीं होता था कि उसके खेत में कितनी दवा या उर्वरक देना है. इसके लिए सरकार ने देश में पहली बार सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम की शुरूआत की है. इस स्कीेम के तहत फसल उत्पादन के लिए उपयुक्त संस्कृति, पोषक तत्वों की मात्रा का प्रयोग करने और मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार के लिए देश के सभी 14 करोड़ किसानों को दो वर्ष में सॉयल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा.
देश में अभी तक यूरिया को लेकर मारामारी रहती थी, लेकिन यह पहला वर्ष है जब यूरिया की कोई कमी नहीं है. हमने अपने किसान भाइयों के लिए नीम लेपित यूरिया की व्यवस्था की. इससे किसानों को 100 किलोग्राम की जगह 90 किलोग्राम यूरिया का ही इस्तेमाल करना होगा, जिससे लागत मूल्य में कमी आने के साथ ही अब यूरिया का गलत उपयोग भी नहीं हो पाएगा. साथ ही सरकार ने पोटाश व डीएपी के दाम भी कम किए हैं. इसके साथ ही मोदी सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना शुरू की है. 2016-17 के बजट में योजना के माध्यम से 3 साल में 5 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. सिक्किम पूरी तरह से जैविक खेती करने वाला राज्य बन गया है.
किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिले, इसके लिए सरकार ने किसानों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार शुरू किया है. अब कोई भी व्यक्ति अपने घर के नजदीक स्थित राष्ट्रीय कृषि बाजार केन्द्र में जाकर कम्प्यूटर पर देश भर की मंडियों पर नजर डाल सकता है. 14 अप्रैल, 2016 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का पायलट प्रोजेक्ट लांच कर दिया गया है. आजादी का सपना तब पूरा होगा, जब किसान होंगे खुशहाल और इस समय आठ राज्यों की 23 मंडियों में 11 जिंसों की खरीद-बिक्री शुरू हो रही है. अप्रैल 2016 से सितंबर 2016 के मध्य तक 200 मंडियों को ई-ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से जोड़ दिया जाएगा. फिर अक्तूबर, 2016 से 31 मार्च 2017 के मध्य तक 200 मंडियों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा. मार्च 2018 तक देश की 585 मंडियों को एक-दूसरे से जोड़ दिया जाएगा.
किसानों को सही समय पर सूचना देने के कृषि एवं किसान कल्यामण मंत्रालय के कई पोर्टल हैं, जिनके जरिए हमारे किसान भाई सूचना प्राप्त कर सकते हैं. भारत सरकार का किसान पोर्टल- http://farmer.gov.in , भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की वेबसाइट http://www.icar.org.in, केवीके की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी प्रदान करने एवं उसकी उच्च स्तर पर निगरानी एवं प्रबंधन हेतु बनाए गए पोर्टलhttp://kvk.icar.gov.in/ पर किसानों के लिए योजनाओं की जानकारी उपलब्ध है. विभिन्न तरह के मोबाइल एप मसलन किसान सुविधा एप, पूसा कृषि एप, भुवन ओलावृष्टि एप, फसल बीमा एप, एग्री मार्केट एप, पशु पोषण एप हैं. ये सभी एप्स www.mkisan.gov.in के अलावा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किए जा सकते हैं.
माननीय प्रधानमंत्री जी की स्टूमडेंट रेडी (Rural Entrepreneurship Awareness Development Yojana) वर्ष 2015 में शुरू हुई थी जो वर्ष 2016-17 से लागू होगी. कृषि स्नातकों में व्यावहारिक अनुभव तथा उद्यमिता कौशल प्राप्त करने के लिए अवसर प्रदान करने हेतु यह एक नया कार्यक्रम है. हमने कृषि विज्ञान के पाठ्यक्रम और विषय-वस्तु में सुधार के लिए गठित पांचवीं डीन कमेटी की सिफारिश को मंजूरी दी है. कृषि-विज्ञान के स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में भारी बदलाव किए गये हैं और इन्हें अब व्यावहारिक अनुभव के साथ व्यावसायिक और रोजगारोन्मुख बना दिया गया है. दो नये केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी है. कृषि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. देश के संघीय ढांचे में राज्यों की अहम भूमिका है. कृषि राज्य का विषय है. कृषि व किसान कल्याण का लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है, जब राज्यों का पूरा सहयोग मिले और यह मिलता भी रहा है. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत के सभी राज्यों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. राज्य सरकार के प्रयासों में और तेजी लाने के उद्देश्य से केन्द्र द्वारा पोषित कई योजनाएं भी समय-समय पर लागू की गईं जिससे कि देश के कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हो सके और किसान खुशहाल हो.
सरकार के उपरोक्त सभी कार्यक्रमों व प्रयासों का एकमात्र लक्ष्य है किसान भाइयों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करना और इसके लिए जो भी कदम उठाना है, सरकार उसके लिए कृतसंकल्प है. इसी रास्ते पर आगे बढ़ते हुए आजाद भारत में खुशहाल किसान का लक्ष्य पाया जा सकता है.
(लेखक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री हैं)