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यथाशीघ्र विकासपथ पर वापस आकर सकल घरेलू उत्पाद को 9 प्रतिशत करना और तब दहाई अंक विकास बाधा को पार करने के लिए साधनों का पता लगाना।
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अधिकाधिक समावेशी विकास के लिए हालिया उपलब्धियों को समेकित करने के लिए आर्थिक विकास बढ़ाना।
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अभिशासन के विभिन्न स्तरों पर सरकारी तंत्रों, ढांचाओं और संस्थाओं में कमजोरियों का समाधान करना।
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भारत विश्व के प्रथम देशों में एक है जो वैश्विक अवमंदन के नकरात्मक निक्षेप का सामना करने के लिए व्यापक आधारित प्रति चक्रीय नीतिगत पैकेज का क्रियान्वयन कर रहा है।
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दिसंबर, 2009 में विनिर्माण क्षेत्र में वृध्दिदर 18.5 प्रतिशत, यह विगत दो वर्षों में सबसे अधिक है।
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2009-10 की दूसरी छमाही के दौरान मुख्य चिंता दो-अंकीय मुद्रास्फीति का प्रादुर्भाव रहा है। सरकार ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मंत्रणा करके आदेशात्मक कदम उठाए हैं जिससे आगामी कुछ महीनों में मुद्रास्फीति कम होनी चाहिए और साथ ही देश में खाद्य सुरक्षा का बेहतर प्रबंधन भी सुनिश्चित होना चाहिए।
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तेरहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर राजकोषीय नीति बनाई गई है जिसने विगत दो वर्षों की विस्तारकारी राजकोषीय स्थिति से अंशांकित निकास कार्यनीति की सिफारिश की है।
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यह पहली बार होगा कि सरकार अपनी घरेलू सकरारी ऋण स.घ.उ अनुपात में सुस्पष्ट कटौती का लक्ष्य रखेगी।
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सरकार एक अप्रैल, 2011 से प्रत्यक्ष कर संहिता को लागू करने की स्थित में होंगी और वस्तु एवं सेवा कर अप्रैल, 2011 में लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
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आयल इंडिया लिमिटेड, एनएचपीसी, एनटीपीसी, और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम में स्वामित्व को व्यापक आधार प्रदान किया गया है, जबकि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम और सतलुज जल विद्युत निगम में यह प्रक्रिया चल रही है। यह मौजूदा वर्ष में 25000 करोड़ रुपये जुटाएगी, जबकि 2010-11 के दौरान इससे अधिक राशि जुटाने का प्रस्ताव है।
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सरकार द्वारा उर्वरक क्षेत्र के लिए एक पोषण आधारित सब्सिडी नीति मंजूर की है और यह 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी होगी।
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पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य निर्धारण की व्यवहार्यपरक एवं टिकाऊ प्रणाली के लिए विशेषज्ञ समूह द्वारा की गई सिफारिशों को यथा समय लागू किया जाएगा।
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एफडीआई व्यवस्था को सरल बनाने के लिए भारतीय कंपनियों में अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आकलन की पध्दति स्पष्ट तौर पर परिभाषित की गयी है तथा मूल्य निर्धारण और प्रौद्योगिकी अंतरण शुल्क तथा ट्रेडमार्क, ब्रांड नेम का भुगतान एवं रॉयल्टी भुगतानों को पूर्णत: उदार बनाया गया है।
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सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को 165,000 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध कराई जा रही है ताकि वे 31 मार्च, 2011 तक न्यूनतम 8 प्रतिशत टियर- कैपिटल प्राप्त कर सकें।
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निर्यात पर 2 प्रतिशत की मौजूदा ब्याज आर्थिक सहायता को एक वर्ष और बढाया जा रहा है जिसमें हस्तशिल्प, कालीन, हथकरघा और लघु एवं मध्यम उद्यम शामिल हैं।
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देश के पूर्वी क्षेत्रों, जिसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा शामिल हैं, में हरित क्रांति के लिए 400 करोड़ रूपये उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
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बैंकों से किसानों के लिए ऋण वर्ष 2010-11 के लिए 3,75,000 करोड़ रूपए निर्धारित किया गया है।
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किसानों द्वारा लिए गए ऋण की अदायगी राज्यों में हाल के सूखे एवं भयंकर बाढ़ के मद्देनजर किसानों के लिए ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना 31दिसंबर, 2009 से 30 जून, 2010 तक छह माह के लिए बढ़ाई गई है।
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आधारभूत संरचना के विकास के लिए 1,73,552 करोड़ रुपये मुहैया कराए गए, जो कुल आयोजना आबंटनों का 46 प्रतिशत से अधिक है।
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सड़क परिवहन के लिए आबंटन 13 प्रतिशत बढ़ाकर 17,520 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 19,894 करोड़ रूपए कर दिया गया है।
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रेलवे के लिए 16,752 करोड़ रुपये की व्यवस्था, यह पिछले वर्ष की तुलना में 950 करोड़ रुपये अधिक है।
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राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के सिवाय, विद्युत क्षेत्र के लिए आयोजना आबंटन 2009-10 में किए गए 2230 करोड़ रुपये से दोगुणा करके 2010-11में 5,310 करोड़ रुपये किया गया है।
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नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के लिए आयोजना परिव्यव 2009-10 में किए गए 620 करोड़ रुपये से 61 प्रतिशत बढ़ाकर 2010-11 में 1,000 करोड़ रुपये किया गया है।
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स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और नवोन्मेष परियोजनाओं के निधि पोषण हेतु राष्ट्रीय स्वच्छता ऊर्जा निधि की स्थापना।
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राष्ट्रीय गंगा नदी थाला प्राधिकरण के लिए आबंटन 2010-11 में दोगुणा कर 500 करोड़ रुपये करना।
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सामाजिक क्षेत्र पर खर्च कुल आयोजना व्यय क्रमिक रूप से बढ़ाकर 1,37,674 करोड़ रूपए करना, जो 2010-11 में कुल आयोजना परिव्यव का 37 प्रतिशत है।
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स्कूली शिक्षा के लिए आयोजना आवंटन 2009-10 में 26,800 करोड़ रुपये से 16 प्रतिशत बढ़ाकर 2010-11 में 31,036 करोड़ रुपये करना।
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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय हेतु आयोजना आवंटन 2009-10 में 19,534 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2010-11 में 22,300 करोड़ रुपये करना।
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2000 से अधिक की जनसंख्या वाली बस्तियों में मार्च, 2012 तक समुचित बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करना।
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ग्रामीण विकास के लिए 66,100 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं।
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महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का आवंटन बढ़ाकर 2010-11 में 40,100 करोड़ रुपये करना।
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भारत निर्माण के तहत ग्रामीण अवसंरचना कार्यक्रम के लिए 48,000 करोड़ रुपये आबंटित।
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पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि का आवंटन 2009-10 के 5,800 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2010-11 में बढाक़र 7,300 करोड़ रुपये करना।
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बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे से निपटने के लिए 1200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मुहैया कराना।
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शहरी विकास के लिए आवंटन 75 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी करके इसे 2009-10 के 3060 करोड़ रुपये से 2010-11 में 5400 करोड़ रूपए करना।
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आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन के लिए आवंटन 850 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2010-11 में 1000 करोड़ रुपये करना।
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राजीव आवास योजना के लिए पिछले वर्ष के 150 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,270 करोड़ रुपये करना।
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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए 1,794 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2010-11 के लिए इसे 2400 करोड़ करना।
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1000 करोड़ रुपये के आरंभिक आवंटन के साथ बुनकरों, ताड़ी बनाने वालों, रिक्शाचालकों, बीड़ी बनाने वाले जैसे असंगठित क्षेत्रों के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि स्थापित की जाएगी।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मनरेगा के श्रमिकों को भी मिलेगा।
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राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम ने एक लाख प्रति वर्ष की दर से 10 लाख कुशल जनशक्ति के निर्माण के लिए 45 करोड़ रुपये की लागत वाली तीन परियोजनाएं मंजूर की हैं।
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महिला एवं बाल विकास के लिए आयोजना परिव्यय में लगभग 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी।
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महिला साक्षरता दर में और सुधार के लिए 'साक्षर भारत' नामक कार्यक्रम आरंभ किया गया है।
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अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का आयोजना आवंटन वर्ष 2010-11 के लिए 50 प्रतिशत बढ़ाकर 1,740 करोड़ रुपये करना।
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भारतीय अनन्य पहचान प्राधिकरण को 2010-11 के लिए 1900 करोड़ रुपये आवंटित।
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रक्षा हेतु आंवटन बढ़ाकर 1,74,344 करोड़ रुपये करना जिसमें पूंजी व्यय के लिए 60,000 करोड़ रुपये भी शामिल है।
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योजना आयोग द्वारा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में एक एकीकृत कार्य योजना तैयार करना।
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सकल कर प्राप्तियां 7,44,651 करोड़ रुपये अनुमानित है।
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कर राजस्व-भिन्न प्राप्तियां 1,48,118 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
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2010-11 में केंद्र को प्राप्त निवल कर राजस्व के साथ साथ व्यय के प्रावधान को तेरहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर अनुमान लगाया गया है।
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आयोजना तथा आयोजना भिन्न व्यव 2010-11 में क्रमश: 3,73,092 करोड़ रुपये और 7,35,657 करोड़ रुपये अनुमानित है। पिछले वर्ष के बजट अनुमान की तुलना में आयोजना व्यय में 15 प्रतिशत, जबकि आयोजना भिन्न व्यय में केवल 6 प्रतिशत की वृध्दि हुई है।
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2010-11 के लिए राजकोषीय घाटा स.घ.उ का 5.5 प्रतिशत है जो 3,81,408 करोड़ रुपये बैठता है।
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राजकोषीय घाटे के लिए विभिन्न अन्य वित्तपोषण की मदों को देखते हुए 2010-11 में सरकार का वास्तविक निवल बाजार 3,45,010 करोड़ रूपए होगा। इससे निजी क्षेत्र को ऋण संबंधित जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश होगी।
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राजकोषीय घाटे के लिए भावी लक्ष्य 2010-11 और 2012-13 हेतु क्रमश: 4.8 प्रतिशत और 4.1 प्रतिशत हैं।
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2008-09 में 7.8 प्रतिशत राजकोषीय घाटा जिसमें तेल और उर्वरक शामिल हैं, के मुकाबले 2009-10 के संशोधित अनुमानों के अनुसार 6.9 प्रतिशत है।
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तेल और उर्वरक कंपनियों को बांड जारी करने से बचने के लिए सचेत प्रयास किया गया है। सरकार सब्सिडी नकद में देने की यह परिपाटी जारी रखना चाहेगी जिससे सब्सिडी से संबंधित देनदारियां सरकार के वित्तीय लेखांकन के तहत आ जाएंगी।
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घरेलू कंपनियों पर मौजूदा अधिभार 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत करना।
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न्यूनतम वैकल्पिक कर बही लाभों के लिए 15 प्रतिशत की वर्तमान दर से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करना।
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प्रत्यक्ष कर संबंधी प्रस्तावों से इस वर्ष 26,000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होने का अनुमान है।
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केंद्रीय उत्पाद शुल्कों में कटौती दर आंशिक रूप से वापस ली जा रही है तथा सभी गैर पेट्रोलियम उत्पादों पर मानक दर बढ़ाकर यथामूल्य 8 प्रतिशत से 10 प्रतिशत की जा रही है।
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रेफ्रीजेरेटिड वैन या ट्रकों के विनिर्माण के लिए अपेक्षित रेफरीजेरैशन यूनिटों को सीमा शुल्क से पूर्ण छूट देना।
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भारत में निर्मित न किए गए निर्दिष्ट कृषि मशीनरी के लिए 5 प्रतिशत रियायती सीमा शुल्क प्रदान करना।
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कृषि बीजों के परीक्षण एवं प्रमाणन को सेवा कर से छूट देना।