आलोक देशवाल
भारत से चीन और चीन से भारत की यात्रा करने वाले बौद्ध विद्वानों ने प्राचीन युग में चीन-भारत सांस्कृतिक सम्बंधों के विकास में योगदान दिया। उन्होंने सिर्फ बौद्ध धर्म के प्रसार में ही नहीं, बल्कि मध्य एशिया और चीन में भारतीय सभ्यता के पथप्रदर्शकों के रूप में सामाजिक एवं आर्थिक सम्बंधों को समझने में भी योगदान दिया। दुर्भाग्यवश भारत के प्राचीन रिकार्ड उनके बारे में खामोश हैं, लेकिन चीनी और मध्य एशियाई भाषाओं में बड़ी संख्या में उनके दस्तावेज सहेज कर रखे गए हैं।

अब तक कुछ ही चीनी रिकार्ड्स खोजे जा सके हैं जिनमें चीन में भारतीय भिक्षुओं के जीवन और कार्यों का चित्रण है। उन्हीं में से एक रिकार्ड गाओ सेंग चुआन (प्रमुख भिक्षुओं की जीवनियां) है और एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य  कुआंग हंगमिंग ची (सेंग चाओस ऑबिचुअरीज) है। कुमारजीव प्रमुख विद्वानों में से थे, जिन्होंने अपने लम्बे महत्वपूर्ण मिशन: बौद्ध धर्म की वास्तविक भावना के प्रचार  के साथ राजनीतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और भाषायी अवरोधक तोड़ डाले।

कुमारजीव या चीनी भाषा में जिक मो लाओ शिन, का जन्म मध्य एशियाई शहर कुशा में हुआ था। वह एक भारतीय ब्राह्मण और कुशा की राजकुमारी के पुत्र थे। उनके पिता का नाम कुमारायण और माता का नाम ‘जीवा‘ था। जीवा ने अपने पुत्र में उभरती बुद्धिमता को पहचान लिया था। वह बालक को उस समय उपलब्ध बेहतरीन दार्शनिक एवं आध्यात्मिक प्रशिक्षण देने के लिए संकल्पबद्ध थीं। इस तरह कुमारजीव ने छोटी उम्र में ही अभिधर्म के व्यापक साहित्य का अध्ययन कर लिया। जब वे सात बरस के हुए तो उनकी मां बौद्ध तपस्विनी बन गईं और कुमारजीव ने अपना जीवन मां का अनुसरण करने और कुशा, कश्मीर तथा काशगढ़ में प्रमुख विद्वानों के मार्गदर्शन में बौद्ध मत के अध्ययन में बिताना शुरू कर दिया।

बीस बरस की उम्र में वह कुशा के शाही महल में पुराहित बन गए। काशगढ़ में वह बौद्धधर्म के हीनयान से महायान में चले गए। वह उत्कृष्ट भिक्षु थे और तत्कालीन उत्तरी भारत की बौद्ध शिक्षा में पूरी तरह प्रवीण हो चुके थे। 379 ईसवी में, कुमारजीव की प्रसिद्धि चीन तक फैल गई और उन्हें वहां बुलाने के प्रयास होने लगे। शिन वंश का पूर्व सम्राट फू चियान उन्हें अपने दरबार में रखने का बेहद इच्छुक था, जैसा कि कुछ स्रोतों से पता चला है कि सम्राट ने कुमारजीव को चीन लाने के लिए 384 ईसवी में अपने जनरल लु कुआंग को कुशा फतह करने के लिए भेजा। लु कुआंग ने कुमारजीव को पकड़ लिया और उन्हें पश्चिमी रियासत, जिसे आगे चलकर लियांग के नाम से जाना जाने लगा, में 17 साल तक बंदी बनाकर रखा। पहले उन्हें अपमानित किया गया और अपना ब्रह्मचर्य तोड़ने के लिए बाध्य किया गया और उसके बाद अपने दरबार में उनका इस्तेमाल एक अधिकारी के रूप में किया गया। लम्बे समय तक बंदी रहने से कुमारजीव को चीनी भाषा को पूरी तरह सीखने का मौका मिला।

शिन वंश के बाद के शासक, याओ परिवार कुमारजीव को चांगअन लाने की जी-जान से कोशिश कर रहे थे। लेकिन लु कुआंग उन्हें रिहा करने से इंकार करता रहा। आखिरकार सेना भेजी गई और 402 में कुमारजीव को चांगअन लाया गया और शासकों ने उनका भव्य स्वागत किया। उसके फौरन बाद उन्होंने राज्य द्वारा प्रायोजित अनुवाद कार्य प्रारम्भ कर दिया। याओ ह्सिंग ने उन्हें ‘राजगुरु’ की उपाधि दी। उन्‍होंने सैकड़ों भिक्षुओं के समक्ष चीनी विषेषज्ञों के एक दल की अध्यक्षता की। कुछ ही बरसों में उन्होंने 54 मूल ग्रंथों का संस्कृत से चीनी भाषा में करीब 300 संस्करणों में  अनुवाद किया। 

डायमंड सूत्र, अमिताभ सूत्र, लोटस सूत्र, विमलकीर्तिनिर्देसा सूत्र, मूलमाध्यमकरिका, अस्तसहश्रिका- प्रजनापरामिता सूत्र कुछ ऐसे महत्वपूर्ण ग्र्रंथों में से हैं, जिनका श्रेय कुमारजीव को दिया जाता है। भारत-चीन सांस्कृतिक सम्बंधों को समृद्ध बनाने में कुमारजीव के योगदान का गहन अध्ययन और आकलन करने के लिए और अन्य सम्बद्ध मसलों के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने एक अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी और प्रदर्शनी का आयोजन किया। 

यह विचारगोष्ठी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी उत्कृष्टता, विवेक, संस्कृत और चीनी भाषाओं में निपुणता और सबसे बढ़कर पवित्र आवाज के लिए उनके सम्मान को स्वीकार करती है। धर्मरक्षक और हुआन त्सेंग के साथ कुमारजीव ऐसे विद्वान हैं जिन्होंने अपने बेहतरीन गुणों और बौद्ध धर्म की गूढ़ दार्शनिक प्रणालियों का प्रचार-प्रसार किया। इस प्रक्रिया की शुरुआत धर्मरक्षक के साथ हुई, जो युह-चीह थे, कुमारजीव के साथ यह फूली-फली और हुआन त्सेंग के साथ यह पूरी तरह परिपूर्ण हो गई। कुमारजीव पूर्वी एशिया में बौद्धधर्म के व्यवहार के केंद्र में बने रहे। उन्होंने बेहद विश्वसनीय प्रस्तुतियों के माध्यम से शुद्ध, असीम और अकल्पनीय संस्करणों की रचना करके हमें पवित्र सूत्रों के खजाने की विरासत सौंपी है। पूर्वी एशिया में महायान बौद्ध पंथों/ स्कूलों में उनके कार्यों का प्रभाव अभी तक देखा जा  सकता है। 

रविन्दर सिंह
नौ तटवर्ती राज्यों और चार केन्द्रशासित प्रदेशों से लगी हुई 7516 किलोमीटर लम्बी हमारी तटीय सीमा सुरक्षा संबंधी गंभीर चुनौतियां पेश करती है मुंबई के 26/11 के आतंकी हमलों के बाद देश के समूची तटीय सुरक्षा परिदृश् पर सरकार द्वारा अनेक स्तरों पर समीक्षा की गई है तटीय सुरक्षा के खतरों के विरूद्ध मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय समुद्री और तटीय सुरक्षा समिति (एनसीएसएमसीएस) का गठन किया गया है तटीय सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर समिति में विस्तृत चर्चा की गई है सभी नौ तटवर्ती राज् और चार केन्द्रशासित प्रदेश इस समिति की बैठकों में नियमित रूप से भाग लेते हैं
            देश की तटीय सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए विभिन् मंत्रालयों द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं , जिन पर क्रियान्वयन किया जा रहा है देश की तटवर्ती सीमा की सुरक्षा के लिये तटवर्ती राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की पुलिस, राज्यों के प्रशासन, भारतीय नौसेना, गृह मंत्रालय और अन् केन्द्रीय मंत्रालय पूरे सामंजस् के साथ काम कर रहे हैं इन सबके बावजूद , भारत की विशाल समुद्री सीमा की रक्षा करना एक गुरूतर दायित् है।
तटीय सुरक्षा येाजना (प्रथमचरण)
            राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार के लिये गठित मंत्रि समूह की सिफारिशों पर गठित तटीय सुरक्षा येाजना का अनुमोदन सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने जनवरी 2005 में किया था, जिस पर वर्ष 2005-06 से शुरू होकर पांच वर्षों में अमल किया जाना था योजना में तटवर्ती 9 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों को 73 तटवर्ती पुलिस थाने, 97 जांच चौकियां (चेक पोस्), 58 सीमा चौकियां (आउटपोस्) और 30 बैरकों की स्थापना के लिये सहायता दी जाती है। इन सभी में कुल 204 नौकायें, 153 जीपें और 312 मोटर साइकिलें मुहैया करायी गई हैं योजना के अंतर्गत जनशक्ति का प्रावधान राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है प्रारंभ में येाजना के अंतर्गत अनावर्ती व्यय के लिये चार अरब रूपये और नौकाओं की मरम्मत , साधारण एवं ईंधन तथा समुद्री पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण पर आवर्ती व्यय के लिये 1 अरब 51 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था योजना को फिलहाल एक वर्ष यानी 31 मार्च, 2011 तक बढ़ा दिया गया है और अनावर्ती व्यय के लिये 95 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है
            अनुमोदित 73 तटवर्ती पुलिस थानों में से 71 में काम शुरू हो चुका है इनमें से 48 अपने नए भवनों से काम कर रहे हैं इसके अलावा 75 जांच चौकियों , 54 सीमा चौकियों और 22 बैरकों का निर्माण भी पूरा हो चुका है अनुमोदित 204 नौकाओं में से 195 नौकायें  31 दिसम्बर, 2010 तक अतटवर्ती राज्यों  और केन्द्रशासित प्रदेशों को दी जा चुकी हैं गोवा के लिये 10 रिजिड इन्फ्लेटे बल बोट्स(सुदृढ़ हवा से फूलने वाली नौकायें) खरीदी जा चुकी हैं राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा सभी वाहन (153 जीपें और 312 मोटर साइकिलें ) खरीदे जा चुके हैं तटरक्षक बल ने अब तक करीब 2000 लोगों को प्रशिक्षण दिया है
नौकाओं का पंजीकरण
            भारतीय जल क्षेत्र में सभी प्रकार की नौकाओं मछली पकड़ने वाली या मछली नहीं पकड़ने वाली को एक समरूप प्रणाली के तहत पंजीकरण कराना होता है जहाजरानी मंत्रालय ने जून 2009 में दो अधिसूचनायें जारी की, जिनमें से एक व्यापारिक नौवहन (मछली पकड़ने वाली नौकाओं का पंजीकरण) नियमों में संशोधन से संबंधित था, जबकि दूसरा पंजीयकों की सूची की अधिसूचना से संबंधित था राज् और केन्द्रशासित प्रदेश इस पर अनुसरण कर रहे हैं राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) ने देश में एक समरूप ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली का विकास किया है कार्यक्रम पर अमल के लिये एनआईसी को 1 करोड़ 20 लाख रूपये और तटवर्ती राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को 5 करोड़ 81 लाख 86 हजार रूपये जारी किये जा चुके हैं इससे संबंधित प्रशिक्षण और प्रशिक्षण की शुरूआत हो चुकी है तथा ऑनलाइन पंजीकरण भी प्रारंभ हो गया है
मछुआरों को पहचान पत्र जारी करना
            तटवर्ती मछुआरों को बायोमीट्रिक पहचान पत्र जारी करने के लिये 72 करोड़ रूपये की कुल लागत से केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना शुरू की गई है इस परियोजना के लिए आर्थिक सहयोग भारतीय महापंजीयक से प्राप्  हो रहा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक् लिमिटेड की अगुवाई में तीन कंपनियों के एक समूह को आंकड़ों के अंकीकरण कार्ड के उत्पादन और उसे जारी करने का काम सौंपा गया है बायोमीट्रिक पहचान पत्र जारी करने के लिये जिन 15,59,640 मछुआरों की पहचान की गई है, उनमें से 8,29,254 (53.17 प्रतिशत) के बारे में आंकड़े इकट्ठा किये जा चुके हैं और 3,76,828 (45.44 प्रतिशत)मछुआरों के आंकड़ों का अंकीकरण किया जा चुका है
            आरजीआई, जनसंख्या 2011 के पूर्व तटीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने की अपनी परियोजना के एक अंग के तौर पर तटवर्ती गांवों की जनसंख्या को बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया में है नए कोर्ड एएचडी (पशुपालन विभाग) और मत्स्यपालन विभाग द्वारा जारी किये जाएंगे पहले चरण में 3331 तटवर्ती गांवों का चयन इस कार्य के लिये किया गया है
            पहचान पत्रों का वितरण दिसम्बर 2010 में शुरू हो चुका है अब तक 1 करोड़ 20 लाख लोगों के आंकड़े इकट्ठा किये जा चुके हैं, जबकि 69 लाख लोगों के बायोमीट्रिक विवरण तैयार किये जा चुके हैं गुजरात, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु , ओडीशा , दमन दीव, लक्षदीप और पुड्डुचेरी के तटवर्ती गांवों में आमतौर पर रहने वालों का  स्थानीय रजिस्टर एलआरयूआर की छपाई पूरी हो चुकी है
बंदरगाह सुरक्षा
            ऐसे बंदरगाह जो ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं माने जाते उनकी सुरक्षा, हमेशा से ही चिंता का विषय रही है देश में 12 प्रमुख और करीब 200 कम महत् के छोटे बंदरगाह हैं प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा सीआईएसएफ के हाथों में है, जबकि छोटे और कम महत् के बंदरगाहों की सुरक्षा राज्यों के समुद्री बोर्डों/राज् सरकारों के हाथों में होती है बड़े बंदरगाह अंतराष्ट्रीय जहाजों के अनुकूल सुरक्षा प्रबंधों और सुविधाओं से लैस हैं इन बंदरगाहों का सुरक्षा अंकेक्षण हर दो वर्ष में किया जाता है, यानी सुरक्षा संबंधी प्रबंधों की समीक्षा की जाती है,  परन्तु कम महत् के बंदरगाहों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है
            12 प्रमुख बंदरगाहों के अतिरिक् देश के 53 छोटे/कम महत्वपूर्ण बंदरगाह और 5 शिपयार्ड (पोत निर्माण संयंत्र) भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जहाजों के अनुकूल सुरक्षा और सुविधाओं से संपन् हैं इन बंदरगाहों के सुरक्षा प्रबंधों और सुविधाओं की वैश्विक अनुकूलता की स्थिति का पुनराकलन इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग द्वारा किया गया है सीमा शुल् विभाग, जहाजरानी तथा राज्यों के समुद्री बोर्डों को साथ लेकर ऊपर वर्णित 65 प्रमुख और गैर प्रमुख बंदरगाहों के अतिरिक् अन् कम महत्वपूर्ण बंदरगाहों में भी अंतराष्ट्रीय स्तर के जहाजों के अनुकूल सुरक्षा और सुविधाओं को जुटाने के लिये आवश्यक कार्रवाई कर रहा है ।ऑपरेशन स्वान
            गुजरात और महाराष्ट्र के तटवर्ती क्षेत्रों की पैट्रोलिंग की संयुक् व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये चलाई जा रही ऑपरेशन स्वान येाजना के तहत तटरक्षक बाल को 15 इंटरसेप्टर (पीछा करने वाली) नौकाओं की खरीद और महाराष्ट्र के धानु तथा मुरूड जंजीरा और गुजरात के वेरावल में 3 तटरक्षक केन्द्र स्थापित करने के लिये 3 अरब 42 करोड़ 56 लाख रूपये की सहायता दी जा रही हे योजना के अंतर्गत जमीन और नौकाओं की लागत के तौर पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अब तक 61 करोड़ 11 लाख रूपये जारी किये जा चुके हैं
निर्णयों का क्रियान्वयन
            समुद्री और तटवर्ती सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए अग्र लिखित निर्णयों पर क्रियान्वयन हो चुका है तटवर्ती क्षेत्रों में गश् और निगरानी में विस्तार, तटवर्ती और तट से दूर सुरक्षा सहित समग्र समुद्री सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना को उत्तरदायित् सौंपना, तटवर्ती पुलिस की गश् वाले क्षेत्रों सहित भूभागीय जल क्षेत्र की सुरक्षा के लिये , तटरक्षक बल को अधिकृत करना, महानिदेशक (डीजी), तटरक्षक बल को कमांडर मनोनीत करना, तटवर्ती सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों में केन्द्रीय और राज्यों की एजेंसियों के बीच समन्वयन का पूरा उत्तरदायित् सौंपना, तटवर्ती कमांड को सौंपना, मुंबई , विशाखापटनम कोच्चि और पोर्ट ब्लेयर में चार संयुक् कार्रवाई केन्द्रों की स्थापना और तटरक्षक बल द्वारा सभी तटवर्ती राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में मानक प्रचालन प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देना और उनको जारी करना
सुरक्षा योजना (द्वितीय चरण ) अंतिम रूप से तैयार
            तटवर्ती राज्यों /केन्द्र शासित प्रदेशों ने तटरक्षक बल के परामर्श से खामियों और खतरों के आधार पर तैयार तटवर्ती सुरक्षा योजना (द्वितीय चरण) के प्रस्ताव को सरकार ने 1 अप्रैल, 2011 से पांच वर्ष को मंजूरी दे दी है आशा है इस योजना से तटवर्ती राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को तटीय सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत बनाया जा सकेगा इस योजना पर परिव्यय के लिये जो वित्तीय व्यवस्था की गई है, उसमें से 11 अरब 54 करोड़ 91 लाख 20 हजार रूपये गैर-आवर्ती व्यय के लिये और 4 अरब 25 करोड़ रूपये आवर्ती व्यय के लिए रखे गए हैं प्रस्ताव की प्रमुख विशेषताओं में से 180 नौकाओं, 60 जेट्टी , 35 हवा से फूलने वाली मजबूत नौकाओं (लक्षदीप के लिये 12 और 23 अंडमान निकोबार के लिए),10 बड़ी नौकायें (केवल अंडमान निकोबार के लिए), 131 चार पहिया वाहन वाहन और 242 मोटर साइकिलों की व्यवस्था के साथ 131 तटीय पुलिस थानों की स्थापना  शामिल है निगरानी उपकरण, अंधेरी रात में देखने के लिए उपकरण( नाइट विजन उपकरण), कम्प्यूटर और फर्नीचर तथा पीओएल पेट्रोल और लुक्रीकेन्टस 180 नौकाओं की आपूर्ति के बाद एक वर्ष के लिए) प्रति पुलिस थानों के हिसाब से 15 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। नौकाओं के संधारण के लिए वार्षिक संविदा और समुद्री पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है
नई तटीय सुरक्षा योजना (द्वितीय चरण ) में 60 जेट्टियों के साथ-साथ मौजूदा जेट्टियों के उन्नयन का विशेष प्रावधान किया गया है।


मौसम

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Search

कैमरे की नज़र से...

Loading...

इरफ़ान का कार्टून कोना

इरफ़ान का कार्टून कोना
To visit more irfan's cartoons click on the cartoon

.

.



ई-अख़बार

ई-अख़बार


Blog

  • Firdaus's Diary
    ये लखनऊ की सरज़मीं ... - * * *-फ़िरदौस ख़ान* लखनऊ कई बार आना हुआ. पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान...और फिर यहां समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद. हमें दावत दी गई थी क...
  • मेरी डायरी
    हिन्दुस्तान में कौन सा क़ानून लागू है...? - हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में कौन सा क़ानून लागू है...भारतीय संविधान या शरीयत....? हम यह सवाल इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि हाल में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है क...

Archive