स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. महिला और बाल विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने आज लोक सभा में बताया कि भारत के महापंजीयक द्वारा भारत में मृत्यु के कारण 2001-03 के संबंध में दी गई रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं में पोषण की कमी के कारण हुई मृत्यु का प्रतिशत लगभग 1.4 है।
आयु (वर्ष) मृत्यु का प्रतिशत
15-24 1.5
25-34 1.4
35-44 1.1
45-54 1.0
55-69 0.6
केवल कुपोषण के कारण महिलाओं की मृत्यु की राज्य-वार संख्या के बारे में आंकड़े प्रकाशित नहीं किए जाते हैं।
सरकार बहुत सी योजनाओं का कार्यान्वयन कर रही है, जो महिलाओं की पोषण संबंधी स्थिति को प्रभावित करती हैं। इनमें से कुछ योजनाएं निम्नलिखित हैं :
1 समेकित बाल विकास सेवा स्कीम के अंतर्गत 6 सेवाओं का पैकेज अर्थात् महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण, स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, प्रतिरक्षण, स्वास्थ्य जांच तथा रेफरल सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं।
समेकित बाल विकास सेवा के अंतर्गत गर्भवती और धात्री महिलाएं यथा परिकल्पित पूरक पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने की पात्र हैं।
2 राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में प्रजनन तथा बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे उपाय किए गए हैं, जिनमें संस्थाओं में प्रसव, प्रतिरक्षण, आयरन और फॉलिस एसिड पूरक सहित सूक्ष्म पोषण की कमी को रोकने और उससे निपटने के लिए विशेष कार्यक्रमों आदि का संवर्धन करने के लिए जननी सुरक्षा योजना भी शामिल है। राष्ट्रीय आयोडीन न्यूनता जनित विकार नियंत्रण कार्यक्रम में आयोडीन की कमी को रोकने के लिए कुपोषण से महिलाओं की मौत युक्त नमक खाने पर जोर दिया जाता है।
3 महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का किशोरियों के लिए पोषण कार्यक्रम तथा किशोरी शक्ति योजना।
4 लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली, अन्तोदय अन्न योजना के माध्यम से कम लागत में अनिवार्य खाद्य सामग्रियों की उपलब्धता।
5 संपूर्ण सफाई अभियान के अंतर्गत सुरक्षित जल आपूर्ति तथा साफ-सफाई की व्यवस्था।
6 अन्य रोजगार और आयोत्पादक स्कीमें जैसा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, स्वर्ण जयंती ग्राम स्व रोजगार योजना आदि।
सभी स्तरों पर विभिन्न योजनाओं में मॉनीटरिंग और समन्वयन की प्रणाली अंतर्निहित है। इसके अतिरिक्त अंतर मंत्रालयी/अंतर विभागीय समन्वयन की व्यवस्था भी उपलब्ध है।