प्रसून लतांत
नई दिल्ली. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती करीब आ रही है. इसे सरकार और गांधीवादी संस्थाएं अपने अपने तरीके से मनाने की तैयारियों में जुट गयी हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि महात्मा गांधी की खास जयंती को सरकार और गांधीवादी संगठन अलग अलग मनाएंगे. सरकार की ओर से गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से मनाई जाएगी जबकि गांधीवादी संगठनों में कुछ ने इसे अभी से ही मनाना शुरू कर दिया है. अन्य दूसरे गांधीवादी संगठन 2 अक्तूबर 2018 से मनाएंगे.
गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही बताते हैं कि महात्मा गांधी की 100वीं जयंती जब 1969 में मनाई जा रही थी तब सरकार ने गांधीवादी संस्थाओं द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों को ही पूरी तरह से स्वीकार कर लिया था और उन्हें क्रियान्वित करने में भी भरपूर सहयोग दिया था लेकिन अब जबकि उनकी 150वीं जयंती करीब आ रही है तब सरकार स्वयं अलग से इसके आयोजन की तैयारियों में जुट गयी है. ऐसे में गांधीवादी संगठनों ने 2 अक्तूबर 2018 से ही गांधीजी की 150वीं जयंती मनाने का फैसला किया है. वे इस बारे में 30 जनवरी 2018 को गांधीजी के शहादत दिवस पर ‘‘गांधी 150’’ महा-अभियान का औपचारिक ऐलान करेंगे.
उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गांधी जी की 150वीं जयंती मनाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित केन्द्र के मंत्री गांधीवादी विचारक और अन्य विशेषज्ञों को शामिल किया गया हैं. जैसाकि समझा जा रहा है कि केन्द्र सरकार का ध्यान गांधी जी के ‘‘सफाई’’ वाले संदेश पर ज्यादा है इसलिए उनकी ओर से अगले साल से मनाए जाने वाले समारोह और अभियान ‘‘स्वच्छता’’ पर केन्द्रित होंगे. सरकार की कोशिश है कि इस अवसर को पूरे देश में सफाई अभियानों को व्यापक बनाने की दिशा में उपयोग किया जाएगा.
गांधीवादी संगठन और संस्थाएं सफाई को महत्व देती हैं लेकिन उनका मकसद गांधीजी की 150वीं जयंती के कार्यक्रमों को केवल सफाई तक सीमित रखना नहीं होगा. उनके लिए यह जयंती ऐसे समय में करीब आ रही है जब वे महसूसते हैं कि देश की कुछ शक्तियां गांधी को लील जाने की कोशिश में हैं जबकि दूसरी ओर ऐसी शक्तियां हैं जो गांधी को जन जन तक पहुंचा कर उनके सपनों जैसा भारत बनाने की कोशिश कर रही हैं. गांधीवादी संगठन गांधीजी की 150वीं जयंती के दौरान ऐसे कार्यक्रम, अभियान, और सभा और जुलूस की तारीखें तय कर रहे हैं जिनसे गांधी के खिलाफ चल रही दुष्प्रचार की आंधी थमे और गांधी पूरी समग्रता में लोगों के बीच उपस्थित हो सकें. हालांकि, गांधीजी स्कूल, कालेजों के पाठ्यक्रमों का हिस्सा हैं लेकिन उनमें उनकी सतही छवि ही प्रचलित है.
गांधी शाति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष और वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक कुमार प्रशांत का कहना है कि सभी ने अपने लिए अपना अपना गांधी चुन लिया है जिसमें गांधी का क्रांतिकारी रूप ओझल हो गया है जबकि वही गांधी हैं जो 150 साल की संधि रेखा पर आज हमें चुनौती दे रहे हैं. हमें सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ना होगा और जैसी गोलियांे का सामना गांधी जी ने किया वैसा ही हमें भी करना होगा.
देशभर से जुटे गांधीजनों ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय विमर्श में सभी से संस्थाओं के दायरे से निकल कर एक मंच पर आकर गांधी की 150वीं जयंती मनाने की अपील की है. कस्तूरबा गांधी स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष डाक्टर करुणाकर त्रिवेदी ने आयोजन के स्वरूपों की चर्चा करते हुए कहा कि गांधी 150 महाअभियान का परिणाम ऐसा होना चाहिए कि गांधी 200 का आयोजन करने वाली नई ताकत खड़ी हो जाए. उनके मुताबिक ट्रस्ट के देशभर में फैले विभिन्न केन्द्र आम लोगों को साथ लेकर गांधी 150 के कार्यक्रमों को अंजाम देंगे. लेखक, विचारक डाक्टर अपूर्वानंद का कहना है कि गांधी 150 मनाते समय हमारे समय गांधी के बाद के 70 साल जो बीते हैं और इस दौरान जो हिन्दुस्तान बना वह हमारी आंखों के सामने होना चाहिए. आज हमारे मुस्लिम और इसाई समाज में जो बेचैनी है उसे नजरंदाज करना हमें भारी पड़ेगा. गांधीजन गांधी 150 अभियानों में दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों की न केवल भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं बल्कि उनके नेतृत्व में ही कार्यक्रम करने की संरचना गढ़ रहे हैं.
प्रसिद्ध उपन्यासकार गिरिराज किशोर का कहना है कि गांधीवादी संगठनों को मिलकर समग्रता से गांधी-बा 150 मनाना चाहिए. महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी एक वर्ष में ही पैदा हुए थे. इसलिए बा की उपेक्षा ठीक नहीं है. गांधीवादी नेत्री राधा भट्ट सहित अनेक गांधीजन भी इससे सहमत हैं और वे कार्यक्रमों में कस्तूरबा गांधी को महत्व देते हुए महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं.
गौरतलब है कि गांधी जन्म शताब्दी पर गांधीजन और उनकी संस्थाओं ने सरकार के साथ मिलकर आयोजन किया था जब सभी गांधीवादी संस्थाएं एकजुट थीं पर वर्तमान में गांधी संगठन और संस्थाएं एकजुट नहीं हैं. गांधीजनों के अलग-अलग गुट 150वीं जयंती मनाने जा
रहे हैं. ऐसे में वरिष्ठ गांधीवादी अमरनाथ और सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष भाई सभी गांधीवादी संगठनों की एकता पर जोर दे रहे हैं और मिलजुलकर जयंती समारोह को मनाने की अपील कर रहे हैं. 2 अक्तूबर 2018 से प्रसिद्ध गांधीवादी पीवी राजगोपाल भूमिहीनों के मसले हल करने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं जिसका नेतृत्व सर्वोदयी नेता कृष्णम्मा, बाल विजय और एस एन सुब्बाराव करेंगे. इस आंदोलन के तहत देश के दो सौ से अधिक स्थानों पर गांधीजन भूमिहीनों के साथ व्रत और उपवास करेंगे और लंबित मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए यात्राएं भी करेंगे.
नई दिल्ली. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती करीब आ रही है. इसे सरकार और गांधीवादी संस्थाएं अपने अपने तरीके से मनाने की तैयारियों में जुट गयी हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि महात्मा गांधी की खास जयंती को सरकार और गांधीवादी संगठन अलग अलग मनाएंगे. सरकार की ओर से गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से मनाई जाएगी जबकि गांधीवादी संगठनों में कुछ ने इसे अभी से ही मनाना शुरू कर दिया है. अन्य दूसरे गांधीवादी संगठन 2 अक्तूबर 2018 से मनाएंगे.
गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही बताते हैं कि महात्मा गांधी की 100वीं जयंती जब 1969 में मनाई जा रही थी तब सरकार ने गांधीवादी संस्थाओं द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों को ही पूरी तरह से स्वीकार कर लिया था और उन्हें क्रियान्वित करने में भी भरपूर सहयोग दिया था लेकिन अब जबकि उनकी 150वीं जयंती करीब आ रही है तब सरकार स्वयं अलग से इसके आयोजन की तैयारियों में जुट गयी है. ऐसे में गांधीवादी संगठनों ने 2 अक्तूबर 2018 से ही गांधीजी की 150वीं जयंती मनाने का फैसला किया है. वे इस बारे में 30 जनवरी 2018 को गांधीजी के शहादत दिवस पर ‘‘गांधी 150’’ महा-अभियान का औपचारिक ऐलान करेंगे.
उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गांधी जी की 150वीं जयंती मनाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित केन्द्र के मंत्री गांधीवादी विचारक और अन्य विशेषज्ञों को शामिल किया गया हैं. जैसाकि समझा जा रहा है कि केन्द्र सरकार का ध्यान गांधी जी के ‘‘सफाई’’ वाले संदेश पर ज्यादा है इसलिए उनकी ओर से अगले साल से मनाए जाने वाले समारोह और अभियान ‘‘स्वच्छता’’ पर केन्द्रित होंगे. सरकार की कोशिश है कि इस अवसर को पूरे देश में सफाई अभियानों को व्यापक बनाने की दिशा में उपयोग किया जाएगा.
गांधीवादी संगठन और संस्थाएं सफाई को महत्व देती हैं लेकिन उनका मकसद गांधीजी की 150वीं जयंती के कार्यक्रमों को केवल सफाई तक सीमित रखना नहीं होगा. उनके लिए यह जयंती ऐसे समय में करीब आ रही है जब वे महसूसते हैं कि देश की कुछ शक्तियां गांधी को लील जाने की कोशिश में हैं जबकि दूसरी ओर ऐसी शक्तियां हैं जो गांधी को जन जन तक पहुंचा कर उनके सपनों जैसा भारत बनाने की कोशिश कर रही हैं. गांधीवादी संगठन गांधीजी की 150वीं जयंती के दौरान ऐसे कार्यक्रम, अभियान, और सभा और जुलूस की तारीखें तय कर रहे हैं जिनसे गांधी के खिलाफ चल रही दुष्प्रचार की आंधी थमे और गांधी पूरी समग्रता में लोगों के बीच उपस्थित हो सकें. हालांकि, गांधीजी स्कूल, कालेजों के पाठ्यक्रमों का हिस्सा हैं लेकिन उनमें उनकी सतही छवि ही प्रचलित है.
गांधी शाति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष और वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक कुमार प्रशांत का कहना है कि सभी ने अपने लिए अपना अपना गांधी चुन लिया है जिसमें गांधी का क्रांतिकारी रूप ओझल हो गया है जबकि वही गांधी हैं जो 150 साल की संधि रेखा पर आज हमें चुनौती दे रहे हैं. हमें सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ना होगा और जैसी गोलियांे का सामना गांधी जी ने किया वैसा ही हमें भी करना होगा.
देशभर से जुटे गांधीजनों ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय विमर्श में सभी से संस्थाओं के दायरे से निकल कर एक मंच पर आकर गांधी की 150वीं जयंती मनाने की अपील की है. कस्तूरबा गांधी स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष डाक्टर करुणाकर त्रिवेदी ने आयोजन के स्वरूपों की चर्चा करते हुए कहा कि गांधी 150 महाअभियान का परिणाम ऐसा होना चाहिए कि गांधी 200 का आयोजन करने वाली नई ताकत खड़ी हो जाए. उनके मुताबिक ट्रस्ट के देशभर में फैले विभिन्न केन्द्र आम लोगों को साथ लेकर गांधी 150 के कार्यक्रमों को अंजाम देंगे. लेखक, विचारक डाक्टर अपूर्वानंद का कहना है कि गांधी 150 मनाते समय हमारे समय गांधी के बाद के 70 साल जो बीते हैं और इस दौरान जो हिन्दुस्तान बना वह हमारी आंखों के सामने होना चाहिए. आज हमारे मुस्लिम और इसाई समाज में जो बेचैनी है उसे नजरंदाज करना हमें भारी पड़ेगा. गांधीजन गांधी 150 अभियानों में दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों की न केवल भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं बल्कि उनके नेतृत्व में ही कार्यक्रम करने की संरचना गढ़ रहे हैं.
प्रसिद्ध उपन्यासकार गिरिराज किशोर का कहना है कि गांधीवादी संगठनों को मिलकर समग्रता से गांधी-बा 150 मनाना चाहिए. महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी एक वर्ष में ही पैदा हुए थे. इसलिए बा की उपेक्षा ठीक नहीं है. गांधीवादी नेत्री राधा भट्ट सहित अनेक गांधीजन भी इससे सहमत हैं और वे कार्यक्रमों में कस्तूरबा गांधी को महत्व देते हुए महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं.
गौरतलब है कि गांधी जन्म शताब्दी पर गांधीजन और उनकी संस्थाओं ने सरकार के साथ मिलकर आयोजन किया था जब सभी गांधीवादी संस्थाएं एकजुट थीं पर वर्तमान में गांधी संगठन और संस्थाएं एकजुट नहीं हैं. गांधीजनों के अलग-अलग गुट 150वीं जयंती मनाने जा
रहे हैं. ऐसे में वरिष्ठ गांधीवादी अमरनाथ और सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष भाई सभी गांधीवादी संगठनों की एकता पर जोर दे रहे हैं और मिलजुलकर जयंती समारोह को मनाने की अपील कर रहे हैं. 2 अक्तूबर 2018 से प्रसिद्ध गांधीवादी पीवी राजगोपाल भूमिहीनों के मसले हल करने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं जिसका नेतृत्व सर्वोदयी नेता कृष्णम्मा, बाल विजय और एस एन सुब्बाराव करेंगे. इस आंदोलन के तहत देश के दो सौ से अधिक स्थानों पर गांधीजन भूमिहीनों के साथ व्रत और उपवास करेंगे और लंबित मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए यात्राएं भी करेंगे.