हम पर जो आरोप लगे हैं, क्या वैसी है उमर हमारी ??
सत्ता की भूख !
इसके लालच में कब्रों के, मुर्दे तलक गए हैं सूख !!
कब्रिस्तान-विवाद !
मुर्दे बोले,"चैन नहीं है, हमको मरने के भी बाद !! "
चाकू मारा !
चाकू ने अपराध स्वयं का, थाने में जाकर स्वीकारा ??
हरित प्रदेश !
'शुष्क प्रदेश' की मांगें इसके, फ़ौरन बाद करेंगे पेश !!
मुद्दा गरमाया !
तापमान कितना है उसका, मुद्दे ने रोकर समझाया ??
गृहमंत्रालय !
समस्याओं का बना हिमालय !!
पी. चिदंबरम !
बीस नए मंत्रालय अपने, मंत्रालय से बनवाएं हम !!
चौटाला !
आरोपों का जूस निकाला ??
आलोचना !
बाहूबालियों की करने से, पहले भी कुछ सोचना !!
सर्दी !
जाड़ों में ही क्यों करती है, शुरू स्वयं की गुंडागर्दी ??
-अतुल मिश्र
nice
छोटी छोटी बानगी लेकिन गहरे अर्थ।
नारायण कुछ भी करें होता कहाँ अनर्थ?
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सटीक!!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी