अंबरीश कुमार
लखनऊ .उत्तर प्रदेश में बिजली का संकट गहरा रहा है .इस संकट के नाम पर सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को किनारे करते हुए जिस तरह निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को प्राथमिकता पर रखा गया है उससे सरकार को तीन हजार करोड़ का चूना लगेगा .सरकारी क्षेत्र से महंगी बिजली निजी क्षेत्र से खरीदी जा रही है .जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली इकाइयां बंद हो रही हैं .पनकी पावर हाउस की 210 मेगावाट उत्पादन वाली इकाई बंद हो गई है .इसी तरह पारीछा की दो इकाई बंद हो चुकी है .इसकी भरपाई निजी क्षेत्र से की जा रही है .इसमें रिलायंस से लेकर बजाज तक शामिल हैं .
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के दौरान बिजली को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के बीच रोचक नोक झोंक हुई थी .अखिलेश यादव ने गोरखपुर की सभा में चुनौती दी कि यहां एक बाबा हैं जो कह रहे हैं कि बिजली नहीं आती ,मै उन्हें चुनौती देता हूं कि वे कोई तार छूकर तो दिखाएं .खैर यह मामला काफी उछला और भाजपा सरकार बनते ही दावा किया गया कि अब चौबीस घंटे बिजली मिलेगी .यह बात अलग है कि उस दौर में महत्वपूर्ण शहरों में बिजली की सप्लाई ठीकठाक ही थी .पर सरकार के गठन के करीब चार महीने बाद सरकार का एक मंत्री ही बिजली मंत्री को पत्र लिख कर बताता है कि पूर्वांचल में बिजली सप्लाई की व्यवस्था चरमरा गई है और इस सरकार की छवि ख़राब हो रही है .यह आरोप विपक्ष का होता तो राजनैतिक विरोध माना जा सकता था .पर सरकार के आबकारी और मद्य निषेध मंत्री जय प्रताप सिंह ने यह पत्र उर्जा मंत्री को लिखा है .पर यह मुद्दा सिर्फ बिजली संकट का है असली विवाद बिजली खरीदारी का है .उत्तर प्रदेश में बिजली की सालाना जरुरत एक लाख 28 हजार 908 मिलियन यूनिट आंकी गई है जिसे खरीदने पर कुल 52919 करोड़ रुपए खर्च होगा . जिसमे वह सरकारी क्षेत्र से 27462 करोड़ की बिजली खरीदेगी तो निजी क्षेत्र से 25457 करोड़ की .
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार इस समय निजी क्षेत्र से औसत चार रुपए 42 पैसे के भाव बिजली खरीद रही है जबकि सरकारी क्षेत्र से तीन रुपए पचासी पैसे प्रति यूनिट .यह बिजली रिलायंस के रोजा बिजली घर से 1200 मेगावाट ,बजाज के ललितपुर पावर प्लांट से 1980 मेगावाट और उतराखंड के श्रीनगर स्थित जीवीके पावर हाउस से 300मेगावाट बिजली ले रही है .रिलायंस से पांच रुपए पांच पैसे यूनिट तो बजाज से पांच रुपए चार पैसे यूनिट के भाव और जीवीके से पांच रुपए आठ पैसे के भाव बिजली ली जा रही है .
बिजली कर्मचारी और अभियंता संघ के शीर्ष नेता शैलेंद्र दूबे ने सरकार को इस बाबत आगाह किया है .दुबे ने कहा कि निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों से महंगी बिजली खरीदी जा रही है जिससे सरकार को तीन हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा .दूसरी तरफ सरकारी क्षेत्र की बिजली उत्पादन इकाइयों का संकट और बढेगा .
लखनऊ .उत्तर प्रदेश में बिजली का संकट गहरा रहा है .इस संकट के नाम पर सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को किनारे करते हुए जिस तरह निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को प्राथमिकता पर रखा गया है उससे सरकार को तीन हजार करोड़ का चूना लगेगा .सरकारी क्षेत्र से महंगी बिजली निजी क्षेत्र से खरीदी जा रही है .जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली इकाइयां बंद हो रही हैं .पनकी पावर हाउस की 210 मेगावाट उत्पादन वाली इकाई बंद हो गई है .इसी तरह पारीछा की दो इकाई बंद हो चुकी है .इसकी भरपाई निजी क्षेत्र से की जा रही है .इसमें रिलायंस से लेकर बजाज तक शामिल हैं .
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के दौरान बिजली को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के बीच रोचक नोक झोंक हुई थी .अखिलेश यादव ने गोरखपुर की सभा में चुनौती दी कि यहां एक बाबा हैं जो कह रहे हैं कि बिजली नहीं आती ,मै उन्हें चुनौती देता हूं कि वे कोई तार छूकर तो दिखाएं .खैर यह मामला काफी उछला और भाजपा सरकार बनते ही दावा किया गया कि अब चौबीस घंटे बिजली मिलेगी .यह बात अलग है कि उस दौर में महत्वपूर्ण शहरों में बिजली की सप्लाई ठीकठाक ही थी .पर सरकार के गठन के करीब चार महीने बाद सरकार का एक मंत्री ही बिजली मंत्री को पत्र लिख कर बताता है कि पूर्वांचल में बिजली सप्लाई की व्यवस्था चरमरा गई है और इस सरकार की छवि ख़राब हो रही है .यह आरोप विपक्ष का होता तो राजनैतिक विरोध माना जा सकता था .पर सरकार के आबकारी और मद्य निषेध मंत्री जय प्रताप सिंह ने यह पत्र उर्जा मंत्री को लिखा है .पर यह मुद्दा सिर्फ बिजली संकट का है असली विवाद बिजली खरीदारी का है .उत्तर प्रदेश में बिजली की सालाना जरुरत एक लाख 28 हजार 908 मिलियन यूनिट आंकी गई है जिसे खरीदने पर कुल 52919 करोड़ रुपए खर्च होगा . जिसमे वह सरकारी क्षेत्र से 27462 करोड़ की बिजली खरीदेगी तो निजी क्षेत्र से 25457 करोड़ की .
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार इस समय निजी क्षेत्र से औसत चार रुपए 42 पैसे के भाव बिजली खरीद रही है जबकि सरकारी क्षेत्र से तीन रुपए पचासी पैसे प्रति यूनिट .यह बिजली रिलायंस के रोजा बिजली घर से 1200 मेगावाट ,बजाज के ललितपुर पावर प्लांट से 1980 मेगावाट और उतराखंड के श्रीनगर स्थित जीवीके पावर हाउस से 300मेगावाट बिजली ले रही है .रिलायंस से पांच रुपए पांच पैसे यूनिट तो बजाज से पांच रुपए चार पैसे यूनिट के भाव और जीवीके से पांच रुपए आठ पैसे के भाव बिजली ली जा रही है .
बिजली कर्मचारी और अभियंता संघ के शीर्ष नेता शैलेंद्र दूबे ने सरकार को इस बाबत आगाह किया है .दुबे ने कहा कि निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों से महंगी बिजली खरीदी जा रही है जिससे सरकार को तीन हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा .दूसरी तरफ सरकारी क्षेत्र की बिजली उत्पादन इकाइयों का संकट और बढेगा .