फ़िरदौस ख़ान
नई दिल्ली. हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के मुख्यमंत्री होंगे, जबकि महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री पद संभालेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के लिए हुड्डा और महाराष्ट्र में चव्हाण के नाम पर अपनी सहमति दी है.
गौरतलब है कि दोनों ही प्रदेशों में मुख्यमंत्री पद को लेकर गतिरोध जारी था और विधायक दल के नेता के नाम पर आखिरी फ़ैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही लेना था. हरियाणा में हुड्डा विरोधी खेमे ने उन्हें मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने से रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. मौजूदा हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए कई और नाम भी चर्चा में आ गए थे. हालांकि प्रदेश के वरिष्ठ पार्टी नेता सीधे तौर पर कुछ भी कहने से गुरेज़ कर रहे थे. कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने कल प्रदेश के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों से बात करने के बाद देर रात पार्टी आला कमान को रिपोर्ट सौंपी. इसके बाद आलाकमान ने हरियाणा में फिर से हुड्डा को ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने का फ़ैसला किया. इस तरह एक बार फिर हुड्डा अपने विरोधियों पर भारी पड़े.
उधर, महाराष्ट्र में विधायक दल की बैठक में 80 फीसदी विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक चव्हाण को अपना समर्थन दिया. पार्टी सूत्रों के मुताबिक़ चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से दूर रखने के लिए केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री विलासराव देशमुख और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण राणे ने अशोक चव्हाण के खिलाफ़ पार्टी में मुहिम छेड़ रखी थी. जहां कल हुई विधायक दल की बैठक से पहले देशमुख ने अपने समर्थक विधायकों के साथ एक बैठक की, वहीं राणे ने भी नवनिर्वाचित पार्टी विधायकों से व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क किया. राणे ने 65 विधायकों के समर्थन का दावा पेश किया, इसके बावजूद लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने चव्हाण को ही मुख्यमंत्री पद सौंपने का फ़ैसला लिया.
अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों ने कल मुख्यमंत्री दोरजी खांडू को फिर से अपना नेता चुना. कांग्रेस विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले खांडू ने राज्यपाल जेजे जैकब को इस्तीफ़ा सौंप दिया था. शाम को खांडू ने फिर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. 42 सदस्यीय विधायक दल ने दोरजी खांडू को अपना सर्वसम्मत नेता माना है. पार्टी आला कमान भी यही चाहती हैं कि खांडू ही फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें.
क़ाबिले-गौर है कि कांग्रेस ने खांडू के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा और कुल 60 में से 42 सीटें हासिल कर शानदार जीत दर्ज की. खुद खांडू निर्विरोध विधायक चुने गए. उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी और प्रदेश में 23 साल तक मुख्यमंत्री रह चुके गेगांग अपांग को इस चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. उनके पुत्र ओमक भी चुनाव हार गए.
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