स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. गर्भवती महिलाएं यदि सीट बेल्ट बांधकर कार में चलती हैं तो इससे न सिर्फ उन्हें दुर्घटना से बचाव होता है बल्कि अपने भ्रूण का बचाव भी संभव होता है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्सिट्रिक्स एंड गाइनकालॉजी के टेक्सास के अध्ययन का हवाला देते हुए हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने बताया कि आधे से अधिक भ्रूण मोटर वाहन टकराव में गिर जाते हैं जिनको गर्भवती महिलाएं उचित उपायों को अपनाकर इन्हें बचा सकती हैं।
कई बार भ्रूण बच भी जाता है तो वह दुर्घटना की वजह से समय से पहले पैदा हो जाता है जो कम वज़न का होता है और उसमें श्वास सम्बंध समस्याएं और लम्बे समय तक शारीरिक व न्यूरोलाजिकल समस्याओं के होने का खतरा होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मेशिगन के शोधकर्ताओं के मुताबिक हादसे के बाद बचे हुए भ्रूण का खतरा उस पर निर्भर करता है कि मां किस तरह से जख्मी हुई थीं। अगर मां सफर के दौरान सीट बेल्ट बांधकर चलाए तो भ्रूण के बचने की संभावना 4.5 गुना बढ़ जाती है।
इस अध्ययन में पाया गया कि :
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गर्भवती महिलाएं अगर बेल्ट बांधकर कार में सफर करती हैं तो कार हादसों से भ्रूण के जख्मी होने और मौत से 84 फीसदी बचाव संभव होता है। -
जो महिलाएं बेल्ट बांधकर कार में सफर नहीं करती हैं उनके भ्रूण के जख्मी होने या फिर मौत होने का खतरा 62 फीसदी होता है। -
79 फीसदी गर्भवती महिलाएं जिन्होंने एयर बैग या बिना इसके तीन प्वाइंट बेल्ट का इस्तेमाल किया, उनके भ्रूण के गिरने का खतरा कम होता है। -
एयर बैग से भ्रूण में कोई उल्टा असर नहीं होता है। -
गर्भवती महिलाओं के लिए जो लैप बेल्ट के लिए पेल्विस के नीचे पहनने की जरूरत होती है और अगर वहां पर किसी तरह का धक्का लगता है तो बोनी पेल्विस से सीट बेल्ट के जरिए इससे बचाव में आसानी होती है साथ ही यूटेरस या कमर के करीब समस्या नहीं होती। -
कंधे का बेल्ट को सामान्य तौर पर साइड की ओर से लगाना चाहिए, जो महिलाओं के स्तनों के बीच से होकर कंधे तक पहुंचे।