-मनीष देसाई
यूनेस्को विश्व धरोहर समिति ने 1 जुलाई को भारत के वेस्टर्न घाट को विश्व धरोहर स्थल की फेहरिस्त में शामिल किया। रूस के सेंट पीटरस्बर्ग में विश्व धरोहर समिति के 36 वें सत्र में यह फैसला लिया गया। वेस्टर्न घाट भूदृश्य के कुल 39 स्थल उस क्षेत्र का हिस्सा हैं जिसे विश्व धरोहर की फेहरिस्त में जगह दी गई है। इसमें 20 स्थलों के साथ केरल सबसे ऊपर है उसके बाद कर्नाटक (10 स्थल), तमिलनाडु (5 स्थल) और महाराष्ट्र (4 स्थल) है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में वेस्टर्न घाट विश्व धरोहर क्लस्टर की सूची:
महाराष्ट्र
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कास पठार
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कोयना वन्यजीव अभयारण्य
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चंदोली राष्ट्रीय उद्यान
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रधानागरी वन्यजीव अभयारण्य
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कर्नाटक
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ब्रह्मगिरी वन्यजीव अभयारण्य
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तालाकावेरी वन्यजीव अभयारण्य
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पदिनालक्नाड रिज़र्व फोरेस्ट
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केर्ती रिजर्व फोरेस्ट
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अरालम वन्य जीव अभयारण्य
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कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान
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बलाहल्ली रिजर्व फोरेस्ट
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केरल –तमिलनाडु
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कालक्कड बाघ रिजर्व
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शेंदुरने वन्य जीव अभयारण्य
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नेय्यर वन्य जीव अभयारण्य
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पेपरा वन्य जीव अभयारण्य
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कुलाथुपुझा रेंज
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पलोड रेंज
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पेरियर बाघ रिजर्व
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रन्नी वन डिवीजन
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कोन्नी वन डिवीजन
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अचांकोविल वन डिवीजन
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श्रीविलिपुत्तुर वन्य जीव
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तिरूनेलवेली उत्तर वन डिवीजन
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ईराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान
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ग्रास पर्वतीय राष्ट्रीय उद्यान
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कर्यान शोला राष्ट्रीय उद्यान
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परांभिकुलम वन्य जीव अभयारण्य
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मंकुलम रेंज
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चिन्नार वन्य जीव अभयारण्य
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मन्नावन शोला
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साइलेंट वेली राष्ट्रीय उद्यान
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न्यू अमरांबलम रिजर्व फोरेस्ट
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मुकुर्ती राष्ट्रीय उद्यान
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कालीकावु रेंज
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अट्टापडी रिजर्व फोरेस्ट
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पुष्पगिरी वन्य जीव अभयारण्य
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पर्यावरणविद् जहां खुश हैं कि लगातार अंतरराष्ट्रीय समीक्षा से निहित स्वार्थों द्वारा वन संपदा के दुरूपयोग को रोका जा सकेगा वहीं राज्य सरकारों ने इस पर नपी-तुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संशयवादियों को लगता है कि इससे पारिस्थितिकीय तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजनाओं जिसे वेस्टर्न घाट में लागू कर दिया गया है या प्रस्तावित हैं, उन पर अधिक असर नहीं पड़ेगा।
अस्वीकृति के बाद पहचान
वेस्टर्न घाट को काफी मशक्कत के बाद विश्व धरोहर की सूची में रखा गया है। पिछले साल विश्व धरोहर के 35वें सत्र में 39 स्थलों समेत वेस्टर्न घाट के विश्व धरोहर के प्रस्ताव को नामंज़ूर कर दिया गया था। इस साल प्रस्ताव पर फिर से विचार करने के लिए उसे दोबारा सौंपा गया तब भी यह नामंज़ूर किए जाने के कगार पर था। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने भारत को सुझाव दिया कि उसे प्रस्ताव की समीक्षा तथा उसमें सुधार करके वनों को संरक्षित करने के लिए प्रस्तावित स्थलों की सीमाओं को नए सिरे से परिभाषित करना चाहिए। सेंट पीटरस्बर्ग में भारतीय शिष्टमंडल ने हालांकि विश्व धरोहर समिति को भारत के प्रस्ताव की खूबियों के बारे में समझाने की कोशिश की तथा इस मुद्दे पर समिति के 21 सदस्यों के साथ चर्चा भी की। भारत की कोशिश रंग लाई तथा रूस के शिष्टमंडल ने प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जिसे एशिया और अफ्रीका के कई देशों का समर्थन मिला।
वेस्टर्न घाट की महत्ता
वेस्टर्न घाट हिमालय से भी पुराना तथा जैव-विविधता का खज़ाना है। इसे वनस्पतियों और जीव-जंतुओ को संरक्षित करने वाले 8 वैश्विक स्थानों में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। वेस्टर्न घाट गुजरात के डेंग से शुरू होकर महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक के मलनाड क्षेत्र, केरल और तमिलनाडु के पहाड़ी मैदानों से गुज़रते हुए कन्याकुमारी के नजदीक समाप्त होता है।
घाट में फिलहाल 5000 से ज़यादा पौधे तथा 140 स्तनपायी हैं जिसमें से 16 स्थानिक यानी केवल उसी क्षेत्रों में पए जाने वाले हैं। वेस्टर्न घाट में पाए जाने वाले 179 उभयचर प्रजातियों में से 138 केवल इसी क्षेत्र में ही पाईं जाती हैं। इसमें 508 पक्षियों की प्रजातियां हैं जिसमें से केवल 16 इस क्षेत्र में पाईं जाती हैं।
वेस्टर्न घाट को पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है जिसमें करीब 56 प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। पर्यावास बदलने, अधिक दोहन होने, प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन ऐसे प्रमुख कारण जिससे जैव-विविधता को नुकसान पहुंच रहा है।
वेस्टर्न घाट की पारिस्थितिकी के संरक्षण की आयवश्कता से इंकार नहीं किया जा सकता।
यूनेस्को का अधिदेश
यूनेस्कों ने वेस्टर्न घाट के जैव-विवधता के संरक्षण में उसके वर्तमान प्रयासों की सराहना की लेकिन स्पष्ट रूप से काफी कुछ किए जाने पर भी ज़ोर दिया। विश्व धरोहर समिति ने भारत सरकार को पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों पर विचार करने का सुझाव दिया है। इन स्थलों के अधिक संरक्षण के लिए समिति ने सरकार से बफर ज़ोन को मज़बूत करने को भी कहा है। समान रूप से लाभ सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का यह संगठन सामुदायिक भागीदारी के जरिए सहभागिता प्रशासन दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहता है। पैनल ने कहा है कि स्थानीय लोगों की सहमति के बगैर क्षेत्र में कोई औद्योगिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए।
पर्यावरण और वन मंत्रालय ने जाने-माने पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर माधव गाडगिल की अध्यक्षता में फरवरी 2010 में वेस्टर्न घाटों के पर्यावरण विशेषज्ञ पैनल का गठन किया था। पैनल ने क्षेत्र में पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील अनेक भागों की पहचान की और सिफारिश की कि इन हिस्सों को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया जाए । अपनी सिफारिशों में पैनल ने कर्नाटक के गुंडिया, केरल की अथीरापल्ली जल परियोजनाओं को रद्द करने और गोवा के पर्यावरण की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील इलाकों में खनन कार्यों को 2016 तक धीरे-धीरे खत्म करने का आह्वान किया । इसने यह भी सुझाव दिया कि वैधानिक प्राधिकरण के रूप में वेस्टर्न घाट पर्यावरण प्राधिकरण ( डब्ल्यू जी ई ए ) की स्थापना की जाए जिसे पर्यावरण और वन मंत्रालय नियुक्त करे। इसे पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अनुछेद तीन के अंतर्गत शक्तियां प्राप्त हों। 24 सदस्यीय इस समूह में पर्यावरण विद, वैज्ञानिक, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि, आदिवासी समूह केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय, योजना आयोग, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी और राज्य सरकार के प्रतिनिधि इसके सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
कर्नाटक और केरल सरकारों ने अपने-अपने क्षेत्रों में जल परियोजनाओं को समाप्त करने की सिफारिश का विरोध किया है। कर्नाटक सरकार वेस्टर्न टों को विश्व धरोहर का नाम देने का विरोध कर रही है, उसका कहना है कि इन क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले स्थानों को विकसित करने में नियंत्रक बाधाएं आ सकती हैं। वेस्टर्न घाटों को संरक्षित करने के संबंध में गोवा के सुस्त रवैये के परिणामस्वरूप उसे 39 की सूची में कोई जगह नहीं मिली। महाराष्ट्र सरकार ने वेस्टर्न घाटों को विश्व धरोहर का दर्जा दिये जाने का स्वागत किया है। लेकिन कुछ प्रमुख क्षेत्रों को छोड़कर खनन और उद्योगों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू नहीं करने के राज्य के वर्तमान रवैये में बदलाव नहीं आयेगा। राज्य ने हांलाकि वेस्टर्न घाट के गांवों में हरित र्इंधन आंदोलन को प्रोत्साहित किया है। उसने बायोगैस पर 75 प्रतिशत सब्सिडी और कम दूध देने वाले ऐसे मवेशी जो खुले में घास चरने की बजाय चारे पर निर्भर हैं उनके लिये भी 50 प्रतिशत सब्सिडी की व्यवस्था की है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का प्रभाव
विश्व धरोहर के दर्जे से इन स्थानों में और इनके आस-पास के इलाकों में विकास पर परेशानी आ सकती है क्योंकि यूनेस्को ने प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों के आस-पास अतिरिक्त बफर जोन बनाने की व्यवस्था की है और चुने हुए 39 क्रमिक स्थलों के संरक्षण के लिये एक प्राधिकरण रखा है। संरक्षणकर्ताओं को डर है कि पर्यावरण पर्यटन की चाह में इन संवेदनशील इलाकों की तरफ लोगों की भीड़ जायेगी। कर्नाटक में कुद्रेमुख वन्य जन्तु फाउंडेशन से जुड़े एक कार्यकर्ता का कहना है ‘’ इससे वेस्टर्न घाट में व्यावसायिक गतिविधियां, सड़कें, निर्माण, बिजली की लाइनें, और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिये निर्माण गतिविधियां–शुरू हो जायेंगी । जिससे इस हरे-भरे क्षेत्र और प्राकृतिक वास को संरक्षित करने के उद्देश्य पर असर पड़ेगा ।
वेस्टर्न घाट विशेषज्ञ डॉक्टर माधव गाडगिल ने यूनेस्को की घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे 2002 के जैविक विविधता जैसे अधिनियमों को मजबूती मिलेगी जिससे पंचायत जैसे स्थानीय संगठन संरक्षण के लिये उचित कदम उठा सकेंगे। संरक्षण के प्रयासों की सफलता और निरन्तर विकास का पता लगाने में स्थानीय लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी।
पांच राज्यों से लगे वेस्टर्न घाट में लाखों आदिवासियों ने अपने घर बनाए हैं। नीलगिरी के थोडा, बी आर हिल्स के सोलीदास, बेथनगाड़ी के मालेकुदिया, उत्तर कन्नड़ के हल्लाकी वोक्कल, कुमता के सिद्धि, वेनाद के पनिया, मालाबार के कटटूनयाकन और गोवा और महाराष्ट्र के अनेक अन्य आदिवासी इनमें शामिल हैं । जैव विविधता के संरक्षण की योजना 2001-16 में कहा गया है ‘’ आदिवासी समुदाय जैव विविधता का हिस्सा हैं और राज्य सरकारों को उन्हें उनके प्राकृतिक माहौल से बाहर नहीं निकालना चाहिए बल्कि उन्हें लोकतांत्रिक दृष्टि से अधिकार सम्पन्न बनाना चाहिए और उन्हें सरकारी सुविधाएं देनी चाहिए।
वेस्टर्न घाट के अधिकतर हिस्सों में विकास में लोगों की भागीदारी हितकर है। देश के क्षेत्र में साक्षरता और पर्यावरण संबंधी जागरूकता का स्तर बहुत अधिक है। लोकतांत्रिक संस्थाएं भी मजबूत हैं और क्षमता निर्माण और पंयायती राज संस्थानों को मजबूत बनाने में केरल सबसे आगे है। गोवा ने हाल ही में भूमि के इस्तेमाल की नीतियों के बारे में फैसला लेने के लिये ग्राम सभाओं से जानकारी लेने संबंधी काफी दिलचस्प कार्य, क्षेत्रीय योजना 2021 को पूरा किया। वेर्स्टन घाट देश का एक ऐसा उपयुक्त क्षेत्र है जिसका समग्र और पर्यावरण के अनुकूल विकास हो सकता है।
वेस्टर्न घाट से संबंधित कुछ तथ्य
-डॉ. के. परमेश्वरन
· वेस्टर्न घाट एक पर्वतीय श्रृंखला है, जो भारत के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
· दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय श्रृंखला उत्तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्बी है।
· यह विश्व में जैविकीय विवधता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसका विश्व में 8वां नंबर है।
· यह गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्त हो जाती है।
· इन पहाडि़यों का कुल क्षेत्र 160,000 वर्ग किलोमीटर है।
· इसकी औसत उंचाई लगभग 1200 मीटर (3900 फीट) है।
· इस क्षेत्र में फूलों की पांच हजार से ज्यादा प्रजातियां, 139 स्तनपायी प्रजातियां, 508 चिडि़यों की प्रजातियां और 179 उभयचर प्रजातियां पाई जाती हैं।
· ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है कि वेस्टर्न घाट में कम से कम 84 उभयचर प्रजातियां और 16 चिडि़यों की प्रजातियां और सात स्तनपायी और 1600 फूलों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो विश्व में और कहीं नहीं हैं।
· वेस्टर्न घाट में सरकार द्वारा घोषित कई संरक्षित क्षेत्र हैं। इनमें दो जैव संरक्षित क्षेत्र और 13 राष्ट्रीय पार्क हैं।
· वेस्टर्न घाट में स्थित नीलागिरी बायोस्फियर रिजर्व का क्षेत्र 5500 वर्ग किलोमीटर है, जहां सदा हरे-भरे रहने वाले और मैदानी पेड़ों के वन मौजूद हैं।
· केरल का साइलेंट वैली राष्ट्रीय पार्क वेस्टर्न घाट का हिस्सा है। यह भारत का ऐसा अंतिम उष्णकटिबंधीय हरित वन है, जहां अभी तक किसी ने प्रवेश नहीं किया है।
· अगस्त, 2011 में वेस्टर्न घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल ने पूरे वेस्टर्न घाट को पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है। पैनल ने इसके विभिन्न क्षेत्रों को तीन स्तर पर संवेदनशील बताया है।
· 2012 में यूनेस्को ने वेस्टर्न घाट क्षेत्र के 39 स्थानों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।