विजय लक्ष्मी कसौटिया
मानव संसाधन विकास को हस्तक्षेप का एक प्रमुख क्षेत्र मानते हुए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमशीलता और प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम) की स्थापना की सामरिक पहल के लिए कदम उठाए हैं। संस्थान की परिकल्पना अपने विभिन्न हितधारकों जैसे निर्यातकों, उद्योग, उद्यमियों और नीति निर्माताओं की संपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करते हुए एक सर्वश्रेष्ठ विश्व स्तरीय संस्थान बनाने की है। संस्थान भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन प्रदान करने में एक अहम भूमिका निभा रहा है।
एक स्पष्ट परिकल्पना
एनआईएफटीईएम दक्षता, खाद्य प्रौद्योगिकी के सभी एकीकृत पहलुओं, उद्यमिता, अनुसंधान और प्रबंधन के एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के रूप में सामने आ रहा है और भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि को और बढ़ाने में प्रमुख केन्द्र के तौर पर पहचान बना रहा है। संस्थान पारंपरिक खाद्य प्रौद्योगिकी से आगे बढ़कर कृषि व्यवसाय प्रबंधन, संस्थागत व्यवहार, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, लेखा, लघु और बृहद अर्थशास्त्र, पोषण विज्ञान और अनुवांशिकी जैसे विषयों को शामिल करते हुए खाद्य विज्ञान के लिए अधिक व्यापक पहुंच बनाता है।
एनआईएफटीईएम की स्थापना दिल्ली के निकट हरियाणा के सोनीपत जिले के कुंडली में 100 एकड़ क्षेत्र में की गई है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एनआईएफटीईएम की कानूनी स्थिति को एक कंपनी से बदलकर संस्था बनाने के मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। इससे संस्थान को एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य करने की भी स्वीकृति मिल गई है।
एनआईएफटीईएम की भूमिका
संस्थान की भूमिका खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आधुनिक जानकारी के साथ विश्व स्तरीय प्रबंधकीय प्रतिभा और उद्यमशीलता को विकसित करने के अलावा ऐसे नियमों के लिए बौद्धिक सहायता प्रदान करना है, जो नवप्रर्वतन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता को नियंत्रित कर सकें।
इसकी भूमिका में खाद्य प्रसंस्करण के अन्य पक्षों जैसे उत्पाद जानकारी, उत्पादन और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, बाजार रूझान, सुरक्षा और गुणवत्ता मानक, प्रबंधन कार्यो के अलावा व्यापार संवर्द्धन सेवाओं के साथ फलों और सब्जियों, डेयरी, मीट, अनाज प्रसंस्करण, देश के भीतर और विदेश दोनों में वर्तमान संस्थानों के बीच संपर्क और सहयोग को प्रोत्साहन देने के लिए एक ज्ञान केन्द्र के रूप में कार्य करना भी शामिल है।
एनआईएफटीईएम के अभियान में लक्ष्यों को प्राप्त किए जाने के लिए स्पष्टता है इसमें नवीन मूल्य संवर्द्धित उत्पाद, प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया का सृजन और प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जो भारत को विश्व में खाद्य केन्द्र के रूप में सेवा प्रदान करने और खाद्य उत्पादों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला जैसी सेवाओं में सक्षम बना सके। यह हितधारकों को अगले और पिछले संपर्क प्रदान करने के अलावा खाद्य अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक रूझानों के साथ अद्यतन रहने तथा कौशल को और पैना बनाने के लिए निरंतर प्रशिक्षण भी प्रदान करता है। संस्थान प्रणालियों के मानकीकरण और संस्थानों के कुशल उपयोग एवं उद्यमियों को सहायता और दीर्घकालीन व्यवसायों को विकसित करने को सुनिश्चित करने के लिए अन्य खाद्य प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं के साथ नेटवर्क संपर्क भी प्रदान करता है।
एनआईएफटीईएम खाद्य मानकों, गुणवत्ता संवर्द्धन और प्रमाणन एवं भारतीय पारंपरिक खाद्य प्रथाओं के ज्ञान बैंक के विकास में सहायता प्रदान करता है, इसके अलावा प्रयोगशालाओं से सरल प्रौद्योगिकियों के खेत में हस्तांतरण एवं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों एवं नियमों के सामंजस्य को प्रोत्साहन देता है।
खाद्य विज्ञान और प्रबंधन में शिक्षा के पहलू
प्रतिष्ठित वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग, एनआईएफटीईएम की कार्य संस्कृति के गठन में एक अहम अंग होगा। इसका उद्देश्य वैश्विक खाद्य उद्योग में प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सफल गठजोड़ और सहयोग के माध्यम से देश में आधुनिक प्रौद्योगिकी और दक्षता को लाना है। शिक्षण और अनुसंधान के लिए संस्थान के पांच विभागों को खाद्य प्रसंस्करण और प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के साथ-साथ छात्र और संकाय आदान-प्रदान कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ दीर्घकालिक सहयोग का भी लाभ मिलेगा। एनआईएफटीईएम संकाय और छात्रों को अन्य देशों से वार्ता और बाहरी देश के साथ अनुसंधान कार्य के माध्यम से अत्यधिक लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा।
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में वैश्विक पद्धति और विशेषज्ञता को लाने के प्रयासों के अंतर्गत, एनआईएफटीईएम, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर और कॉर्नेल विश्वविद्यालय की जीवन विज्ञान ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नवीनता लाने के लिए मानव संसाधन विकास, प्रायोगिक अनुसंधान और उद्योग में सहयोग के लिए जनवरी, 2008 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। खाद्य विज्ञान शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख कॉर्नेल विश्वविद्यालय और कॉर्नेल विश्वविद्यालय की भारतीय सहायक, सतगुरू ने खाद्य विज्ञान और उद्यम विकास में सहयोग के क्षेत्रों में ज्ञान संपर्क, खाद्य विज्ञान अनुसंधान के लिए प्रारूप सुविधाएं, शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से एनआईएफटीईएम को सामरिक सहायता प्रदान करने के लिए हाथ मिलाए हैं।
वैश्विक सहयोग के लिए संभावित क्षेत्र
वैश्विक सहयोग के क्षेत्र में एनआईएफटीईएम पाठ्यक्रम तैयार करने के अलावा संकाय आदान-प्रदान, व्यवसाय प्रोत्साहन, उपभोक्ता अनुसंधान और सूचनाओं के आदान-प्रदान के क्षेत्र में सुविधाएं प्रदान करता है।
विषय केन्द्र-नेतृत्व की भावना को प्रोत्साहन
एनआईएफटीईएम खाद्य प्रसंस्करण के प्रमुख क्षेत्र में नेतृत्व और नवीन क्रियाकलापों के प्रोत्साहन के उद्देश्य के साथ विषय केन्द्रों का विकास कर रहा है। प्रत्येक विषय में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए केन्द्र विश्व-स्तरीय श्रमशक्ति और बुनियादी ढांचे के रूप में सामने आएगा। विषय केन्द्र विभिन्न दुग्धपालन, समुद्री भोजन और मदिरा जैसे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में संकाय आदान-प्रदान कार्यक्रम अथवा संयुक्त अनुसंधान पहलों के माध्यम से प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ दीर्घकालिक संबंधों के माध्यम से लाभ प्रदान करेगा।
एनआईएफटीईएम खाद्य और प्रबंधन में बी.टेक, एम.टेक सुविधा भी प्रदान करता है। यह खाद्य व्यापार प्रबंधन और खाद्य प्रौद्योगिकी में मानद जैसे पाठ्यक्रमों की भी सुविधा प्रदान करता है।
एक सुनहरे भविष्य की ओर
इसका भविष्य एक संगठनात्मक पारिस्थितिकी प्रणाली और विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण में निहित है, जो एनआईएफटीईएम के संपूर्ण कार्यकलापों और संबंद्ध गतिविधियों में शामिल है। एनआईएफटीईएम ज्ञान अभियान, सर्वश्रेष्ठ वैश्विक कार्यप्रणालियों को अपनाने, नवीनता, भागीदारी और कौशल में अग्रणी होगा, इसकी सफलता भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के मूल्यांकन में एक नए युग की पटकथा के लिए महत्वपूर्ण होगा।