अतुल मिश्र
जिस 'महिला-आरक्षण विधेयक' के बारे में यह विश्वास हो चला था कि वह अब कभी पास नहीं हो पाएगा, वह अमिताभ बच्चन के पप्पू की तरह पास हो गया. जिस विधेयक ने अपने पास होने से पहले संसद के दोनों सदनों को यू.पी. और बिहार की विधान सभाओं जैसे हालातों में पहुंचा दिया था, वह आज बहुत खुश था और बाक़ायदा मुस्करा रहा था. जिस विधेयक की वजह से सभापति के सामने रखा माइक उखाड़कर फेंक दिया गया और बाद में माफ़ी मांग ली गयी कि वह बिना किसी प्रयास के अपने आप ही हमारे हाथ में आ गया था, वह विधेयक पास हो गया. जिस विधेयक की प्रतियां माननीय सभापति के मुंह की तरफ जाने के बाद अपने आप फटकर सदन में बिखर गयी थीं, वह विधेयक बिना किसी शोर-शराबे के पास हो गया.
"आप अब कैसा महसूस कर रहे हैं, इस विधेयक के पास होने पर?" संसद के बाहर खड़े रामभरोसे लाल ने एक पत्रकार की हैसियत से किसी ऐसे सांसद से पूछा, जो अपने इसी जन्म के कुछ समसामयिक कर्मों की वजह से संसद से निलंबित हो चुके थे और अब बाहर खड़े होकर मीडिया की मार्फ़त अपनी बात देशवासियों के सामने रखने के लिए उसका मुंह ताक रहे थे.
"अच्छा, बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं. यह तो होना ही चाहिए था. भाई, महिलाओं को आरक्षण नहीं दीजिएगा तो क्या पुरुषों को दीजिएगा आप?" निलंबन की पीड़ा से वाक़िफ सांसद ने अपने चेहरे को हंसने लायक बनाते हुए सवालपूर्ण जवाब दिया.
"लेकिन आपने तो सबसे ज़्यादा हंगामा काटा था कि इसे हरगिज़ पारित नहीं होने देंगे और ईंट से ईंट बजा देंगे ?" रामभरोसे ने अपनी तरफ से 'ईंट से ईंट बजा देने' वाला अपना वह प्रिय मुहावरा इस्तेमाल करते हुए पूछा, जो वे अपने स्थानीय चैनल के मालिक के सामने अपनी तनख्वाह बढ़वाने की मांग के तहत अकसर ही इस्तेमाल कर लिया करते थे.
"हमने ऐसा कुछ नहीं कहा, ग़लत बात है यह." जो बात ग़लत है, वह हमेशा ग़लत रहेगी, इस बात को सिद्ध करने के अंदाज़ में जवाब मिला.
"लेकिन कल तो आपने कहा था कि इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा?" रामभरोसे ने अपने चैनल मालिक के भतीजे रुपी कैमरामैन को कोहनी से घसीटते हुए उस तरफ खड़ा किया, जिधर से सांसद महोदय का चेहरा दिखाने के लिए सांसद को खुद अपना मुंह कैमरे के सामने ना लाना पड़े.
"अब वो तो कल की बात थी. कल की बात कल कीजियेगा, फिलहाल, आप आज की बात करिए. आज हम बहुत खुस हैं कि हमारे दिल की जो बात है, वो मान ली गयी. महिलाओं को तो यह बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए था. इस सरकार में बैठे चंद चापलूसों की वजह से यह जो फैसला है, वो देर से लिया गया." सरकार को समर्थन देने के बावजूद संसद से निलंबित सांसद ने पुनः वापसी की उम्मीद में बिना कैमरे में अपना मुंह घुसाए बिना अपनी बात स्थानीय चैनल के माध्यम से देश की तमाम महिलाओं को खुश करने लिहाज़ से कह डाली.
"सच क्या होता है और झूठ क्या होता है, यह समझाए बिना हमने अभी सदन से निष्काषित सांसद से अपनी बेबाक बातचीत सुनवाई. अब हम उन महिला सांसदों से भी बात करेंगे, जो इस विधेयक के पारित होने से वाक़ई काफी खुश हैं." कैमरे के सामने इतना कहकर अपने माइक को अपने हाथों में दबोचे राम भरोसे लाल तेज़ी से महिलाओं के समूह की तरफ चल दिए.
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