असलम ख़ान
नई दिल्ली. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में किसानों को बागवानी फसलों को भीषण वर्षा और बाढ़ के कारण हुए नुकसान और उन्हें बीमारियों, कीटों आदि से बचाने के लिए सलाह जारी की है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने खेतों/बेसिन आदि से अतिरिक्त जल को बाहर निकाल दें और छोटे पौधों पर लकड़ी की खपच्चियों का सहारा लगाएं, जिससे वे मुड़ने न पाएं।
नई दिल्ली. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में किसानों को बागवानी फसलों को भीषण वर्षा और बाढ़ के कारण हुए नुकसान और उन्हें बीमारियों, कीटों आदि से बचाने के लिए सलाह जारी की है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने खेतों/बेसिन आदि से अतिरिक्त जल को बाहर निकाल दें और छोटे पौधों पर लकड़ी की खपच्चियों का सहारा लगाएं, जिससे वे मुड़ने न पाएं।
फलों के पौधों में फैलने वाली संभावित बीमारियों को देखते हुए उनमें डाइथेन एम45 (2 ग्रा. प्र.ली) का एक छिड़काव करने का सुझाव दिया जा रहा है। केले के पौधों में सिगाटोका लीफ स्पॉट नामक बीमारी की रोकथाम के लिए कैलिक्सिन (1 मि.ली. प्र.ली.) का छिड़काव कर दिया जाना चाहिए।
टमाटर के पौधों में लेट ब्लाइट और बक आई रॉट, प्याज के पौधों में फिटोपऊथोरा रॉट, बैंगन के पौधों में बेक्टीरियल विल्टफिटोपऊथोरा फ्रूट रॉट नामक बीमारियों की रोकथाम के लिए इक्वेशन-प्रो (1 मि.ली. प्र.ली.) या एक्रोबेट (2 ग्रा.प्र.ली.) का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। प्याज में परपल ब्लाच बीमारी की रोकथाम के लिए डाइथेन एम45 या कावाक (2 ग्रा.प्र.ली.) का छिड़काव किया जाना चाहिए।
मिर्ची के पौधों में एन्थ्रेकनोज़ नामक बीमारी की रोकथाम के लिए टोपसिन एम (1 ग्रा.प्र.ली.) का छिड़काव लाभकारी है। उस भूमि को जिसमें काली मिर्च और इलाइची के पौधे लगे हैं, उसमें कॉपर आक्सीक्लोराइड (0.2 प्रतिशत) का घोल मिलाकर पूरी तरह सुखा लिया जाना चाहिए जबकि अदरख और हल्दी की क्यारियों को मेन्कोज़ेब (0.3 प्रतिशत) या मेटलज़ाइल-मेन्कोज़ेब (0.05 प्रतिशत) के साथ सुखाया जाना चाहिए।
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