दूर हुआ कर्तव्य से अधिकारों का ज्ञान।
बना शिकारी आदमी है शिकार इन्सान।।

मतलब की बातें हुईं अब तो छोड़ो साथ।
बिना स्वार्थ के आजकल कौन मिलाता हाथ।।

बाहर में सुख है कहाँ ओछे कारोबार।
अपने अन्दर झाँकिये बहुत सुखद संसार।।

चेहरे पर दुख न दिखे चिपकाया मुस्कान।
यह नकली मुस्कान क्या रोक सके तूफान।।

हमें जानवर दे रहा देखो कितनी सीख।
श्रम से हक पाते सदा कभी न मांगे भीख।।

आम लोग न खा सके बाजारों से आम।
आम हुआ है खास अब यह साजिश परिणाम।।

अमन चाहते हैं सभी बागी होता कौन।
लेकिन जो हालात हैं रहे सुमन क्यों मौन।।
-श्यामल सुमन

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    22 रबी अल-आखीर हिजरी 1431, 8 अप्रैल, वृहस्पतिवार, 18 चैत्र (सौर) शक 1932, चैत्र मास 25 प्रविष्टे 2067, 22 रबी उस्सानी सन हिजरी 1431, प्रथम वैशाख कृष्ण नवमी प्रात: 6 बजकर 45 मिनट तक उपरान्त दशमी, श्रवण नक्षत्र रात्रि 5 बजकर 36 मिनट तदनन्तर धनिष्ठा नक्षत्र, सिद्ध योग मध्यान्ह 1 बजकर 53 मिनट तक पश्चात साध्य योग, गर करण, चन्द्रमा मकर राशि में (दिन रात). ग्रह विचार : सूर्य : मीन राशि में, चंद्रमा : मकर राशि में, बुध : मेष राशि में, शुक्र : मेष राशि में, मंगल : कर्क राशि में, वृहस्पति : कुंभ राशि में, शनि : कन्या (वक्री) राशि में, राहु : धनु राशि में, केतु : मिथुन राशि में

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