1 जनवरी 2010
Firdaus's Diary
तुम्हारी मुहब्बत के फूल... - मेरे महबूब... उम्र की रहगुज़र में हर क़दम पर मिले तुम्हारी मुहब्बत के फूल... अहसास की शिद्दत से दहकते जैसे सुर्ख़ गुलाब के फूल... उम्र की तपती दोपहरी मे...
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