सलीम अख्तर सिद्दीकी
इतना तो आभास था कि समाजवार्दी पार्टी 'शीत युद्ध' चरम पर है, लेकिन यह आभास कतई नहीं था कि अमर सिंह इतनी जल्दी सीधे-सीधे 'फायर' खोल देंगे। कल्याण सिंह को पार्टी में लाने के बाद से ही सपा में एक दूसरे पर तीर चलाने का जो सिलसिला शुरु हुआ था, फिरोजाबाद सीट हारने के बाद बहुत तेज हो गया था। कहते हैं कि जो फौज हार जाती है, उसमें सबसे ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप होते हैं। सपा एक हारी हुई फौज है इसलिए उसमें भी वही हो रहा है, जो भाजपा में हो रहा है। इसमें दो राय नहीं कि सपा में विवाद की जड़ अमर सिंह ही रहे हैं। यह भी सच है कि कि अमर सिंह सपा के प्रमोद महाजन थे। अमर सिंह ने ही सपा को समाजवाद के रास्ते से भटका कर पूंजीवादी पार्टी बनाने के साथ ही उसे पूंजीपतियों और फिल्मों सितारों से सजाकर ग्लैमरस किया था। कहा तो यह भी जाता है कि अमर सिंह ने मुलायम सिंह के परिवार के कुछ सदस्यों को पथभ्रष्ट करने में भी अपनी भूमिका निभाई। अमर सिंह ने मुलायम सिंह के परिवार को रासलीला में डुबा दिया था। रासलीला में डूबे तथाकथित समाजवादियों की फिरोजाबाद सीट गंवाने के बाद जब आंखें खुलीं तो सल्तनत लुट चुकी थी। अनिल अम्बानी, जया प्रदा, जया बच्चन, संजय दत्त और मनोज तिवारी को पार्टी में लाने का श्रेय अमर सिंह को ही है। सैफई में फिल्मी अभिनेत्रियों को नचाने का चलन अमर सिंह ने ही शूरु किया था। इन्हीं सब बातों से खफा पार्टी का एक वर्ग समाजवाद से भटक कर पूंजीवाद को थामने का विरोध करता आ रहा था। इससे भी ज्यादा विरोध इस बात का था कि जिन लोगों ने पार्टी को एक मुकाम पर खड़ा किया, उन्हीं लोगों को हाशिए पर डाल दिया गया। समाजवादी पार्टी को चुनाव जीतने के लिए कल्याण सिंह सरीखे लोगों को पार्टी में लाना आत्मघाती कदम साबित हुआ। मुसलमान इस बात को नहीं पचा पाए कि जिस कल्याण सिंह को मुसलमान अपना दुश्मन मानते रहे हैं, उस आदमी को कैसे समाजवादी पार्टी में बर्दाश्त किया जा सकता है।

पार्टी की बुनियाद के पत्थर कहे जाने वाले आजम खान, राजबब्बर, सलीम शेरावानी, शफीर्कुरहमान बर्क और बेनी प्रसाद वर्मा सरीखे लोगों को अमर सिंह के आगे बौना समझा गया। इसीलिए ये लोग पार्टी को न सिर्फ अलविदा कह गए बल्कि उन्होंने मुखर होकर अमर सिंह की आलोचना की। रही सही कसर मुलायम सिंह के परिवार प्रेम ने पूरी कर दी। फिरोजाबाद सीट पर जब मुलायम ने अपनी बहु डिम्पल को उतारा तो आम जनता में यह साफ संदेश गया था कि मुलायम सिंह यादव 'परिवार मोह' मे पार्टी का बेड़ा गर्क करने पर तुल गए हैं। जब फिरोजाबाद सीट की हार का ठीकरा अमर सिंह पर फोड़ने की कोशिश की गयी तो अमर सिंह ने भी मोर्चा खोल दिया था। फिरोजाबाद सीट हारने के बाद से ही मुलायम सिंह के परिवार में अमर सिंह का विरोध शुरु हुआ। मुलायम सिंह के चचेरे भाई रामगोपाल यादव और अमर सिंह में जो वाक युद्ध शुरु हुआ था, उसकी परिणति अमर सिंह के इस्तीफे में हुई। लेकिन बात अमर सिंह के इस्तीफे तक ही रुकने वाली नहीं थी । संजय दत्त, मनोज तिवारी और अबूआजमी का इस्तीफा इस बात का सबूत है कि सपा से वे सभी लोग किनारा करने में देर नहीं लगाएंगे, जिन्हें अमर सिंह पार्टी में लेकर आए थे। एक न्यूज चैनल पर जब अबू आजमी से यह पूछा गया कि आप मुलायम सिंह और अमर सिंह में से किस को चुनेंगे तो उनका जवाब अमर सिंह था।

हालांकि अभी भी मुलायम सिंह यादव मामले को रफा-दफा करने की कवायद कर रहे हैं। रामगोपाल यादव का अमर सिंह को 'सॉरी' कहलवाना इसी कवायद का हिस्सा था लेकिन रामगोपाल यादव ने कहकर कि मैंने अमर सिंह से कोई माफी नहीं मांगी, कहकर सब पर पानी फेर दिया है। इधर अमर सिंह ने भी अपने ब्लॉग पर यह लिखकर कि मैं सैफई नहीं जाउंगा, आग में घी डाल दिया है। ये सब देखते हुए लगता है कि बात इतनी दूर तक निकल गयी है कि दिलों का फिर से मिलना नामुमकिन रहा है। सबसे विचारणीय प्रश्न यह है कि जिसने भी अमर सिंह पर निशाना साधा, मुलायम सिंह ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। किसी को भी इस तरह से मनाने की कोशिश नहीं की गयी, जिस तरह से अमर सिंह को मनाने के लिए की जा रही हैं। आखिर अमर सिंह में ऐसी क्या बात है कि मुलायम सिंह ने अपने भाई रामगोपाल से 'सॉरी' कहलवा दिया। कहीं ऐसा तो नहीं कि 'गुडफेथ' में मुलायम सिंह परिवार की कुछ ऐसी बातें अमर सिंह को पता चल गयी हों, जिनके सार्वजनिक होने से मुलायम परिवार में 'भूचाल' आने की सम्भावना हो। वैसे भी राजनैतिक गलियारों में मुलायम परिवार के कुछ सदस्यों की रासलीलाओं की बातें चटखारें लेकर सुनी और सुनाई जाती रही हैं। कहा जाता है कि अमर सिंह की जो फोन कॉल्स टेप हुईं थीं, उनमें कुछ फिल्मी अभिनेत्रियों और मुलायम परिवार के सदस्यों के बारे में ऐसी-ऐसी बातें कही गईं हैं, जिन्हें समाज आसानी से पचा नहीं पाएगा। यह समझना भूल होगी कि सपा में 'सीजफायर' हो जाएगा। अभी तो यह भी लगता है कि 'माया' को लेकर भी कुछ बातें निकल कर आ सकती हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि रामगोपाल जो कह रहे हैं, उसके पीछे मुलायम सिंह यादव की शह है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि मुस्लिम वोट बैंक को वापस लेने के लिए अब मुलायम सिंह यादव आजम खान को वापस लेने की राह हमवार कर रहे हैं। कल्याण सिंह से पीछा छुड़ाने के बाद अब अमर सिंह से पीछा छुड़ाया जा रहा है। यह विदित है कि आजम खान का कल्याण सिंह और अमर सिंह से ही छत्तीस का आंकड़ा था। यह सब कयास हैं। पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई है दोस्तों, अभी तो केवल इन्टरवल हुआ है।

0 Comments

    Post a Comment





    मौसम

    Subscribe via email

    Enter your email address:

    Delivered by FeedBurner

    Search




    आज का दिन

    आज का दिन
    8 जून 2010 , मंगलवार, 24 जमादि उस्सानी सन् हिजरी 1431, 18 ज्येष्ठ (सौर) 1932, ज्येष्ठ मास 25 प्रविष्टे 2067, ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी सायं 8 बजकर 40 मिनट तक उपरांत द्वादशी, रेवती नक्षत्र प्रात: 9 बजकर 53 मिनट तक तदनंतर अश्विनी नक्षत्र, सौभाग्य योग प्रात: 9 बजकर 58 मिनट तक पश्चात् शोभन योग, बवकरण, चंद्रमा मीन राशि में प्रात: 9 बजकर 53 मिनट तक उपरांत मेष राशि में. पंचक प्रात: 8 बजकर 55 मिनट पर समाप्त. अचला एकादशी व्रत सबका. अपना एकादशी व्रत. भद्रकाली अकादशी (पंजाब). सूर्य उत्तरायण. सूर्य उत्तर गोल। ग्रीष्म ऋतु. सायं 3 बजे से सायं 4 बजकर 30 मिनट तक राहुकाल. सूर्य : वृष राशि में, चंद्रमा : मीन राशि में, बुध : वृष राशि में, शुक्र : मिथुन राशि में, मंगल : सिंह राशि में, बृहस्पति: मीन राशि में, शनि : कन्या राशि में, राहु : धनु राशि में, केतु : मिथुन राशि में

    कैमरे की नज़र से...

    Loading...

    इरफ़ान का कार्टून कोना

    इरफ़ान का कार्टून कोना
    To visit more irfan's cartoons click on the cartoon

    .

    .

    ई-अख़बार

    ई-अख़बार

    Blog

    • جہاںنُما
      میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جاتا...
    • Firdaus's Diary
      उसके बग़ैर कितने ज़माने गुज़र गए... - कुछ ख़्वाब इस तरह से जहां में बिखर गए अहसास जिस क़द्र थे वो सारे ही मर गए जीना मुहाल था जिसे देखे बिना कभी उसके बग़ैर कितने ज़माने गुज़र गए माज़ी किताब है ...
    • ਹੀਰ
      ਕਾਲੀ ਕੋਇਲ ਤੂ ਕਿਤ ਗੁਨ ਕਾਲੀ - *ਸੂਫ਼ੀ ਬਾਬਾ ਫ਼ਰੀਦ...*ਇਤਿਹਾਸ ਗਵਾਹ ਹੈ ਕਿ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਭਟਕਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ਵਿਚ ਪੀਰਾਂ, ਫ਼ਕੀਰਾਂ, ਸਾਧੂ, ਸੰਤਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਲੇਖੇ ਲ...
    • मेरी डायरी
      जान हमने भी गंवाई है वतन की ख़ातिर...फ़िरदौस ख़ान - *ध्यानार्थ : इस लेख का शीर्षक एक शेअर का मिसरा है... इसलिए लोग लेख पढ़ने से पहले ही इसका ग़लत मतलब निकाल रहे हैं... हैरत तो यह है की लेख पढ़ने के बाद भी लो...

    यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल कैसा रहा?