
हर पल फिर क्यों डरना है
अर्थ निकलता तब जीवन का
सृजन हमेशा करना है
सुख तो सबको प्यारे लगते
दुख में नहीं बिखरना है
चहुं ओर नदियों सी बाधा
हमको पार उतरना है
गलती का मानव कठपुतला
नित नित हमें सुधरना है
क्षणिक चमक हो भले झूठ में
सच से नहीं मुकरना है
अगर आपको सुमन चाहिए
कांटों बीच गुजरना है
-श्यामल सुमन
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