रत्नेश त्रिपाठी
बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ बौद्ध धर्म का ही नही अपितु समस्त भारतीय परम्परागत का पावन त्यौहार है | यह एक ऐसा अनोखा दिन है जिस दिन तथागत बुद्ध से जुडी तीनो महत्वपूर्ण तिथियों का मेल होता है - प्रथम उनका जन्म द्वितीय आज ही के दिन बोधगया में ज्ञान कि प्राप्ति तथा तृतीय कुशीनगर में आज ही के दिन महापरिनिर्वाण कि प्राप्ति |
इतिहास में ऐसा किसी अन्य किसी महापुरुष के साथ ऐसा संयोग देखने को नहीं मिलता | जहाँ हिन्दू धर्म में तथागत को भगवान विष्णु का अवतार मन कर पूजा जाता है वही सम्पूर्ण विश्व मे अहिंसा व करुणा के कारण पूजनीय स्थान प्राप्त है | आज के पावन दिन को भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में अलग अलग रूपों में बौद्ध अनुयायियों तथा भारतीयों द्वारा मनाया जाता है | कुशीनगर जहाँ तथागत का महापरिनिर्वाण हुआ था, बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक विशाल मेला लगता है जो पुरे एक महीने तक चलता है | इसी प्रकार श्रीलंका में तथा अन्य बौद्ध धर्मानुयायी देशों में वेसाक (बैसाख) के नाम से त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है |
इतिहास में ऐसा किसी अन्य किसी महापुरुष के साथ ऐसा संयोग देखने को नहीं मिलता | जहाँ हिन्दू धर्म में तथागत को भगवान विष्णु का अवतार मन कर पूजा जाता है वही सम्पूर्ण विश्व मे अहिंसा व करुणा के कारण पूजनीय स्थान प्राप्त है | आज के पावन दिन को भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में अलग अलग रूपों में बौद्ध अनुयायियों तथा भारतीयों द्वारा मनाया जाता है | कुशीनगर जहाँ तथागत का महापरिनिर्वाण हुआ था, बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक विशाल मेला लगता है जो पुरे एक महीने तक चलता है | इसी प्रकार श्रीलंका में तथा अन्य बौद्ध धर्मानुयायी देशों में वेसाक (बैसाख) के नाम से त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है |
तथागत बुद्ध ने चार आर्यसत्य बताया है - 1. दुख है, 2. दुःख का कारण है, 3 दुख का निवारण है, 4. दुख निवारण का उपाय है | इस चार आर्यसत्य के माध्यम से तथागत ने जीवन जीने की प्रेरणा दी तथा अंतिम आर्यसत्य जो सभी दुखों का निवारण है, उसे बताते हुए तथागत ने अष्टांगिक मार्ग का सूत्र दिया | ये अष्टांगिक मार्ग है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान , धारणा व समाधि |