स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. चलते फिरते श्रमबल, तीसरे पक्ष विक्रेता और सहयोगी तथा अन्य हितधारकों के साथ साथ कारोबार की माहौल फैलने से सूचना परिसंपत्ति को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आर चंद्रशेखर द्वारा आज यहां जारी डाटा सुरक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकीसूचना प्रौद्योगिकियों तथा वित्तीय सेवाएं सूचना खतरे और डाटा निजता चुनौती से निबटने के लिए पूरी तरह तैयार जान पड़ते हैं। ये दोनों प्रमुख क्षेत्र नये समाधान एवं पध्दतियां अपनाने के लिए अधिक रुचि लेते हैं जबकि विनिर्माण एवं सार्वजनिक उपक्रम इस मामले में बहुत पीछे हैं। रिपोर्ट का कहना है कि सूचना सुरक्षा नियंत्रण और भौतिक सुरक्षा नियंत्रण आपस में मिल रहे हैं और एप्लिकेशन सुरक्षा कामकाज में ज्यादा परिपक्वता दिखती है।
भारतीय डाटा सुरक्षा परिषद (डीएससीआई) के हाल के सर्वेक्षण पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना सुरक्षा ने प्राथमिकताओं में प्रमुख स्थान ग्रहण कर लिया है। लोग मूलभूत सूचना सुरक्षा समाधान लागू करते हुए जान पड़ते हैं और वे प्रौद्योगिकीगत विकास को अपना रहे हैं जिससे डाटा सुरक्षित हो सकते हैं। यह अध्ययन डीएससीएआई ने सीईआरटी के साथ मिलकर केपीएमजी के माध्यम से साइबर सुरक्षा जागरूकता परियोजना के तहत किया है तथा इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, एमसीआईटी, भारत सरकार और नैसकाम ने वित्तपोषण किया। सर्वेक्षण के तहत बैंकिंग और वित्तीय सेवा, विनिर्माण, ई कामर्स, आईटी एवं आईटीईएस क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र की 153 कंपनियों का अध्ययन किया गया है।
सचिव ने भारत सुरक्षा पोर्टल जारी किया जिसे डीएससीआई ने उपयुक्त परियोजना के अंतर्गत ही तैयार किया है। यह पोर्टल उद्योग, सरकार, बैंक और वित्तीय संस्थान, प्रशासन, अकादमिक संस्थानों, महाविद्यालयों और स्कूलों के छात्रों में डाटा सुरक्षा के प्रति जागरुकता फैलाएगा और जरूरी उपाय सुझाएगा।
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