फ़िरदौस ख़ान
गुजरात में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कार पर किए गए हमले को किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लिया जा सकता है. यह हमला कई सवाल खड़े करता है. यह हमला एक पार्टी विशेष के नेता पर किया गया हमला नहीं है. दरअसल, यह फ़ासीवादी ताक़तों द्वारा लोकतंत्र पर किया गया हमला है. यह हमला इस बात का सबूत है कि शासन-प्रशासन कितना नाकारा है. कितना डरा हुआ है. विशेष सुरक्षा बल की तैनाती के बावजूद कुछ लोग काले झंडे लेकर मोदी-मोदी के नारे लगाते हुए आते हैं और फिर अचानक राहुल गांधी की कार पर पत्थरों से हमला बोल देते हैं.
यह हमला उस वक़्त हुआ, जब राहुल गांधी गुजरात के बाढ़ प्राभावित ज़िले बनासकांठा के धनेरा में पीड़ितों से मिलकर लौट रहे थे. वे कार की अगली सीट पर बैठे थे. उनकी कार पर एक बड़ा पत्थर फेंका गया, जिससे गाड़ी का शीशा चकनाचूर हो गया. कार में पिछली सीट पर बैठे एसपीगी कमांडो को चोट आई. हमले से पहले राहुल गांधी को काले झंडे दिखाए गए. उनके सामने लोगों ने मोदी-मोदी के नारे भी लगाए. इसके बावजूद राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें आने दो, ये काले झंडे यहां लगाने दो, ये लोग घबराए हुए लोग हैं. हमें इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. हमले के बाद राहुल गांधी ने कहा कि ऐसे हमलों से उनकी आवाज़ दबाई नहीं जा सकती. मैं इन काले झंडे दिखाने वालों से डरने वाला नहीं हूं. मैं आप सभी के बीच आना चाहता था और कहना चाहता था कि कांग्रेस पार्टी आपके साथ है. उनके दफ़्तर की तरफ़ किए गए ट्वीट में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी जी के नारों से, काले झंडों से और पत्थरों से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं, हम अपनी पूरी ताक़त लोगों की मदद करने में लगाएंगे. उन्होंने ऐसा किया भी.
राहुल गांधी हमले से ज़रा भी विचलित नहीं हुए और गुजरात के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों के हवाई दौरे के लिए निकल गए. राहुल गांधी पर हमला करने वाले शायद यह भूल गए हैं कि वे उस शख़्स को डराने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी रगों में शहीदों का ख़ून है. उनके पूर्वजों ने इस देश के लिए अपनी जानें क़ुर्बान की हैं. इस देश की माटी उन कांग्रेस नेताओं की ऋणी है, जिन्होंने अपने ख़ून से इस धरती को सींचा है. देश की आज़ादी में महात्मा गांधी के योगदान को भला कौन भुला पाएगा. देश को आज़ाद कराने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी समर्पित कर दी. पंडित जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, श्री राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी ने देश के लिए, जनता के लिए बहुत कुछ किया. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विकास की जो बुनियाद रखी, इंदिरा गांधी ने उसे परवान चढ़ाया. श्री राजीव गांधी ने देश के युवाओं को आगे बढ़ने की राह दिखाई. उन्होंने युवाओं के लिए जो ख़्वाब संजोये, उन्हें साकार करने में श्रीमती सोनिया गांधी ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.
राहुल गांधी भी लोगों की मदद करने से कभी पीछे नहीं रहते. इस मामले में वह अपनी सुरक्षा की ज़रा भी परवाह नहीं करते. एक बार वह अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी से लौट रहे थे. रास्ते में उन्होंने एक ज़ख़्मी व्यक्ति को सड़क पर तड़पते देखा, तो क़ाफ़िला रुकवा लिया. उन्होंने एंबुलेंस बुलवाई और ज़ख़्मी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया. उन्होंने विधायक और पार्टी प्रवक्ता को उसके इलाज की ज़िम्मेदारी सौंपी. इस दौरान सुरक्षा की परवाह किए बिना वह काफ़ी देर तक सड़क पर खड़े रहे.
राहुल गांधी जब पीड़ितों से मिलने सहारनपुर पहुंचे, तो वहां एक बच्चा भी था. उन्होंने उस बच्चे को अपनी गोद में बिठा लिया. उन्होंने बच्चों से प्यार से बातें कीं और फिर घटना के बारे में पूछा. इस पर बच्चे ने कहा कि अंकल हमारा घर जल गया है, बस्ता भी जल गया और सारी किताबें भी जल गईं. घर बनवा दो, नया बस्ता और किताबें दिलवा दो. इस पर राहुल गांधी ने एक स्थानीय कांग्रेस नेता को उस बच्चे का घर बनवाकर देने और नया बस्ता व किताबें दिलाने की ज़िम्मेदारी सौंप दी. वे मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी पीड़ित किसानों से मिलने पहुंच गए. शासन-प्रशासन से उन्हें किसानों से मिलने से रोकने के लिए भरपूर कोशिश कर ली, लेकिन वे भी किसानों से मिले बिना दिल्ली नहीं लौटे, भले उन्हें गिरफ़्तार होना पड़ा. वे आक्रामक रुख़ अख्तियार करते हुए कहते हैं, मोदी किसानों का क़र्ज़ नहीं माफ़ कर सकते, सही रेट और बोनस नहीं दे सकते, मुआवज़ा नहीं दे सकते, सिर्फ़ किसानों को गोली दे सकते हैं.
राहुल गांधी का कहना है कि उनके क़ाफ़िले पर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने हमला किया. ये हमला एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया गया. उन्होंने कहा, ''एक बड़ा पत्थर बीजेपी कार्यकर्ता ने मेरी ओर मारा, मेरे पीएसओ को लगा.'' उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी पार्टी की राजनीति का तरीक़ा बताया. उन्होंने कहा, ''मोदी जी और बीजेपी-आरएसएस का राजनीति का तरीक़ा है. क्या कह सकते हैं.'' भाजपा की तरफ़ से हादसे को लेकर आ रही प्रतिक्रिया पर राहुल गांधी ने कहा कि जब उन्होंने खुद इस तरह की चीज़ें की हों, तो वे इसकी निंदा कैसे कर सकते हैं. यह काम उनके लोगों ने किया है तो वे इसकी भर्त्सना कैसे करेंगे.
राहुल गांधी पर हमले के बाद कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का कहना है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह सबकुछ पहले से तयशुदा साज़िश के तहत हुआ है. राहुल गांधी को इतनी ज़्यादा सुरक्षा मिली हुई है, इसके बावजूद यह हमला होना सवाल खड़ा करता है. सरकार ने पहले से कोई इंतज़ाम नहीं किए, यह हमला रोका जा सकता था. भाजपा के लोगों ने हमला किया. राहुल गांधी के दौरे से भाजपा सरकार डर गई है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद का कहना है कि राहुल गांधी पर जानलेवा हमला किया गया है. उन्होंने कहा कि जिस पत्थर से हमला किया गया है वह सीमेंट और पत्थर से बना था. जो वहां कहीं और से लाया गया था. राहुल गांधी को निशाना बनाकर पत्थर फेंके गए हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा इन कामों के लिए हमेशा से मशहूर रही है. गांधी जी से लेकर अब तक हम देखते आ रहे हैं.
वहीं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी पर हुए हमले की आलोचना करते हुए कहा कि क्या हम इस लोकतंत्र में ऐसी जगह पहुंच रहे हैं, जहां राजनीतिक विरोधियों को लोकतांत्रिक राजनीति की इजाज़त नहीं दी जाएगी? उन्होंने तल्ख़ लहजे में कहा, "बीजेपी के गुंडों ने राहुल गांधी पर सीमेंट की ईंटों से हमला किया. उनके साथ चलने वाली एसपीजी को भी हल्की चोटें आई हैं. इसकी चौतरफ़ा निंदा की जानी चाहिए." कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी राहुल पर हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, 'बीजेपी के गुंडों ने गुजरात में बनासकांठा के धनेरा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला किया है. यह बेहूदा और शर्मनाक हरकत है. बीजेपी सरकार अब किस हद की राजनीति पर उतर आई है? राहुल गांधी की गाड़ी पर हमला करने दिया गया. इसकी कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. कांग्रेस उपाध्यक्ष ठीक हैं, लेकिन उनके साथ के लोगों को चोटें आई हैं. बीजेपी के गुंडे हमें नुक़सान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम और मज़बूत होकर उभरेंगे.'
उधर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा ने भी राहुल गांधी पर हमले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह हमला बीजेपी शासित राज्य में हुआ है, इसलिए बीजेपी को जवाब देना होगा.
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक ऐसी शख़्सियत के मालिक हैं, जिनसे कोई भी मुतासिर हुए बिना नहीं रह सकता. देश के प्रभावशाली राज घराने से होने के बावजूद उनमें ज़र्रा भर भी ग़ुरूर नहीं है. उनकी भाषा में मिठास और मोहकता है, जो सभी को अपनी तरफ़ आकर्षित करती है. वे विनम्र इतने हैं कि अपने विरोधियों के साथ भी सम्मान से पेश आते हैं, भले ही उनके विरोधी उनके लिए कितनी ही तल्ख़ भाषा का इस्तेमाल क्यों न करते रहें. किसी भी हाल में वे अपनी तहज़ीब से पीछे नहीं हटते. पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश के जौनपुर में कांग्रेस की चुनावी जनसभा में मोदी मुर्दाबाद के नारे लगे, तो राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा मत कीजिए. ये कांग्रेस की जनसभा है और यहां मुर्दाबाद लफ़्ज़ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनसे हमारी सियासी लड़ाई है. लेकिन मुर्दाबाद बोलना हमारा काम नहीं है, ये बीजेपी और आरएसएस वाले लोगों का काम है.
राहुल गांधी ख़ुशमिज़ाज, ईमानदार, मेहनती और सकारात्मक सोच वाले हैं. आज देश को उनके जैसे ही नेता की बेहद ज़रूरत है. वे मुल्क की अवाम की उम्मीद हैं. हिन्दुस्तान की उम्मीद हैं. उनके विरोधी उनसे ख़ौफ़ खाते हैं, तभी उन्हें झुकाने के लिए बरसों से उनके ख़िलाफ़ साज़िशें रच रहे हैं.
राहुल गांधी छल और फ़रेब की राजनीति नहीं करते. वे कहते हैं, ''मैं गांधीजी की सोच से राजनीति करता हूं. अगर कोई मुझसे कहे कि आप झूठ बोल कर राजनीति करो, तो मैं यह नहीं कर सकता. मेरे अंदर ये है ही नहीं. इससे मुझे नुक़सान भी होता है. 'मैं झूठे वादे नहीं करता. " वे कहते हैं, 'सत्ता और सच्चाई में फ़र्क़ होता है. ज़रूरी नहीं है, जिसके पास सत्ता है उसके पास सच्चाई है. गुजरात में एक आयोजित एक रैली में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' पर तंज़ करते हुए कहते हैं, अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है, तो हमारी सरकार हर किसी के लिए होगी न कि केवल एक व्यक्ति के लिए. अपने 'मन की बात' कहने के बजाय हमारी सरकार आपके मन की बात सुनने का प्रयास करेगी.
वे कहते हैं, "जब भी मैं किसी देशवासी से मिलता हूं. मुझे सिर्फ़ उसकी भारतीयता दिखाई देती है. मेरे लिए उसकी यही पहचान है. अपने देशवासियों के बीच न मुझे धर्म, ना वर्ग, ना कोई और अंतर दिखता है." क़ाबिले-ग़ौर है कि एक सर्वे में विश्वसनीयता के मामले में दुनिया के बड़े नेताओं में राहुल गांधी को तीसरा दर्जा मिला हैं, यानी दुनिया भी उनकी विश्वसनीयता का लोहा मानती है.
उधर गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल का कहना है कि राहुल गांधी को बुलेट प्रूफ़ कार ऒफ़र की गई थी, इसके बावजूद वे पार्टी की कार से गए. राहुल गांधी की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की है. इस मामले में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है, हमलावर सत्ताधारी पार्टी के ही पदाधिकारी हैं, इसलिए इसमें गहरी साज़िश से इंकार नहीं किया जा सकता.
राहुल गांधी पर किया गया हमला यह साबित करता है कि आने वाला वक़्त कांग्रेस का है. आज़ादी के बाद से देश में सबसे ज़्यादा वक़्त तक हुकूमत करने वाली कांग्रेस के लोकसभा में भले ही 44 सांसद हैं, लेकिन कई मामलों में वे भारतीय जनता पार्टी के 282 सांसदों पर भारी पड़े हैं. सत्ताधारी पार्टी ने कई बार ख़ुद कहा है कि कांग्रेस के सांसद उसे काम नहीं करने दे रहे हैं.
भारत एक लोकतांत्रिक देश है. क्या इस देश में किसी सियासी पार्टी को इतना भी हक़ नहीं है कि वे पीड़ित लोगों से मिल सके. आख़िर देश किस दिशा में जा रहा है.
बहरहाल, अंधेरा कितना ही घना क्यों न हो, सुबह को आने से नहीं रोक सकता.
गुजरात में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कार पर किए गए हमले को किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लिया जा सकता है. यह हमला कई सवाल खड़े करता है. यह हमला एक पार्टी विशेष के नेता पर किया गया हमला नहीं है. दरअसल, यह फ़ासीवादी ताक़तों द्वारा लोकतंत्र पर किया गया हमला है. यह हमला इस बात का सबूत है कि शासन-प्रशासन कितना नाकारा है. कितना डरा हुआ है. विशेष सुरक्षा बल की तैनाती के बावजूद कुछ लोग काले झंडे लेकर मोदी-मोदी के नारे लगाते हुए आते हैं और फिर अचानक राहुल गांधी की कार पर पत्थरों से हमला बोल देते हैं.
यह हमला उस वक़्त हुआ, जब राहुल गांधी गुजरात के बाढ़ प्राभावित ज़िले बनासकांठा के धनेरा में पीड़ितों से मिलकर लौट रहे थे. वे कार की अगली सीट पर बैठे थे. उनकी कार पर एक बड़ा पत्थर फेंका गया, जिससे गाड़ी का शीशा चकनाचूर हो गया. कार में पिछली सीट पर बैठे एसपीगी कमांडो को चोट आई. हमले से पहले राहुल गांधी को काले झंडे दिखाए गए. उनके सामने लोगों ने मोदी-मोदी के नारे भी लगाए. इसके बावजूद राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें आने दो, ये काले झंडे यहां लगाने दो, ये लोग घबराए हुए लोग हैं. हमें इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. हमले के बाद राहुल गांधी ने कहा कि ऐसे हमलों से उनकी आवाज़ दबाई नहीं जा सकती. मैं इन काले झंडे दिखाने वालों से डरने वाला नहीं हूं. मैं आप सभी के बीच आना चाहता था और कहना चाहता था कि कांग्रेस पार्टी आपके साथ है. उनके दफ़्तर की तरफ़ किए गए ट्वीट में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी जी के नारों से, काले झंडों से और पत्थरों से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं, हम अपनी पूरी ताक़त लोगों की मदद करने में लगाएंगे. उन्होंने ऐसा किया भी.
राहुल गांधी हमले से ज़रा भी विचलित नहीं हुए और गुजरात के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों के हवाई दौरे के लिए निकल गए. राहुल गांधी पर हमला करने वाले शायद यह भूल गए हैं कि वे उस शख़्स को डराने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी रगों में शहीदों का ख़ून है. उनके पूर्वजों ने इस देश के लिए अपनी जानें क़ुर्बान की हैं. इस देश की माटी उन कांग्रेस नेताओं की ऋणी है, जिन्होंने अपने ख़ून से इस धरती को सींचा है. देश की आज़ादी में महात्मा गांधी के योगदान को भला कौन भुला पाएगा. देश को आज़ाद कराने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी समर्पित कर दी. पंडित जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, श्री राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी ने देश के लिए, जनता के लिए बहुत कुछ किया. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विकास की जो बुनियाद रखी, इंदिरा गांधी ने उसे परवान चढ़ाया. श्री राजीव गांधी ने देश के युवाओं को आगे बढ़ने की राह दिखाई. उन्होंने युवाओं के लिए जो ख़्वाब संजोये, उन्हें साकार करने में श्रीमती सोनिया गांधी ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.
राहुल गांधी भी लोगों की मदद करने से कभी पीछे नहीं रहते. इस मामले में वह अपनी सुरक्षा की ज़रा भी परवाह नहीं करते. एक बार वह अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी से लौट रहे थे. रास्ते में उन्होंने एक ज़ख़्मी व्यक्ति को सड़क पर तड़पते देखा, तो क़ाफ़िला रुकवा लिया. उन्होंने एंबुलेंस बुलवाई और ज़ख़्मी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया. उन्होंने विधायक और पार्टी प्रवक्ता को उसके इलाज की ज़िम्मेदारी सौंपी. इस दौरान सुरक्षा की परवाह किए बिना वह काफ़ी देर तक सड़क पर खड़े रहे.
राहुल गांधी जब पीड़ितों से मिलने सहारनपुर पहुंचे, तो वहां एक बच्चा भी था. उन्होंने उस बच्चे को अपनी गोद में बिठा लिया. उन्होंने बच्चों से प्यार से बातें कीं और फिर घटना के बारे में पूछा. इस पर बच्चे ने कहा कि अंकल हमारा घर जल गया है, बस्ता भी जल गया और सारी किताबें भी जल गईं. घर बनवा दो, नया बस्ता और किताबें दिलवा दो. इस पर राहुल गांधी ने एक स्थानीय कांग्रेस नेता को उस बच्चे का घर बनवाकर देने और नया बस्ता व किताबें दिलाने की ज़िम्मेदारी सौंप दी. वे मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी पीड़ित किसानों से मिलने पहुंच गए. शासन-प्रशासन से उन्हें किसानों से मिलने से रोकने के लिए भरपूर कोशिश कर ली, लेकिन वे भी किसानों से मिले बिना दिल्ली नहीं लौटे, भले उन्हें गिरफ़्तार होना पड़ा. वे आक्रामक रुख़ अख्तियार करते हुए कहते हैं, मोदी किसानों का क़र्ज़ नहीं माफ़ कर सकते, सही रेट और बोनस नहीं दे सकते, मुआवज़ा नहीं दे सकते, सिर्फ़ किसानों को गोली दे सकते हैं.
राहुल गांधी का कहना है कि उनके क़ाफ़िले पर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने हमला किया. ये हमला एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया गया. उन्होंने कहा, ''एक बड़ा पत्थर बीजेपी कार्यकर्ता ने मेरी ओर मारा, मेरे पीएसओ को लगा.'' उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी पार्टी की राजनीति का तरीक़ा बताया. उन्होंने कहा, ''मोदी जी और बीजेपी-आरएसएस का राजनीति का तरीक़ा है. क्या कह सकते हैं.'' भाजपा की तरफ़ से हादसे को लेकर आ रही प्रतिक्रिया पर राहुल गांधी ने कहा कि जब उन्होंने खुद इस तरह की चीज़ें की हों, तो वे इसकी निंदा कैसे कर सकते हैं. यह काम उनके लोगों ने किया है तो वे इसकी भर्त्सना कैसे करेंगे.
राहुल गांधी पर हमले के बाद कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का कहना है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह सबकुछ पहले से तयशुदा साज़िश के तहत हुआ है. राहुल गांधी को इतनी ज़्यादा सुरक्षा मिली हुई है, इसके बावजूद यह हमला होना सवाल खड़ा करता है. सरकार ने पहले से कोई इंतज़ाम नहीं किए, यह हमला रोका जा सकता था. भाजपा के लोगों ने हमला किया. राहुल गांधी के दौरे से भाजपा सरकार डर गई है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद का कहना है कि राहुल गांधी पर जानलेवा हमला किया गया है. उन्होंने कहा कि जिस पत्थर से हमला किया गया है वह सीमेंट और पत्थर से बना था. जो वहां कहीं और से लाया गया था. राहुल गांधी को निशाना बनाकर पत्थर फेंके गए हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा इन कामों के लिए हमेशा से मशहूर रही है. गांधी जी से लेकर अब तक हम देखते आ रहे हैं.
वहीं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी पर हुए हमले की आलोचना करते हुए कहा कि क्या हम इस लोकतंत्र में ऐसी जगह पहुंच रहे हैं, जहां राजनीतिक विरोधियों को लोकतांत्रिक राजनीति की इजाज़त नहीं दी जाएगी? उन्होंने तल्ख़ लहजे में कहा, "बीजेपी के गुंडों ने राहुल गांधी पर सीमेंट की ईंटों से हमला किया. उनके साथ चलने वाली एसपीजी को भी हल्की चोटें आई हैं. इसकी चौतरफ़ा निंदा की जानी चाहिए." कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी राहुल पर हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, 'बीजेपी के गुंडों ने गुजरात में बनासकांठा के धनेरा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला किया है. यह बेहूदा और शर्मनाक हरकत है. बीजेपी सरकार अब किस हद की राजनीति पर उतर आई है? राहुल गांधी की गाड़ी पर हमला करने दिया गया. इसकी कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. कांग्रेस उपाध्यक्ष ठीक हैं, लेकिन उनके साथ के लोगों को चोटें आई हैं. बीजेपी के गुंडे हमें नुक़सान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम और मज़बूत होकर उभरेंगे.'
उधर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा ने भी राहुल गांधी पर हमले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह हमला बीजेपी शासित राज्य में हुआ है, इसलिए बीजेपी को जवाब देना होगा.
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक ऐसी शख़्सियत के मालिक हैं, जिनसे कोई भी मुतासिर हुए बिना नहीं रह सकता. देश के प्रभावशाली राज घराने से होने के बावजूद उनमें ज़र्रा भर भी ग़ुरूर नहीं है. उनकी भाषा में मिठास और मोहकता है, जो सभी को अपनी तरफ़ आकर्षित करती है. वे विनम्र इतने हैं कि अपने विरोधियों के साथ भी सम्मान से पेश आते हैं, भले ही उनके विरोधी उनके लिए कितनी ही तल्ख़ भाषा का इस्तेमाल क्यों न करते रहें. किसी भी हाल में वे अपनी तहज़ीब से पीछे नहीं हटते. पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश के जौनपुर में कांग्रेस की चुनावी जनसभा में मोदी मुर्दाबाद के नारे लगे, तो राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा मत कीजिए. ये कांग्रेस की जनसभा है और यहां मुर्दाबाद लफ़्ज़ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनसे हमारी सियासी लड़ाई है. लेकिन मुर्दाबाद बोलना हमारा काम नहीं है, ये बीजेपी और आरएसएस वाले लोगों का काम है.
राहुल गांधी ख़ुशमिज़ाज, ईमानदार, मेहनती और सकारात्मक सोच वाले हैं. आज देश को उनके जैसे ही नेता की बेहद ज़रूरत है. वे मुल्क की अवाम की उम्मीद हैं. हिन्दुस्तान की उम्मीद हैं. उनके विरोधी उनसे ख़ौफ़ खाते हैं, तभी उन्हें झुकाने के लिए बरसों से उनके ख़िलाफ़ साज़िशें रच रहे हैं.
राहुल गांधी छल और फ़रेब की राजनीति नहीं करते. वे कहते हैं, ''मैं गांधीजी की सोच से राजनीति करता हूं. अगर कोई मुझसे कहे कि आप झूठ बोल कर राजनीति करो, तो मैं यह नहीं कर सकता. मेरे अंदर ये है ही नहीं. इससे मुझे नुक़सान भी होता है. 'मैं झूठे वादे नहीं करता. " वे कहते हैं, 'सत्ता और सच्चाई में फ़र्क़ होता है. ज़रूरी नहीं है, जिसके पास सत्ता है उसके पास सच्चाई है. गुजरात में एक आयोजित एक रैली में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' पर तंज़ करते हुए कहते हैं, अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है, तो हमारी सरकार हर किसी के लिए होगी न कि केवल एक व्यक्ति के लिए. अपने 'मन की बात' कहने के बजाय हमारी सरकार आपके मन की बात सुनने का प्रयास करेगी.
वे कहते हैं, "जब भी मैं किसी देशवासी से मिलता हूं. मुझे सिर्फ़ उसकी भारतीयता दिखाई देती है. मेरे लिए उसकी यही पहचान है. अपने देशवासियों के बीच न मुझे धर्म, ना वर्ग, ना कोई और अंतर दिखता है." क़ाबिले-ग़ौर है कि एक सर्वे में विश्वसनीयता के मामले में दुनिया के बड़े नेताओं में राहुल गांधी को तीसरा दर्जा मिला हैं, यानी दुनिया भी उनकी विश्वसनीयता का लोहा मानती है.
उधर गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल का कहना है कि राहुल गांधी को बुलेट प्रूफ़ कार ऒफ़र की गई थी, इसके बावजूद वे पार्टी की कार से गए. राहुल गांधी की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की है. इस मामले में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है, हमलावर सत्ताधारी पार्टी के ही पदाधिकारी हैं, इसलिए इसमें गहरी साज़िश से इंकार नहीं किया जा सकता.
राहुल गांधी पर किया गया हमला यह साबित करता है कि आने वाला वक़्त कांग्रेस का है. आज़ादी के बाद से देश में सबसे ज़्यादा वक़्त तक हुकूमत करने वाली कांग्रेस के लोकसभा में भले ही 44 सांसद हैं, लेकिन कई मामलों में वे भारतीय जनता पार्टी के 282 सांसदों पर भारी पड़े हैं. सत्ताधारी पार्टी ने कई बार ख़ुद कहा है कि कांग्रेस के सांसद उसे काम नहीं करने दे रहे हैं.
भारत एक लोकतांत्रिक देश है. क्या इस देश में किसी सियासी पार्टी को इतना भी हक़ नहीं है कि वे पीड़ित लोगों से मिल सके. आख़िर देश किस दिशा में जा रहा है.
बहरहाल, अंधेरा कितना ही घना क्यों न हो, सुबह को आने से नहीं रोक सकता.