रविन्दर सिंह
नौ तटवर्ती राज्यों और चार केन्द्रशासित प्रदेशों से लगी हुई 7516 किलोमीटर लम्बी हमारी तटीय सीमा सुरक्षा संबंधी गंभीर चुनौतियां पेश करती है । मुंबई के 26/11 के आतंकी हमलों के बाद देश के समूची तटीय सुरक्षा परिदृश्य पर सरकार द्वारा अनेक स्तरों पर समीक्षा की गई है । तटीय सुरक्षा के खतरों के विरूद्ध मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय समुद्री और तटीय सुरक्षा समिति (एनसीएसएमसीएस) का गठन किया गया है । तटीय सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर समिति में विस्तृत चर्चा की गई है । सभी नौ तटवर्ती राज्य और चार केन्द्रशासित प्रदेश इस समिति की बैठकों में नियमित रूप से भाग लेते हैं ।
देश की तटीय सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं , जिन पर क्रियान्वयन किया जा रहा है । देश की तटवर्ती सीमा की सुरक्षा के लिये तटवर्ती राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की पुलिस, राज्यों के प्रशासन, भारतीय नौसेना, गृह मंत्रालय और अन्य केन्द्रीय मंत्रालय पूरे सामंजस्य के साथ काम कर रहे हैं । इन सबके बावजूद , भारत की विशाल समुद्री सीमा की रक्षा करना एक गुरूतर दायित्व है।
तटीय सुरक्षा येाजना (प्रथमचरण)
राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार के लिये गठित मंत्रि समूह की सिफारिशों पर गठित तटीय सुरक्षा येाजना का अनुमोदन सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने जनवरी 2005 में किया था, जिस पर वर्ष 2005-06 से शुरू होकर पांच वर्षों में अमल किया जाना था । योजना में तटवर्ती 9 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों को 73 तटवर्ती पुलिस थाने, 97 जांच चौकियां (चेक पोस्ट), 58 सीमा चौकियां (आउटपोस्ट) और 30 बैरकों की स्थापना के लिये सहायता दी जाती है। इन सभी में कुल 204 नौकायें, 153 जीपें और 312 मोटर साइकिलें मुहैया करायी गई हैं । योजना के अंतर्गत जनशक्ति का प्रावधान राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है । प्रारंभ में येाजना के अंतर्गत अनावर्ती व्यय के लिये चार अरब रूपये और नौकाओं की मरम्मत , साधारण एवं ईंधन तथा समुद्री पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण पर आवर्ती व्यय के लिये 1 अरब 51 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था । योजना को फिलहाल एक वर्ष यानी 31 मार्च, 2011 तक बढ़ा दिया गया है और अनावर्ती व्यय के लिये 95 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है ।
अनुमोदित 73 तटवर्ती पुलिस थानों में से 71 में काम शुरू हो चुका है । इनमें से 48 अपने नए भवनों से काम कर रहे हैं । इसके अलावा 75 जांच चौकियों , 54 सीमा चौकियों और 22 बैरकों का निर्माण भी पूरा हो चुका है । अनुमोदित 204 नौकाओं में से 195 नौकायें 31 दिसम्बर, 2010 तक अतटवर्ती राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को दी जा चुकी हैं । गोवा के लिये 10 रिजिड ‘इन्फ्लेटे बल बोट्स’ (सुदृढ़ हवा से फूलने वाली नौकायें) खरीदी जा चुकी हैं । राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा सभी वाहन (153 जीपें और 312 मोटर साइकिलें ) खरीदे जा चुके हैं । तटरक्षक बल ने अब तक करीब 2000 लोगों को प्रशिक्षण दिया है ।
भारतीय जल क्षेत्र में सभी प्रकार की नौकाओं मछली पकड़ने वाली या मछली नहीं पकड़ने वाली को एक समरूप प्रणाली के तहत पंजीकरण कराना होता है । जहाजरानी मंत्रालय ने जून 2009 में दो अधिसूचनायें जारी की, जिनमें से एक व्यापारिक नौवहन (मछली पकड़ने वाली नौकाओं का पंजीकरण) नियमों में संशोधन से संबंधित था, जबकि दूसरा पंजीयकों की सूची की अधिसूचना से संबंधित था । राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश इस पर अनुसरण कर रहे हैं । राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) ने देश में एक समरूप ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली का विकास किया है । कार्यक्रम पर अमल के लिये एनआईसी को 1 करोड़ 20 लाख रूपये और तटवर्ती राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को 5 करोड़ 81 लाख 86 हजार रूपये जारी किये जा चुके हैं । इससे संबंधित प्रशिक्षण और प्रशिक्षण की शुरूआत हो चुकी है तथा ऑनलाइन पंजीकरण भी प्रारंभ हो गया है ।
मछुआरों को पहचान पत्र जारी करना
तटवर्ती मछुआरों को बायोमीट्रिक पहचान पत्र जारी करने के लिये 72 करोड़ रूपये की कुल लागत से केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना शुरू की गई है । इस परियोजना के लिए आर्थिक सहयोग भारतीय महापंजीयक से प्राप्त हो रहा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की अगुवाई में तीन कंपनियों के एक समूह को आंकड़ों के अंकीकरण कार्ड के उत्पादन और उसे जारी करने का काम सौंपा गया है । बायोमीट्रिक पहचान पत्र जारी करने के लिये जिन 15,59,640 मछुआरों की पहचान की गई है, उनमें से 8,29,254 (53.17 प्रतिशत) के बारे में आंकड़े इकट्ठा किये जा चुके हैं और 3,76,828 (45.44 प्रतिशत)मछुआरों के आंकड़ों का अंकीकरण किया जा चुका है ।
आरजीआई, जनसंख्या 2011 के पूर्व तटीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने की अपनी परियोजना के एक अंग के तौर पर तटवर्ती गांवों की जनसंख्या को बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया में है । नए कोर्ड एएचडी (पशुपालन विभाग) और मत्स्यपालन विभाग द्वारा जारी किये जाएंगे । पहले चरण में 3331 तटवर्ती गांवों का चयन इस कार्य के लिये किया गया है ।
पहचान पत्रों का वितरण दिसम्बर 2010 में शुरू हो चुका है । अब तक 1 करोड़ 20 लाख लोगों के आंकड़े इकट्ठा किये जा चुके हैं, जबकि 69 लाख लोगों के बायोमीट्रिक विवरण तैयार किये जा चुके हैं । गुजरात, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु , ओडीशा , दमन व दीव, लक्षदीप और पुड्डुचेरी के तटवर्ती गांवों में आमतौर पर रहने वालों का स्थानीय रजिस्टर एलआरयूआर की छपाई पूरी हो चुकी है ।
ऐसे बंदरगाह जो ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं माने जाते उनकी सुरक्षा, हमेशा से ही चिंता का विषय रही है । देश में 12 प्रमुख और करीब 200 कम महत्व के छोटे बंदरगाह हैं । प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा सीआईएसएफ के हाथों में है, जबकि छोटे और कम महत्व के बंदरगाहों की सुरक्षा राज्यों के समुद्री बोर्डों/राज्य सरकारों के हाथों में होती है । बड़े बंदरगाह अंतराष्ट्रीय जहाजों के अनुकूल सुरक्षा प्रबंधों और सुविधाओं से लैस हैं । इन बंदरगाहों का सुरक्षा अंकेक्षण हर दो वर्ष में किया जाता है, यानी सुरक्षा संबंधी प्रबंधों की समीक्षा की जाती है, परन्तु कम महत्व के बंदरगाहों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है ।
12 प्रमुख बंदरगाहों के अतिरिक्त देश के 53 छोटे/कम महत्वपूर्ण बंदरगाह और 5 शिपयार्ड (पोत निर्माण संयंत्र) भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जहाजों के अनुकूल सुरक्षा और सुविधाओं से संपन्न हैं । इन बंदरगाहों के सुरक्षा प्रबंधों और सुविधाओं की वैश्विक अनुकूलता की स्थिति का पुनराकलन इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग द्वारा किया गया है । सीमा शुल्क विभाग, जहाजरानी तथा राज्यों के समुद्री बोर्डों को साथ लेकर ऊपर वर्णित 65 प्रमुख और गैर प्रमुख बंदरगाहों के अतिरिक्त अन्य कम महत्वपूर्ण बंदरगाहों में भी अंतराष्ट्रीय स्तर के जहाजों के अनुकूल सुरक्षा और सुविधाओं को जुटाने के लिये आवश्यक कार्रवाई कर रहा है ।ऑपरेशन स्वान
गुजरात और महाराष्ट्र के तटवर्ती क्षेत्रों की पैट्रोलिंग की संयुक्त व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये चलाई जा रही ऑपरेशन स्वान येाजना के तहत तटरक्षक बाल को 15 इंटरसेप्टर (पीछा करने वाली) नौकाओं की खरीद और महाराष्ट्र के धानु तथा मुरूड जंजीरा और गुजरात के वेरावल में 3 तटरक्षक केन्द्र स्थापित करने के लिये 3 अरब 42 करोड़ 56 लाख रूपये की सहायता दी जा रही हे । योजना के अंतर्गत जमीन और नौकाओं की लागत के तौर पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अब तक 61 करोड़ 11 लाख रूपये जारी किये जा चुके हैं ।
समुद्री और तटवर्ती सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए अग्र लिखित निर्णयों पर क्रियान्वयन हो चुका है – तटवर्ती क्षेत्रों में गश्त और निगरानी में विस्तार, तटवर्ती और तट से दूर सुरक्षा सहित समग्र समुद्री सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना को उत्तरदायित्व सौंपना, तटवर्ती पुलिस की गश्त वाले क्षेत्रों सहित भूभागीय जल क्षेत्र की सुरक्षा के लिये , तटरक्षक बल को अधिकृत करना, महानिदेशक (डीजी), तटरक्षक बल को कमांडर मनोनीत करना, तटवर्ती सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों में केन्द्रीय और राज्यों की एजेंसियों के बीच समन्वयन का पूरा उत्तरदायित्व सौंपना, तटवर्ती कमांड को सौंपना, मुंबई , विशाखापटनम कोच्चि और पोर्ट ब्लेयर में चार संयुक्त कार्रवाई केन्द्रों की स्थापना और तटरक्षक बल द्वारा सभी तटवर्ती राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में मानक प्रचालन प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देना और उनको जारी करना ।
सुरक्षा योजना (द्वितीय चरण ) अंतिम रूप से तैयार
तटवर्ती राज्यों /केन्द्र शासित प्रदेशों ने तटरक्षक बल के परामर्श से खामियों और खतरों के आधार पर तैयार तटवर्ती सुरक्षा योजना (द्वितीय चरण) के प्रस्ताव को सरकार ने 1 अप्रैल, 2011 से पांच वर्ष को मंजूरी दे दी है । आशा है इस योजना से तटवर्ती राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को तटीय सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत बनाया जा सकेगा । इस योजना पर परिव्यय के लिये जो वित्तीय व्यवस्था की गई है, उसमें से 11 अरब 54 करोड़ 91 लाख 20 हजार रूपये गैर-आवर्ती व्यय के लिये और 4 अरब 25 करोड़ रूपये आवर्ती व्यय के लिए रखे गए हैं । प्रस्ताव की प्रमुख विशेषताओं में से 180 नौकाओं, 60 जेट्टी , 35 हवा से फूलने वाली मजबूत नौकाओं (लक्षदीप के लिये 12 और 23 अंडमान निकोबार के लिए),10 बड़ी नौकायें (केवल अंडमान निकोबार के लिए), 131 चार पहिया वाहन वाहन और 242 मोटर साइकिलों की व्यवस्था के साथ 131 तटीय पुलिस थानों की स्थापना शामिल है । निगरानी उपकरण, अंधेरी रात में देखने के लिए उपकरण( नाइट विजन उपकरण), कम्प्यूटर और फर्नीचर तथा पीओएल पेट्रोल और लुक्रीकेन्टस 180 नौकाओं की आपूर्ति के बाद एक वर्ष के लिए) प्रति पुलिस थानों के हिसाब से 15 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। नौकाओं के संधारण के लिए वार्षिक संविदा और समुद्री पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है ।
नई तटीय सुरक्षा योजना (द्वितीय चरण ) में 60 जेट्टियों के साथ-साथ मौजूदा जेट्टियों के उन्नयन का विशेष प्रावधान किया गया है।